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अन्तर्राष्ट्रीय

पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगह बना पाकिस्तान

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ब्रुसेल्स| इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट (आईएफजे) ने पाकिस्तान को मीडियाकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक जगह बताया है। इस साल पाकिस्तान में 14 पत्रकार मारे गए हैं। आईएफजे द्वारा बुधवार को जारी एक बयान के मुताबिक, एशियाई प्रशांत क्षेत्र में सर्वाधिक 35 पत्रकारों की मौत हुई और लगातार दूसरे साल यह पत्रकारों तथा मीडियाकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक क्षेत्र रहा। 31 मीडियाकर्मियों की मौत के साथ मध्य-पूर्व दूसरा सबसे खतरनाक क्षेत्र साबित हुआ है, जबकि अमेरिका में 26 मीडियाकर्मी मारे गए। चौथे स्थान पर अफ्रीका है, जहां 17 मौतें हुईं, जबकि यूरोप पांचवें स्थान पर है, जहां 9 मीडियाकर्मी मारे गए।

इस बयान में इस्लामिक स्टेट (आईएस) आतंकवादियों के कुकृत्यों का भी हवाला दिया गया है, जिन्होंने अमेरिकी स्वतंत्र पत्रकार जेम्स फोले तथा स्टीवन सॉटलॉफ की सिर कलम कर हत्या कर दी थी। इसके बाद सरकार का ध्यान मीडियाकर्मियों की सुरक्षा की तरफ गया। लैटिन अमेरिका खासकर होंडुरास तथा मैक्सिको में संगठित अपराध तथा हिंसा जारी रही, जहां पत्रकारों को रिपोर्टिग की कीमत अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। आईएफजे अध्यक्ष बाउमेल्हा ने कहा, “अप्रत्याशित खतरों के मद्देनजर पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का समय आ गया है, क्योंकि यह न केवल सूचनाओं के प्रवाह में बाधा उत्पन्न करता है, बल्कि इनका इस्तेमाल सरकार से फिरौती पाने तथा राजनीतिक सौदे के लिए भी किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “मीडियाकर्मियों की सुरक्षा में सुधार की विफलता से युद्ध के कवरेज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।” आईएफजे महासचिव बेथ कोस्टा ने कहा, “इस साल हिंसा वाले क्षेत्रों में कवरेज के दौरान कई पत्रकारों की जान गई, जो मीडिया को खोखला कर रहा है।” साल 2014 में आईएफजे ने पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कई कदम उठाए। इराक के कुर्दिस्तान तथा अफगानिस्तान व पाकिस्तान जैसे अत्यंत जोखिम वाले देशों में कवरेज करने वाले पत्रकारों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। पत्रकारों को ऑनलाइन सुरक्षा मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से इसने काउंसिल ऑफ यूरोप के साथ साझेदारी की। साथ ही पत्रकारों के साथ स्थायी तौर पर संपर्क बनाए रखने के लिए वह अत्याधुनिक सुरक्षा उपकरणों की भी जांच कर रहा है।

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इब्राहिम रईसी के निधन पर शोक पीएम मोदी ने जताया शोक, कहा- दुःख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के निधन पर शोक जताया है। इब्राहिम रईसी की रविवार को को एक हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। पीएम मोदी ने ट्वीट कर लिखा, इस्लामी गणतंत्र ईरान के राष्ट्रपति डॉ. सैयद इब्राहिम रायसी के निधन से मुझे गहरा दुख और सदमा लगा है। भारत-ईरान द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा। उनके परिवार और ईरान के लोगों के प्रति मेरी संवेदना है। दुख की इस घड़ी में भारत ईरान के साथ खड़ा है।

बता दें कि अजरबैजान के घने और पहाड़ी इलाके में रविवार को राष्ट्रपति का विमान क्रैश हो गया था। इसके बाद ईरान की सेना ने हेलीकॉप्टर की तलाश में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया, जिसमें विमान का मलबा मिल गया। हालांकि, दुर्घटनास्थल पर जीवन के कोई संकेत नहीं मिले हैं। रॉयटर्स की रिपोर्ट्स के मुताबिक, हेलीकॉप्टर दुर्घटना के बाद राष्ट्रपति रईसी के जीवित होने की उम्मीदें न के बराबर हैं।

बता दें कि अजरबैजान के जंगल में खराब मौसम की वजह से इब्राहिम रईसी के विमान की आपात लैंडिंग कराई गई थी, जिससे हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। कई घंटों की कड़ी मशक्कत के बाद ईरान की जांच एजेंसियों को विमान का मलबा मिला। इसके बाद ईरानी मीडिया ने हेलीकॉप्टर हादसे में राष्ट्रपति और विदेश मंत्री की मौत की पुष्टि की। ईरानी रेड क्रिसेंट प्रमुख ने बताया कि बचाव टीमें दुर्घटनास्थल पर पहुंच चुकी हैं। इस हादसे में विमान का पूरा केबिन जलकर राख हो गया, जिसमें किसी के जिंदा होने के निशान नहीं मिले हैं। इस बीच ईरानी न्यूज एजेंसी ने बताया कि हादसे में किसी के बचने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि राष्ट्रपति का चॉपर पूरी तरह से तबाह हो गया।

ईरान के प्रेस टीवी के अनुसार, रेस्क्यू दल ने ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर का पता लगा लिया है। दुर्घटनास्थल पर किसी भी जीवित व्यक्ति का कोई सुराग नहीं मिला है। आपको बता दें कि राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी पूर्वी अजरबैजान के दौरे गए थे। वे अपने विमान से राजधानी तेहरान लौट रहे थे, तभी उत्तर-पश्चिम में अजरबैजान देश की सीमा से सटे जुल्फा शहर के पास हादसा हो गया। उनके साथ हेलीकॉप्टर में विदेश मंत्री हुसैन अमीर-अब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर और अन्य अधिकारी मौजूद थे।

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