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रालोद व सपा के बीच दोस्ती पर लग सकती है मुहर
लखनऊ| उत्तर प्रदेश में कैबिनेट की प्रस्तावित फेरबदल से पहले समाजवादी पार्टी (सपा) और राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) की दोस्ती पर मुहर लग सकती है। गठबंधन को लेकर दोनों दलों का रुख सकारात्मक है और इसका एलान एक सप्ताह के भीतर हो सकता है। रालोद सूत्रों के मुताबिक, गठबंधन को लेकर दोनों दलों के बीच शुरुआती वार्ता उत्साहजनक रही है। शिवपाल यादव तो कई बार अजित से मिल चुके हैं। राज्यसभा सांसद अमर सिंह भी गठबंधन के लिए प्रयास कर रहे हैं। हाल ही में हुए विधानपरिषद और राज्यसभा चुनावों में रालोद ने सपा प्रत्याशियों का समर्थन करके दोस्ती का संकेत दे दिया है।
कैराना में हिंदुओं के पलायन को लेकर सांसद हुकुम सिंह द्वारा जारी सूची पर अजित और जयंत चौधरी का रुख भाजपा के प्रति सपा नेताओं से भी ज्यादा आक्रामक रहा है। इसे भावी राजनीति के संकेत के रूप में देखा जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, ऐसी संभावना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कैबिनेट में प्रस्तावित फेरबदल से पहले ही सपा और रालोद के बीच गठबंधन पर सहमति बन जाएगी।
रालोद सूत्रों के अनुसार, सपा से गठबंधन की स्थिति में जयंत चौधरी किसी महत्वपूर्ण विभाग के कैबिनेट मंत्री बन सकते हैं। रालोद के एक नेता का हालांकि कहना है कि सपा से गठबंधन के बावजूद रालोद सरकार में शामिल नहीं होगा।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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