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हेल्थ

96 फीसदी युवा आबादी वाकिफ, तंबाकू है कैंसरकारी (विश्व सिर-गला कैंसर दिवस 27 जुलाई पर विशेष)

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भोपाल, 26 जुलाई (आईएएनएस)| तंबाकू उत्पादों पर दर्ज चेतावनी का देश के लोगों और खासकर युवा पीढ़ी पर खास असर हो रहा है। 96 फीसदी युवा ऐसे हैं, जो मानते हैं कि चबाने वाले तंबाकू उत्पाद गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर का कारण बनते हैं। इसका खुलासा ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) द्वारा जारी रपट से हुआ है।

देश में हर साल 10 लाख से अधिक मुंह और गले के कैंसर रोगी सामने आ रहे हैं, और इनमें से 50 प्रतिशत की मौत बीमारी की पहचान के अंतराल में ही हो जाती है। इनमें युवाओं की मौत का मुख्य कारण मुंह व गले का कैंसर होता है।

वायॅस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) के मध्य प्रदेश के संरक्षक, डॉ. ललित श्रीवास्तव बताते हैं, ग्लोबल एडल्ट्स टोबैको सर्वे (गेट्स-2) 2017 की रपट के अनुसार, भारत में 15 साल से अधिक उम्र के 19.9 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन करते हैं, जबकि चबाने वाले तंबाकू उत्पादों पर 85 प्रतिशत सचित्र चेतावनी को देखकर 46़ 7 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा। जबकि वर्ष 2009-10 में 33़ 8 प्रतिशत लोगों ने इसे छोड़ने के बारे में सोचा था। वही 96.4 प्रतिशत युवा वर्ग जानता है कि चबाने वाला तंबाकू ही गंभीर बीमारियों (कैंसर) का कारण है। इसमें 96.4 प्रतिशत पुरुष, 94.8 प्रतिशत महिलाएं, वही शहरी क्षेत्र में 96.8 प्रतिशत, ग्रामीण क्षेत्रों में 95 प्रतिशत लोग इसमें शामिल हैं। पिछले सर्वे में 88.8 प्रतिशत लोग ही जानते थे कि गंभीर बीमारियों का कारण तंबाकू है। इस तरह सात वर्षो में जागरूकता के मामले में छह प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

गेट्स का इससे पहले 2009-10 में सर्वे हुआ था, उसके बाद 2016-17 में सर्वे हुआ, जो हाल ही में जारी हुआ है। यह सर्वे भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के जरिए कराया है। यह सर्वे देश के 30 राज्यों व दो केंद्र शासित प्रदेशों में हुआ और इसमें 74 हजार 73 लोगों को शामिल किया गया, जिनकी आयु 15 वर्ष से अधिक थी।

डॉ. श्रीवास्तव बताते हैं, सरकार के द्वारा जनहित में तंबाकू उत्पादों पर चेतावनी दर्ज किए जाने के निर्णय से देश में मुंह व गर्दन के कैंसर को कम करने में मदद मिली है। भारत में पूरे विश्व की तुलाना में धूम्ररहित चबाने वाले तंबाकू उत्पाद (जर्दा, गुटखा, खैनी) का सेवन सबसे अधिक होता है। यह सस्ता और आसानी से मिलने वाला नशा है। पिछले दो दशकों में इसका प्रयोग अत्यधिक बढ़ा है, जिस कारण भी सिर गले के कैंसर रोगी बढ़े हैं।

भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की रपट मे भी इस बात का खुलासा किया गया है कि पुरुषों में 50 प्रतिशत और महिलाओं में 25 प्रतिशत कैंसर की वजह तम्बाकू है। इनमें से 60 प्रतिशत मुंह के कैंसर हैं। धुआं रहित तम्बाकू में 3000 से अधिक रासायनिक यौगिक हैं, इनमें से 29 रसायन कैंसर पैदा कर सकते हैं।

टाटा मेमोरियल अस्पताल में प्रोफेसर और कैंसर सर्जन डा़ॅ पंकज चतुर्वेदी, जो इस अभियान की अगुवाई वैश्विक स्तर पर कर रहे हैं, कहते हैं सिन गले के कैंसर के नियंत्रण के लिए सरकारों, एनजीओ, चिकित्सा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, सामाजिक संगठनों, शिक्षा व उद्योग संस्थानों सहित बहु क्षेत्रीय सहयोग की आवश्यकता है। सिर गला कैंसर पर प्रभावी नियंत्रण और इलाज की ओर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ हेड एंड नेक अनोलोजिक सोसाइटीज(आईएफएचएनओएस) ने 27 जुलाई को विश्व सिर, गला कैंसर दिवस (डब्ल्यूएचएनसीडी) के रूप में मनाने का प्रस्ताव रखा और आज यह मनाया जाने लगा है। फेडरेशन को इसके लिए अनेक सरकारी संस्थानों, एनजीओ, 55 से अधिक सिर व गला कैंसर संस्थानों व 51 देशों का समर्थन प्राप्त है।

कैंसर रोग विशेषज्ञ डा़ॅ टी़ पी़ साहू बताते हैं, वर्ष 2014 में जॉन हपकिंस यूनिर्वसिटी के ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हैल्थ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने गुटखा प्रतिबंध के प्रभावों पर एक अध्ययन कराया था। अध्ययन के दौरान देश के सात राज्यों असम, बिहार, गुजरात, कर्नाटक, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा और दिल्ली में 1,001 वर्तमान व पूर्व गुटखा उपभोक्ताओं और 458 खुदरा तम्बाकू उत्पाद विक्रेताओं पर सर्वे किया गया।

