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नेशनल

जीएसटी के अटके मुद्दे पर सहमति का इंतजार : जेटली

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अरुण जेटली, विधेयक, जीएसटी, परिषद, स्टेट जीएसटी

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अरुण जेटली, विधेयक, जीएसटी, परिषद, स्टेट जीएसटी

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नई दिल्ली  | वस्तु एवं सेवा कर परिषद की पांचवी बैठक भी निर्धारती अधिकार क्षेत्र के मुद्दे पर बेनतीजा रही है। इसे लेकर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि वह निर्णय होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। जेटली ने जीएसटी परिषद की यहां हुई बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा,

“क्रास सशक्तिकरण या दोहरे नियंत्रण का महत्वपूर्ण मुद्दा अभी तक अनसुलझा है। मैं इसपर निर्णय का बेसब्री से इंतजार कर रहा हूं। गतिरोध टूटने के लिए ही कायम होते हैं। हम इस पर 11 और 12 दिसंबर को फिर बातचीत करेंगे।”

परिषद की इस बैठक में जीएसटी से जुड़े विधेयकों के मसौदे को भी मंजूरी नहीं मिल पाई, जिनमें सेंट्रल जीएसटी, स्टेट जीएसटी, इंट्रीगेटेड जीएसटी और स्टेट कंपेनसेशन कानून शामिल हैं।

 

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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