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अयोध्या में गोली चलवाने का निर्णय सही था : मुलायम

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मुलायम सिंह यादव, अयोध्या में गोली चलवाने का निर्णय सही, पुस्तक के लोकापर्ण समारोह

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मुलायम सिंह यादव, अयोध्या में गोली चलवाने का निर्णय सही, पुस्तक के लोकापर्ण समारोह

mulayam singh yadav

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अयोध्या में गोली चलवाने के मेरा निर्णय सही था। लखनऊ में एक पुस्तक के लोकापर्ण समारोह में मुलायम ने यह बात कही। लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने कहा कि 1990 में अयोध्या में उन्होंने देश की एकता बनाए रखने के कारसेवकों पर गोली चलाने की आदेश दिया था।

उन्होंने कहा कि गोली से 16 लोगों की मौत हो गई थी, अगर इसमें और भी जान जाती तो देश की एकता के लिए उन्हें मंजूर थी। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि अगर मैं गोली चलवाने का आदेश न देता तो देश से मुसलमानों का विश्वास उठ जाता। गोली चलवाने का आदेश देने के कारण हमने मुलसमानों को देश से जाने के रोका।

मुलायम सिंह ने कहा कि अयोध्या में गोली चलवाने के मेरे निर्णय के कारण सदन में मेरा बहुत विरोध किया गया। इसके बाद भी मैं अपने उस निर्णय को आज भी सराहता हूं। मेरा मानना है कि हिंदू, मुस्लिम, सिख व ईसाई इसी देश नागरिक हैं।

मेरे गोली चलवाने के आदेश के बाद अयोध्या में गोलीकांड में 16 लोग मारे गए थे। अगर देश की एकता के लिए 16 की जगह 30 लोग भी मारे जाते तो भी मेरा फायरिंग का आदेश जारी रहता। मुलायम ने स्पष्ट कहा कि उस समय तो देश की एकता को बचाने के लिए गोली चलवानी पड़ी। अयोध्या में गोली चलाने पर मैंने बड़ी आलोचना झेली थी। वहां पर अगर गोली नहीं चलती तो मुसलमानों का विश्वास देश से उठ जाता।

गौरतलब है इससे पहले समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सदस्य तथा सपा के थिंक टैंक माने जाने वाले प्रोफेसर राम गोपाल यादव ने भी वर्ष 1990 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के अयोध्या में गोली चलवाने के निर्णय का सही ठहराया था। एक कार्यक्रम में राम गोपाल ने कहा था कि नेताजी ने परिस्थितियों के मद्देनजर अपने उत्तरदायित्व का निर्वाह किया और देश के हजारों लोगों के जीवन की रक्षा की।

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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