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आतंक पर पाखंड बंद करे पाकिस्तानः पाक जांच आयोग

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पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट, आतंक पर पाखंड, आतंकवादी, पाकिस्तानी अखबार डॉन, ATA

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इस्‍लामाबाद। पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाए गए एक जांच आयोग ने ‘प्रतिबंधित आतंकी गुटों से नजदीकियों’ को लेकर नवाज शरीफ सरकार की आलोचना की है। क्वेटा में इस साल अगस्त में हुए आत्मघाती हमले की जांच के लिए बने आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान को अपने पाखंडी रवैये को बंद करना चाहिए। पाकिस्तानी अखबार डॉन ने उक्‍त रिपोर्ट दी है।

जांच आयोग की अध्यक्षता करने वाले जज ने कहा कि आतंकी संगठनों पर तत्काल प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। ऐसे संगठनों के खिलाफ आतंकवाद रोधी कानून  सिर्फ कहने के लिए नहीं बल्कि सच्ची भावना के साथ लागू करना चाहिए।

आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘अगर पाकिस्तान अमन और अलग-अलग धर्मों के बीच सदभाव चाहता है तो कानून और संविधान को फिर से स्थापित करना होगा।’

डॉन ने लिखा है कि आयोग ने 21 अक्टूबर को गृहमंत्री चौधरी निसार अली खान की 3 प्रतिबंधित संगठनों के मुखियाओं के साथ मुलाकात को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ बताया है।

खान ने सिपाही सहाबा पाकिस्तान, मिल्लत-इ-इस्लामिया और अहले सुन्नत वल जमात के प्रमुखों से मुलाकात की थी। ये तीनों संगठन प्रतिबंधित हैं।

डॉन के मुताबिक जांच आयोग ने कहा है, ”ATA जन प्रतिनिधियों, नौकरशाहों पर भी समान रूप से लागू होता है और उन्हें प्रतिबंधित संगठनों के स्वयंभू सदस्यों से ‘नजदीकी’ नहीं रखनी चाहिए।”

अखबार के मुताबिक आयोग ने इस बात पर जोर दिया कि पाखंडी रवैये पर रोक लगनी चाहिए। अखबार के मुताबिक आयोग ने कहा है कि सभी सरकारी मुलाजिम कानून से बंधे हुए हैं, उन्हें इसका पालन करना चाहिए या फिर नतीजे भुगतने चाहिए। आयोग ने कहा कि हर किसी को प्रतिबंधित किए गए संगठनों के बारे में जानकारी देने की जरूरत है।

क्वेटा हमले में 74 लोगों की मौत हुई थी। आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों वाली एक बेंच के सामने 110 पेज की अपनी जांच रिपोर्ट पेश कर दी है।

रिपोर्ट में जांच आयोग ने यह भी कहा, ‘आतंकवादी संगठनों को रैलियां और बैठक करने की इजाजत नहीं होनी चाहिेए। लोगों को इसके बारे में जानकारी दी जानी चाहिए कि ऐसे संगठनों को क्यों प्रतिबंधित किया गया।’

 

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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