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उत्तराखंड

काली व सरयू नदियों पर खतरा

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कुमाऊं की दो नदियां, काली व सरयू नदी, खतरे के बादल, खनन अतिक्रमण और प्रदूषण, विलुप्त होने का खतरा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में काली नदी

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कुमाऊं की दो नदियां, काली व सरयू नदी, खतरे के बादल, खनन अतिक्रमण और प्रदूषण, विलुप्त होने का खतरा, बागेश्वर, पिथौरागढ़ में काली नदी

Kaali River

सुनील परमार

देहरादून। कुमाऊं की दो नदियों पर खतरे के बादल मंडरा रहे है। इन नदियों पर खनन, अतिक्रमण और प्रदूषण होने के कारण विलुप्त होने का खतरा मंडरा रहा है। सरयू नदी का अस्तित्व तो लगभग समाप्त ही हो गया है। बागेश्वर में इस नदी में चार इंच पानी भी नहीं रह गया है। इसी तरह से पिथौरागढ़ में काली नदी भी विलुप्त होने के कगार पर है। इस नदी पर खनन माफिया का राज चल रहा है।

पवित्र सरयू नदी, नाले में तब्दील

बागेश्वर में सरयू नदी एक गंदे नाले में तब्दील हो चुकी है। इस नदी में बागेश्वर व आसपास के तमाम गंदे नाले सीधे बिना ट्रीटमेंट के ही सीधे नदी में गिर रहे हैं। नदी को देखने से पता चलता है कि नदी में पानी कम और प्लास्टिक का कचरा अधिक है। सरयू नदी को अब नदी कहना भी सार्थक नहीं लग रहा है। यहां नदी का जलस्तर महज चार इंच से एक फुट तक ही रह गया है। प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग, अतिक्रमण और वनों के अंधाधुंध कटान का परिणाम है कि नदी का जलस्तर लगाता घटता ही जा रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि नदी का पानी लगातार घट रहा है। इसका प्रभाव स्रोतों पर भी पड़ रहा है। यहां के आसपास के इलाकों में प्राकृतिक स्रोत भी सूख गये हैं। यहां लगे अधिकांश हैंडपंप भी पानी नहीं दे रहे हैं। कुल मिलाकर यहां के लोगों की पेयजल को लेकर दुश्विारियां अगले कुछ सालों में और अधिक होने वाली हैं।

काली नदी की मौत तय

पिथौरागढ़ में काली नदी का अस्तित्व भी खतरे में है। यहां नदी पर जबरदस्त अतिक्रमण है और दिन-रात खनन कार्य चल रहा है। नदी में पानी कम और पीली जेसीबी अधिक नजर आ रही हैं। यहां आने वाले लोग नदी से कहीं अधिक इस बात की गिनती करते हैं कि आखिर नदी बड़ी या खनन माफिया। लगातार खनन होने से काली नदी का जलस्तर घट गया है और फरीदाबाद के बड़कल झील की तर्ज पर इस नदी का भी भूमिगत होना तय माना जा रहा है। यहां की नदियां पहले ही स्रोत से सूख चुकी हैं और रही-सही कसर अतिक्रमणकारियों ने कर दी है। इन नदियों का बुरा हाल होने से यहां आने वाले पर्यटक भी खासे निराश है। उनका कहना है कि एक ओर देश में स्वच्छता अभियान चल रहा है। गंगा सफाई अभियान चल रहा है, लेकिन इन दो प्राचीनतम व पवित्र नदियों की परवाह न तो स्थानीय लोगों को है और न ही प्रशासन को।

उत्तराखंड

चारधाम यात्रा में 31 मई तक VIP दर्शन पर रोक, ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन 19 मई तक बंद

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हरिद्वार। अगर आप भी चारधाम यात्रा पर जा रहे हैं तो ये खबर आपके लिए काफी अहम है। चारधाम यात्रा में VIP दर्शन व्यवस्था पर रोक लगा दी गई है। लोग 31 मई तक VIP सिस्टम के तहत दर्शन नहीं कर पाएंगे। वहीं ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन भी 19 मई तक बंद रहेंगे। खराब मौसम और श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।

चार धाम यात्रा 10 मई को शुरू हुई थी। छह दिन में ही देश-विदेश के 3,34,732 श्रद्धालु इनके दर्शन के लिए पहुंच चुके हैं। उत्तराखंड सरकार ने यात्रा के लिए 25 अप्रैल से चारधामों के लिए पंजीकरण शुरू किया और गुरुवार तक 27 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं के पंजीकरण हो गए।

मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने पत्र जारी कर 31 मई तक वीआईपी दर्शन पर रोक लगा दी है। यह भी कहा है कि धामों में सुगम दर्शन के लिए सरकार ने श्रद्धालुओं का पंजीकरण अनिवार्य किया है। अब दर्शन उसी दिन होंगे जिस तिथि का पंजीकरण किया गया है। इससे पहले 30 अप्रैल को राज्यों के मुख्य सचिवों को पत्र लिखकर 25 मई तक वीआईपी दर्शन की व्यवस्था पर रोके जाने का आदेश दिया था।

50 मीटर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध

उत्तराखंड सरकार ने भीड़ प्रबंधन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसमें 50 मीटर के दायरे में चारों धामों के मंदिर के परिसर में रील्स बनाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही सोशल मीडिया लाइव आदि पर भी रोक लगा दी गई है। सरकार ने कहा है कि कुछ यात्रियों द्वारा मंदिर परिसर में वीडियो एवं रील बनायी जाती है और उन्हें देखने के लिए एक स्थान पर भीड़ एकत्रित हो जाती है जिससे श्रद्धालुओं को दर्शन करने में असुविधा होती है ।

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