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अन्तर्राष्ट्रीय

जाधव की गिरफ्तारी से भारत-पाक संबंध प्रभावित नहीं : पाकिस्तानी समाचार पत्र

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जाधव की गिरफ्तारी से भारत-पाक संबंध प्रभावित नहीं : पाकिस्तानी समाचार पत्र

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जाधव की गिरफ्तारी से भारत-पाक संबंध प्रभावित नहीं : पाकिस्तानी समाचार पत्र

इस्लामाबाद| पाकिस्तान द्वारा भारतीय जासूस कुलभूषण जाधव की गिरफ्तारी से रिश्तों में कोई गिरावट नहीं आई है। पाकिस्तान के एक अग्रणी समाचार पत्र के संपादकीय में यह कहा गया है। इसमें साथ ही कहा गया है कि पाकिस्तान और भारत के बीच जासूसी के मुद्दे को दोनों देशों को मिलकर सुलझाना चाहिए। पाकिस्तानी समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने गुरुवार को प्रकाशित संपादकीय ‘द स्पाय अफेयर’ में कहा कि हालांकि बलूचिस्तान में जाधव की गतिविधियों के सही स्वरूप और उसकी गिरफ्तारी के हालातों से जुड़े सवाल कायम हैं और स्वाभाविक है कि भारत को जवाब देने की जरूरत है।

संपादकीय के मुताबिक, “भारत की ओर से कमजोर और असंगत जवाबों से लगता है कि जाधव से संबंधित घटनाओं को लेकर पाकिस्तान का विवरण भारत के विवरण से काफी अलग है।”

संपादकीय के मुताबिक, वर्षो के अप्रमाणित आरोपों के बाद पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में भारतीय हस्तक्षेप के साक्ष्य पेश किए हैं।

समाचार पत्र में कहा गया है, “अगर जाधव को एक साल पहले गिरफ्तार किया गया होता, तो पहले से ही तनावपूर्ण द्विपक्षीय संबंधों के और अधिक जटिल होने की ज्यादा संभावना थी।”

समाचार पत्र के मुताबिक, पाकिस्तान के राष्ट्रीय टीवी पर एक भारतीय नागरिक को दोष स्वीकार करते दिखाए जाने पर भी भारत की ओर से ज्यादा प्रतिक्रिया नहीं हुई।

संपादकीय में कहा गया, “पाकिस्तान ने जांचकर्ताओं को भारत जाने की अनुमति देकर और भारत ने भी उन्हें आने और जांच करने की अनुमति देकर साबित किया है कि जाधव के मामले के कारण अन्य सभी जरूरी मुद्दे रद्द नहीं होंगे।”

समाचार पत्र के मुताबिक, “अगर ‘शीत युद्ध’ के चरम पर भी अमेरिका और सोवियत संघ पकड़े गए जासूसों के मुद्दों को सुलझाने में कामयाब रहे तो भारत और पाकिस्तान भी निश्चित तौर पर ऐसा कर सकते हैं।”

समाचार पत्र ने कहा कि हालांकि केवल जासूसी से भी आगे बढ़कर पाकिस्तान के भीतर अशांति फैलाने के आरोप अधिक चिंतनीय हैं।

संपादकीय के मुताबिक, “इस मामले में नए नियम बनाए जाने की जरूरत है।”

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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