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मनोरंजन

फिल्मों में महिलाएं अब सिर्फ सौंदर्य की मूर्ति नहीं : माधुरी दीक्षित

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फिल्मों में महिलाएं अब सिर्फ सौंदर्य की मूर्ति नहीं : माधुरी दीक्षित

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फिल्मों में महिलाएं अब सिर्फ सौंदर्य की मूर्ति नहीं : माधुरी दीक्षित नई दिल्ली| अपनी अदाकारी और बेहतरीन नृत्य कौशल के दम पर 1990 के दशक में बॉलीवुड पर राज कर चुकीं अभिनेत्री माधुरी दीक्षित ने अपने तीन दशक के करियर के दौरान फिल्म जगत में आए बदलावों को देखा है।

माधुरी का कहना है कि बड़े पर्दे पर महिला कलाकारों को, किरदारों को और भी मजबूत होते देख उन्हें काफी खुशी हो रही है।

हिंदी फिल्मों में पहले मुख्य रूप से सारा ध्यान अभिनेताओं पर केंद्रित रहता था और अभिनेत्रियां मात्र सहायक किरदार निभाती थीं, लेकिन फिल्म जगत में महिला किरदारों में आ रहे बदलाव का माधुरी ने स्वागत किया है।

माधुरी ने ई-मेल के जरिए एक साक्षात्कार में आईएएनएस को बताया, “आज के समय में फिल्मों में महिला किरदारों को भी महत्व दिया जा रहा है। ‘नीरजा’ इसका एक उदाहरण है, जहां सोनम कपूर ने सैकड़ों लोगों की जान बचाने वाली एयरहोस्टेस का किरदार निभाया। इसके साथ ‘उड़ता पंजाब’ में आलिया भट्ट का किरदार भी एक अन्य उदाहरण है।”

अभिनेत्री ने कहा कि हालांकि, ‘उड़ता पंजाब’ फिल्म महिला आधारित नहीं थी, लेकिन इसमें दिखाए गए महिला किरदार काफी महत्वपूर्ण और मजबूत हैं। अब फिल्म जगत में महिलाएं मात्र सुंदरता की मूर्ति नहीं रह गई हैं।

1984 में आई फिल्म ‘अबोध’ से फिल्म जगत में कदम रखने वाली माधुरी ‘तेजाब’, ‘राम लखन’, ‘दिल’, ‘बेटा’, ‘हम आपके हैं कौन’, ‘अनजान’, ‘मृत्युदंड’, ‘पुकार’, ‘दिल तो पागल है’ और ‘देवदास’ जैसी सफल फिल्मों का महत्वपूर्ण हिस्सा रही हैं।

अमेरिका निवासी भारतीय मूल के डॉक्टर श्री राम नेने से शादी के बाद माधुरी के करियर की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ गई, लेकिन अभिनेत्री का कहना है कि कम फिल्में करना उनका निजी फैसला रहा है, क्योंकि उन्हें अपने दोनों बेटों आरिन और रयान की देखभाल करनी थी।

बॉलीवुड की 49 वर्षीय अभिनेत्री ने कहा, “बच्चों की देखभाल के लिए घर पर होना और उनके साथ समय बिताना मेरा निजी फैसला है। मैंने यह इसलिए नहीं किया, क्योंकि लोग मुझसे इसकी उम्मीद कर रहे थे। सभी मां यही करती हैं।”

माधुरी ने कहा, “आज के समय में यह चलन हो गया है कि लोग साल में एक फिल्म करना चाहते हैं। पुराने समय में देखूं, तो मैंने एक साल में 12 फिल्में की थी, लेकिन उस वक्त काम करने का तरीका काफी अलग था।”

अभिनेत्री ने कहा कि आज के समय में आप अपनी पटकथा को पढ़ने के लिए समय ले सकते हैं और अपनी इच्छानुसार किरदार का चयन कर सकते हैं और माधुरी को यह तरीका अधिक पसंद है।

2007 में आई फिल्म ‘आजा नचले’ से बॉलीवुड में वापसी करने वाली माधुरी ने एक अभिनेत्री के अलावा एक कुशल नर्तकी के रूप में भी अपनी पहचान बनाई है।

माधुरी को वर्तमान में डांस रियलिटी टेलीविजन शो ‘सो यू थिंक यू केन डांस’ में कोरियोग्राफर टेरेंस लुइस और बोस्को मार्टिस के साथ निर्णायक की भूमिका में देखा जा रहा है।

अभिनेत्री का कहना है कि इस प्रकार के डांस रियलिटी शो से नृत्य कला को एक करियर के रूप में चुनने में लोगों को मदद मिलती है।

मनोरंजन

हाईकोर्ट पहुंचे जैकी श्रॉफ, बिना इजाजत ‘भ‍िडू’ बोला तो देना होगा 2 करोड़ जुर्माना

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मुंबई। बॉलीवुड के दिग्गज एक्‍टर जैकी श्रॉफ को आपने अक्सर ‘भ‍िडू’ शब्द का प्रयोग करते सुना होगा। कई बार उनसे मुलाकात के दौरान उनके फैंस भी इस शब्द का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन अब अगर आपने आगे से ऐसा किया तो आपको 2 करोड़ रु का जुर्माना देना पड़ सकता है। एक्‍टर ने ‘व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा’ के तहत ‘भ‍िडू’ शब्‍द के इस्‍तेमाल पर दिल्‍ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और कई संस्‍थानों के ख‍िलाफ केस किया है।

यह मामला उन संगठनों के खिलाफ दायर किया गया है जो जैकी श्रॉफ का इस्तेमाल उनकी अनुमति के बिना व्यावसायिक लाभ के लिए कर रहे हैं। उम्मीद है कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुनाएगा ताकि अभिनेता के प्रचार अधिकारों की रक्षा की जा सके। मामले को कल 14 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

यह पहली बार नहीं है कि किसी बॉलीवुड अभिनेता ने गोपनीयता और प्रचार अधिकार के लिए अदालत से मदद मांगी है। इससे पहले दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन ने लोगों को अभिनेता की नकल करने और उनकी सहमति के बिना उनकी आवाज का इस्तेमाल करने से रोकने के लिए मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

दूसरी ओर पिछले साल अनिल कपूर ने भी अपने व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इसके अलावा, इस साल जनवरी में अनिल कपूर ने केस जीत लिया। इसमें उन्होंने ‘झकास’ शब्द वाला तकिया कलाम, अपने नाम, आवाज, बोलने के तरीके, छवि, समानता और हावभाव की सुरक्षा की मांग की थी। उनका कहना था कि इसका प्रयोग न किया जाए।

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