Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

प्रादेशिक

देश में न्याय महंगा करने की साजिश : जद(यू)

Published

on

देश में न्याय महंगा करने की साजिश, जनता दल (युनाइटेड) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद यादव

Loading

देश में न्याय महंगा करने की साजिश, जनता दल (युनाइटेड) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद यादव

भोपाल| जनता दल (युनाइटेड) की मध्य प्रदेश इकाई के अध्यक्ष गोविंद यादव ने केंद्र सरकार पर न्याय को महंगा बनाने की साजिश रचने और इस क्षेत्र में भी विदेशी कंपनियों के प्रवेश को आसान बनाने का आरोप लगाया है। यादव ने राजधानी भोपाल में संवाददाताओं से कहा, “हमारा संविधान कहता है कि हर नागरिक को समान न्याय और नि:शुल्क विधिक सहायता मिलनी चाहिए, मगर इस मंशा में भारत सरकार द्वारा 13 जनवरी, 2015 को राजपत्र में प्रकाशित बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एण्ड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) नियम 2015 बड़ी बाधा बनने वाला है।” उन्होंने कहा कि वर्तमान में अधिवक्ता अधिनियम 1961 के अनुसार, निर्धारित अहर्ता (एलएलबी) हासिल करने पर अधिवक्ता का राज्य अधिवक्ता परिषद में पंजीयन होता है, उसके बाद अधिवक्ता वकालत कर सकता है, मगर राजपत्र की बार काउंसिल ऑफ इंडिया सर्टिफिकेट एण्ड प्लेस ऑफ प्रैक्टिस (वेरीफिकेशन) नियम 2015 के नियम पांच के अनुसार ‘कोई भी अधिवक्ता अखिल भारतीय बार परीक्षा नियमों अथवा इन नियमों के अंतर्गत निर्गत एक वैध व सत्यापित सार्टिफिकेट ऑफ प्रैक्टिस के बिना विधिक प्रैक्टिस करने का पात्र नहीं होगा।’

यादव ने राजपत्र के नियम का हवाला देते हुए कहा, “वर्ष 2010 के बाद सभी अधिवक्ताओं को पांच वर्ष का वकालत नामा पेश करना होगा, इसके बाद ही वे आगे वकालत का काम जारी रख सकेंगे। जो अधिवक्ता ऐसा नहीं कर पाएंगे, उन्हें प्रैक्टिस न करने वाले अधिवक्ताओं की श्रेणी में डाल दिया जाएगा। इसके साथ ही जो नए स्नातक होंगे, उन्हें वकालत करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी।” उनका आरोप लगाया, “इस व्यवस्था से एक ओर जहां देशी अधिवक्ताओं पर संकट आने वाला है, वहीं गरीबों को सस्ता न्याय मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसका लाभ उन विदेशी कानूनी कंपनियों और अधिवक्ताओं को मिलने लगेगा, जिन्हें सरकार देश में वकालत करने की अनुमति देने की तैयारी कर रही है।”

उन्होंने आगे कहा कि अधिवक्ता चाहकर भी राजपत्र में प्रकाशित नई शर्त का विरोध नहीं कर पा रहे हैं, क्योंकि नियम 7़ 1 में कहा गया है कि जो भी अधिवक्ता इन सुधारकारी नियमों का गलत मंशा से दुष्प्रचार करता है, उसे वकील संघ या बार काउंसिल का चुनाव लड़ने से तीन वषरें के लिए वंचित किया जा सकता है। यादव ने राजपत्र में उल्लिखित नियम को संविधान के अनुच्छेद 19(एक)(क) का उल्लंघन बताया हैं। उनका कहना है कि यह सभी नागरिकों को मिले ‘बोलने की आजादी और अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का उल्लंघन है।

प्रादेशिक

गुजरात बोर्ड परीक्षा में टॉपर रही छात्रा की ब्रेन हैमरेज से मौत, आए थे 99.70 फीसदी अंक

Published

on

Loading

अहमदाबाद। गुजरात बोर्ड की टॉपर हीर घेटिया की ब्रेन हैमरेज से मौत हो गई है। 11 मई को गुजरात माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (GSEB) के नतीजे आए थे। हीर इसके टॉपर्स में से एक थी। उसके 99.70 फीसदी अंक आये थे। मैथ्स में उसके 100 में से 100 नंबर थे। उसे ब्रेन हैमरेज हुआ था। बीते महीने राजकोट के प्राइवेट अस्पताल में उसका ऑपरेशन हुआ था। ऑपरेशन के बाद उसे छुट्टी दे दी गई। वो घर चली गई, लेकिन क़रीब एक हफ़्ते पहले उसे सांस लेने में फिर दिक़्क़त होने लगी और दिल में भी हल्का दर्द होने लगा।

इसके बाद उसे अस्पताल में ICU में भर्ती कराया गया था। हाॅस्पिटल में एमआरआई कराने पर सामने आया कि हीर के दिमाग का 80 से 90 प्रतिशत हिस्सा काम नहीं कर रहा था। इसके बाद हीर को सीसीयू में भर्ती कराया गया। हालांकि डाॅक्टरों की लाख कोशिशों के बाद ही उसे बचाया नहीं जा सका और 15 मई को हीर ने दम तोड़ दिया। हीर की मौत के बाद परिवार ने मिसाल पेश करते हुए उसकी आंखों और शरीर को डोनेट करने का फैसला किया।

हीर के पिता ने कहा, “हीर एक डॉक्टर बनना चाहती थी। हमने उसका शरीर दान कर दिया ताकि भले ही वह डॉक्टर न बन सके लेकिन दूसरों की जान बचाने में मदद कर सकेगी।

Continue Reading

Trending