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मुख्य समाचार

दाल में आई गर्मी से चुनाव में उबाल

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पटना। बिहार विधानसभा चुनाव में दाल एक बड़ा मुद्दा बन गई है। एक ओर जहां केंद्रीय मंत्री दाल की बढ़ी कीमत के लिए राज्य सरकार को दोषी बता रहे हैं वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार इसके लिए केंद्र की नीतियों को दोषी बता रही है। वैसे इस राजनीति के बीच बिहार की जनता दाल की बढ़ी कीमत से परेशान है।

इस चुनाव में हालांकि केन्द्र और राज्य सरकार एक दूसरे पर दोषारोपण भले ही कर रही हों परंतु दाल की बढ़ी कीमत ने भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के नेताओं को बैकफुट पर तो ला ही दिया है। दाल की बढ़ी कीमत को सत्ताधारी गठबंधन द्वारा मुद्दा बनाए जाने पर केन्द्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह और खाद्य उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान मंगलवार को सामने आए और दाल की बढ़ी कीमत के लिए नीतीश सरकार पर ही दोष मढ़ दिया। दोनों नेताओं ने कहा कि नीतीश सरकार के कारण बिहार में दाल 200 रुपये की कीमत पार कर रही है।

राधामोहन सिंह ने कहा कि केंद्र ने कम से कम छह बार सरकार को दाल खरीद को लेकर पत्र भेजे लेकिन सरकार पर कोई असर नहीं पड़ा। दोनों नेताओं ने कहा कि सरकार जान बूझकर दाल की कीमत बढ़ाती गई है ताकि इसका ठीकरा केंद्र पर फोड़ा जा सके। केद्रीय मंत्री पासवान ने भी कहा कि कि खाद्य आपूर्ति एवं उपभोक्ता मंत्रालय द्वारा राज्य सरकार को चार पत्र लिखे गए हैं परंतु राज्य सरकार ने किसी भी पत्र का जवाब नहीं भेजा। उन्होंने कहा कि जमाखोरी को रोकने में बिहार सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाए। पासवान ने कहा, “राज्य सरकार न तो आयातित दाल सस्ते दाम पर खरीद कर जनता को मुहैया करा रही है और न ही जमाखोरों पर कारवाई कर रही है।”

उन्होंने आरोप लगाया कि दाल की बढ़ी कीमतों को लेकर राज्य सरकार केवल दोषारोपण कर रही है और जानबूझ कर केंद्र सरकार को बदनाम कर रही है। पासवान ने कहा कि आज दिल्ली में दाल 120 रुपये प्रति किलो बिक रही है। केन्द्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने भी दाल की बढ़ी कीमत के लिए नीतीश सरकार को दोषी बताया है।

राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने ट्वीट कर कहा था कि दाल इतनी मंहगी हो गई है कि अब घर की मुर्गी दाल बराबर का मुहावरा भी नहीं कहा जा सकता।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनावी सभाओं में दाल महंगी होने के लिए केन्द्र सरकार पर जमकर निशाना साध रहे हैं। कुमार ने कहा कि केन्द्र सरकार हर मामले में पूरी तरह असफल हो गई है। उन्होंने कहा कि बिहार में राज्य सरकार के कारण दाल की कीमत बढ़ गई तो इन दोनों मंत्रियों को यह बताना चाहिए कि गुजरात और मध्य प्रदेश में दाल की कीमत क्यों बढ़ी है।

इधर, राज्य के मंत्री विजय कुमार चौधरी कहते हैं कि केन्द्र सरकार के सभी पत्रों का जवाब राज्य सरकार समय पर भेज चुकी है। उल्लेखनीय है कि भाजपा के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने भी बढ़ती महंगाई के लिए केन्द्र सरकार को कटघरे में खड़ा कर चुके हैं। बहरहाल, पहले प्याज के दाम आसमान पर पहुंचने और अब दाल की बढ़ी कीमतों ने बिहार के लोगों के लिए भारी पड़ने लगा है।

इस बीच पटना से प्रकाशित एक हिन्दी समचार पत्र ने दाल की बढ़ी कीमत को लेकर ऑनलाइन सर्वे किया जिसमें इस चुनाव में पड़ने वाले प्रभाव के विषय में पूछा गया था। इस सर्वे में करीब 60 प्रतिशत लोगों ने कहा, “महंगाई सीधे जनता से जुड़ा मामला है और अधिकांश जनता इसे केंद्र का मामला मानती है और ये भी मानती है कि इससे इस चुनाव में भाजपा को काफी नुकसान हो सकता है।”

