अन्तर्राष्ट्रीय
पाकिस्तान में 2 आतंकी संगठन प्रतिबंधित
इस्लामाबाद | पाकिस्तान ने दो आतंकी संगठनों को आतंकी गतिविधियों में सक्रिय रूप से शामिल होने के चलते प्रतबिंधित कर दिया है। दोनों संगठनों पर देश भर में आतंक को बढ़ावा देने का आरोप है। समाचार पत्र डॉन के अनुसार, एक वरिष्ठ अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों में सांप्रदायिक आधार पर हाल में हुए हमलों की जिम्मेदारी लेने वाले जमात-उल-अहरार और लश्कर-ए-झांग्वी अल-अलामी पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने इस बात की पुष्टि की और कहा कि यह निर्णय कुछ दिनों पहले ही लिया गया था।
राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक प्राधिकरण (नाक्टा) की वेबसाइट पर उपलब्ध संशोधित सूची का जिक्र करते हुए सिंध के सुरक्षा प्रतिष्ठान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “दोनों संगठन 11 नवंबर को प्रतिबंधित संगठनों की सूची मे डाल दिए गए।”
नाक्टा की वेबसाइट पर संघीय सरकार द्वारा प्रतबिंधित 63 संगठनों की सूची दिख रही है।
जांच-पड़ताल के बाद दोनों आतंकी संगठनों के विभिन्न हमलों में शामिल होने की बात सामने आई है। कराची में हुए अधिकांश हमलों में लश्कर-ए-झांग्वी अल अलामी का हाथ रहा है।
अन्तर्राष्ट्रीय
कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित
नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।
एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।
कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।
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