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कश्मीर में जो मारे गए, वो दूध, टॉफी खरीदने नहीं निकले थे : महबूबा

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महबूबा

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महबूबाश्रीनगर| जम्मू एवं कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गुरुवार को सुरक्षा बलों द्वारा नागरिकों की हत्या को जायज करार देते हुए कहा कि जिन्हें गोली या पैलेट लगी, वे दूध या टॉफी खरीदने बाहर नहीं निकले थे। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए महबूबा को कुछ कठिन सवालों का सामना करना पड़ा। उनसे पूछा गया कि कैसे वे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ असंगत बल प्रयोग को उचित ठहरा सकती है, जबकि वे जब विपक्ष में थीं, तो साल 2010 में नागरिकों की मौत पर उन्होंने सरकार की आलोचना की थी।

इस पर मुख्यमंत्री ने क्रोधित होते हुए पत्रकार से कहा कि उन्हें दो घटनाओं की तुलना नहीं करनी चाहिए।

महबूबा ने कहा, “आप गलत है। 2010 में जो हुआ उसका एक कारण है। माछिल में एक नकली एनकाउंटर हुआ था। तीन नागरिक मारे गए थे। आज तीन आतंकवादी मारे गए हैं और उसके लिए सरकार को दोषी कैसे ठहराया जा सकता है?”

उन्होंने कहा कि 8 जुलाई को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की हत्या के बाद लोग सड़कों पर बाहर क्यों निकले, जबकि सरकार ने कर्फ्यू लागू कर रखा था।

उन्होंने कहा, “क्या कोई बच्चा आर्मी कैंप से टॉफी खरीदने गया था? एक 15 साल का लड़का जिसने पुलिस थाने पर हमला किया (दक्षिण कश्मीर में), क्या वह दूघ खरीदने गया था? दोनों की तुलना ना करें।”

उन्होंने कहा कि गरीब कश्मीरी युवाओं को कुछ निहित स्वार्थो द्वारा ढाल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है।

पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता ने कहा कि केवल पांच फीसदी कश्मीरी हैं, जो हिसा का सहारा ले रहे हैं। उन्होंने कहा, “95 फीसदी लोग हिंसा नहीं चाहते। वे शांति चाहते हैं। वे कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए बातचीत चाहते हैं। हमें उन तक पहुंचना चाहिए।”

नेशनल

जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना

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वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।

इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।

चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्‍थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।

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