सर्वे के परिणाम में 21 प्रतिशत लोगों ने कहा, “दाल की महंगाई बड़ा मुद्दा है और विरोधी पार्टियां इसको बड़ा मुद्दा बना सकती हैं। सर्वे में मात्र आठ प्रतिशत लोग ही इसे नीतीश के लिए नुकसानदेह बता रहे हैं।” पटना के राजा बजार की एक गृहिणी ममता कहती हैं कि आज चुनाव की वजह से भले ही नेता दाल का मुद्दा उठा रहे हों परंतु हकीकत है कि महंगाई का सबसे अधिक मार मध्यमवर्गीय परिवार को झेलना पड़ता है। ये नेता महंगाई को क्या जानें?

इलेक्ट्रॉनिक दुकान के मालिक मनीष कुमार कहते हैं कि अब केंद्र सरकार की गलती है या राज्य सरकार की यह तो आम लोग नहीं जानते। परंतु दाल की बढ़ी कीमत ने खाने की थाली से दाल तो गायब कर ही दिया है। वे कहते हैं कि दाल आज 200 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। केन्द्र और राज्य में भले किसी की सरकार हो परंतु इन सरकारों को जनता का ख्याल रखना चाहिए।

नेशनल

पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं: पीएम मोदी

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कोलकाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को मालदा में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि मेरा बंगाल से ऐसा नाता है जैसे मानो मैं पिछले जन्म में बंगाल में पैदा हुआ था या फिर शायद अगले जन्म में बंगाल में पैदा होना है। इसके साथ ही मोदी ने प्रदेश की सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस पर खूब हमला बोला। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस द्वारा किए गए बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण लगभग 26 हजार परिवारों की शांति और खुशी खत्म हो गई है। पीएम मोदी ने यह बयान कलकत्ता हाईकोर्ट की एक खंडपीठ के हालिया आदेश के संदर्भ में दिया। जिसमें सरकारी स्कूलों में 25 हजार 753 टीचिंग (शिक्षण) और गैर-शिक्षण नौकरियों को रद्द कर दिया गया था।

पीएम मोदी ने आगे कहा, “नौकरियों और आजीविका के इस नुकसान के लिए केवल तृणमूल कांग्रेस जिम्मेदार है। राज्य सरकार ने राज्य में युवाओं के विकास के सभी रास्ते बंद कर दिए हैं। जिन लोगों ने पैसे उधार लेकर तृणमूल कांग्रेस के नेताओं को दिए उनकी हालत तो और भी खराब है।” पीएम मोदी ने राज्य सरकार और सत्तारूढ़ दल पर विभिन्न केंद्र-प्रायोजित योजनाओं के तहत दिए गए केंद्रीय फंड के उपयोग के संबंध में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार करने का भी आरोप लगाया। पीएम ने कहा, केंद्र सरकार ने राज्य के 80 लाख किसानों के लिए 8 हजार करोड़ रुपये उपलब्ध कराए हैं। लेकिन राज्य सरकार बाधा उत्पन्न कर रही है, इसलिए किसानों को राशि नहीं मिल पा रही है। राज्य सरकार सभी केंद्रीय परियोजनाओं के कार्यान्वयन को खराब करने की कोशिश कर रही है। वे राज्य में आयुष्मान भारत योजना लागू नहीं होने दे रहे। हमारे पास मालदा जिले के आम किसानों के लिए योजनाएं हैं। लेकिन मुझे चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के नेता वहां भी कमीशन की मांग करेंगे। पीएम मोदी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में महिलाओं के यौन उत्पीड़न के लिए जिम्मेदार लोगों को बचाने का प्रयास करने का भी आरोप राज्य सरकार पर लगाया।

उन्होंने कहा कि संदेशखाली में महिलाओं को प्रताड़ित किया गया। मालदा में भी ऐसी ही घटनाओं की खबरें आई थीं। लेकिन तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हमेशा आरोपियों को बचाने का प्रयास किया है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस के बीच तुष्टिकरण की राजनीति की प्रतिस्पर्धा चल रही है। एक तरफ तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में अवैध घुसपैठ को बढ़ावा दे रही है। वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस आम लोगों से पैसा जब्त करने और इसे केवल उन लोगों के बीच वितरित करने की योजना बना रही है जो उनके समर्पित वोट बैंक का हिस्सा हैं। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस का गुप्त समझौता है।

 

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