मनोरंजन
फोर्स 2 का बॉक्स ऑफिस एक्जाम आज, देखने से पहले जानें रिव्यू
फोर्स के सीक्वल फोर्स 2 में इस बार कुछ अलग होने वाला है। जैसा कि पिछली फिल्म में दिखाया गया उसके विपरीत इस बार फोर्स 2 पुलिस को नहीं बल्कि इस देश के जवानों को समर्पित है। ये फिल्म उन लोगों को समर्पित है जो देश के लिए खुद को कुर्वान कर देते है लेकिन उनके बारे में कोई नहीं जानता।
एक पुलिस ऑफिसर होते हुए जॉन अब्राहम ने इस फिल्म में एक रॉ एजेंट की भूमिका निभाई है, जो एक खास मिशन के लिए बुडापेस्ट जाता है। इस बार निर्देशन की कमान निशिकांत कामत के बजाय निर्देशक अभिनय देओ के हाथों में है, जिन्होंने इस सीक्वल को फास्ट पेस अंदाज में बनाया है।
यह कहानी इंडियन इंटेलिजेंस के तीन जासूसों की हत्या से शुरू होती है। चीन में उनको किसी ने मार दिया है। इनमें से एक एजेंट है हरीश, जो कि पुलिस ऑफिसर यशवर्धन उर्फ यश (जॉन अब्राहम) का दोस्त है। हरीश मरने से पहले यश को बुक कुरियर करता है, जिससे मिले कुछ कोड को ब्रेक कर रॉ की तरफ से उसको बुडापेस्ट भेजा जाता है। उसके साथ एक रॉ एजेंट केके (सोनाक्षी सिंहा) को भी भेजा जाता है। ये दोनों वहां जाते हैं तो इनको पता चलता है कि बुडापेस्ट की भारतीय दूतावास में एक शिव शर्मा (ताहिर भसीन) नाम का व्यक्ति है, जिसकी गतिविधियां संदिग्ध है। शिव को अपने कब्जे में लेने और उसको जिंदा वापस लाने के दौरान भारतीय दूतावास के एक और एजेंट की हत्या हो जाती है।
यश और केके की कस्टडी में होने के बावजूद ये सब शिव ही करवा रहा है। पुलिस को चकमा देकर शिव भी भाग जाता है। अब उसको पकड़ना और भी मुश्किल हो गया है। यश और केके को इस बात का भी डर है कि कहीं शिव चीन में काम कर रहे बाकि 17 एजेंट्स को ना मरवा दे, क्योंकि उसको इन एजेंट्स के बारे में पता है। अब यश एक नए सिरे से शिव की तलाश करता है।
फिल्म का एक्शन जबरदस्त है। जॉन के स्टंट देखकर सीटी मारने का दिल करेगा। फिल्म फास्ट है। कुछ सोचने का मौका नहीं देती।
प्रादेशिक
13 साल बाद एक्ट्रेस को मिला इंसाफ, कोर्ट ने हत्यारे बाप को सुनाई फांसी की सजा
मुंबई। एक्ट्रेस लैला खान और उसके पूरे परिवार के हत्यारे सौतेले पिता को मुंबई की सेशन कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस महीने की शुरुआत में परवेज टाक को लैला, उनकी मां और चार भाई-बहन की हत्या और सबूतों को नष्ट करने का दोषी ठहराया था। यह मामला 13 वर्ष पुराना है। सौतेले पिता ने लैला, उसकी मां व चार भाई-बहनों की हत्या की थी, इसके बाद शवों को फार्म हाउस में गड्ढा खोदकर दफन कर दिया था।
बता दें कि बीते सप्ताह सरकारी वकील पंकज चव्हाण ने दोषी परवेज टाक के लिए मौत की सजा की मांग की थी। उनका कहना था कि इस हत्या को पूरी तरह से प्लान करके किया गया था, जिसमें एक ही परिवार के छह लोगों को बड़ी ही बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया गया और शवों को ठिकाने लगा दिया गया।
लैला खान हत्याकांड में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान आरोपी के वकील वहाब खान ने दलील पेश की, जिसमें उन्होंने कम से कम आजीवन कारावास की सजा की मांग की। वकील ने कहा कि कोई प्रत्यक्ष सबूत नहीं है और शव उनके कहने पर बरामद किए गए थे। इतना ही नहीं बल्कि दोषी के वकील ने जेल में टाक के अच्छे व्यवहार की ओर इशारा करते हुए कहा कि उसमें सुधार हुआ है और इसलिए उन्होंने इसे भी सजा को कम करने का आधार बताया है। हालांकि कोर्ट ने उनकी एक न सुनी और परवेज टाक को फांसी की सजा सुना दी।
बता दें कि परवेज टाक, लैला का सौतेला पिता है। परवेज ने लैला की मां संग तीसरी शादी की थे। साल 2011 में फरवरी में लैला खान, उनकी मां और चार भाई-बहनों की महाराष्ट्र के नासिक जिले के इगतपुरी स्थित उनके बंगले में हत्या कर दी गई थी। रिपोर्ट्स की मानें तो कहा गया कि संपत्तियों पर बहस के बाद परवेज ने इस घटना को अंजाम दिया था।
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