उन्होंने आगे बताया, सर्वे में सामने आया कि 90 फीसदी लोगों ने इच्छा जताई कि सरकार को धुंआ रहित तंबाकू के सभी प्रकार के उत्पादों की बिक्री और वितरण पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए। इस पर 92 फीसदी लोगों ने प्रतिबंध का समर्थन किया। 99 फीसदी लोगों ने कहा कि भारतीय युवाओं के स्वाथ्य के लिए प्रतिबंध अच्छा है। जो लोग प्रतिबंध के बावजूद तंबाकू का सेवन करते हैं उनमें से आधे लोगों ने कहा कि प्रतिबंध के बाद उनके गुटखा सेवन में कमी आई है। 80 फीसदी लोगों ने विश्वास जताया कि प्रतिबंध ने उन्हें गुटखा छोड़ने के लिए प्रेरित किया है और इनमें से आधे लोगों ने कहा कि उन्होंने वास्तव में छोड़ने की कोशिश भी की है।

ज्ञात हो कि सर्वोच्च न्यायालय ने सितंबर 2016 में सुगंध युक्त चबाने वाले गुटखे पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसमें ‘तंबाकू पीड़ितों की आवाज’ नामक आंदोलन की अहम भूमिका रही है। इसमें तंबाकू का सेवन करने वाले ही लोग थे। सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिबंध के बाद चबाने वाले तंबाकू उत्पादकों ने नए रास्ते खोज लिए हैं। इन पर भी रोक आवश्यक लगने लगी है।

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लाइफ स्टाइल

गर्मियों में रोजाना मूली खाने से होंगे कई फायदे, आज ही करें डाइट में शामिल

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benefits of eating radish daily in summer

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नई दिल्ली। लोगों को लगता है कि मूली केवल सर्दियों में उगती है और इसे तभी खाया जाता है, लेकिन मूली की कुछ किस्मे बसंत और गर्मियों में भी उगती हैं, जैसे कि गाजर। सफ़ेद मूली भारत में सबसे अधिक पाई जाने वाली किस्म है, जो स्प्रिंग-समर सीजन में मिलती है।

इसके अलावा मूली की अन्य किस्में भी हैं, जिसमें गुलाबी और कभी-कभी काले रंग की मूली शामिल है। हालांकि, कुछ लोगों को मूली पसंद नहीं होती, लेकिन हम आपको इसके कुछ ऐसे स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानने के बाद आप इसे खाने से परहेज नहीं करेंगे।

सेहत के लिए कैसे फायदेमंद है मूली?

RBC को बढ़ाए: मूली हमारे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) के डैमेज को होने से रोकता है और इस प्रक्रिया में खून में ऑक्सीजन की आपूर्ति को भी बढ़ाता है।

हाई फाइबर: अगर मूली को रोजाना सलाद के हिस्से के रूप में खाते हैं, तो यह शरीर में फाइबर की कमी को पूरा करता है, जिससे डाइजेशन में सुधार होता है।

दिल के लिए फायदेमंद: मूली एंथोसायनिन का एक अच्छा स्रोत है, जो हमारे दिल को ठीक से काम करने में मदद करता है और जिससे दिल की बीमारी का खतरा कम होता है। साथ ही इनमें विटामिन सी, फोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

ब्लड प्रेशर कंट्रोल करे: मूली पोटेशियम का भी अच्छा स्त्रोत है, जो ब्लड प्रेशर को कम करके ब्लड सर्कुलेशन में सुधार कर सकती है। खासकर अगर आप हाई बीपी से पीड़ित हैं।

इम्यूनिटी बढ़ाए: मूली में हाई विटामिन सी होने के कारण यह सामान्य सर्दी और खांसी से बचा सकता है और इम्यूनिटी में भी सुधार कर सकता है। लेकिन इसके लिए आपको रोजाना मूली खाने की जरूरत होती है। इसके अलावा यह फ्री रैडिकल्स से होने वाले डैमेज से भी बचाता है।

ब्लड वैसल्स को मजबूत करता है: मूली कोलेजन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, जो बदले में ब्लड वैसल्स को बूस्ट करती है और एथेरोस्क्लेरोसिस होने की संभावना को कम करती है।

मेटाबॉलिज्म के लिए फायदेमंद: यह रूट वेजिटेबल न केवल डाइजेशन के लिए अच्छी है, बल्कि यह एसिडिटी, मोटापा, गैस्ट्रिक समस्याओं और मतली जैसी परेशानियों को ठीक करने में भी मदद करती है।

न्यूट्रिशन से भरपूर: लाल मूली में विटामिन ई, ए, सी, बी6 और के होता है और यह सभी हमारे शरीर को अच्छी तरह से फंक्शन करने में मदद करती है।

स्किन के लिए फायदेमंद: हर दिन मूली का रस पीने से स्किन को हेल्दी रखने में मदद मिलती है और ऐसा ज्यादातर विटामिन सी, जिंक और फास्फोरस के गुणों के कारण होता है।

इसके अलावा ड्राईनेस, मुंहासे, फुंसी और रैशेज को भी दूर रख जा सकता है। वहीं मूली के रस को बालों में लगाते हैं, तो यह डैंड्रफ को दूर करने में भी मदद करता है, बालों का झड़ना रोकता है और जड़ों को मजबूत बनाता है।

हाइड्रेट: गर्मियों में मूली खाने से शरीर हाइड्रेटेड रहता है क्योंकि इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है।

डिसक्लेमर: लेख में उल्लिखित सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के लिए हैं और इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए।

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