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हेल्थ

गर्भवती के खून में ग्लूकोज बढ़े तो सावधान!

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नई दिल्ली। कुछ महिलाओं को गर्भधारण के दौरान जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या होती है। ऐसी मां के नवजात बच्चे में कुछ जन्मजात बीमारियां होने का खतरा 40 से 50 फीसदी तक बढ़ जाता है। ध्यान रहे, मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने पर नवजात शिशु मानसिक रोगी भी हो सकता है। अंकिता कपूर 32 साल की हैं। उनका वजन वजन 89 किलो है। गर्भावस्था के दौरान उन्हें जेस्टेशनल डायबिटीज की शिकायत थी। उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, जिस कारण उनका बच्चा असामान्य आकर के लीवर, हार्ट और एड्रिनल ग्रैंड्स के साथ पैदा हुआ।

दिल्ली के एक निजी अस्पताल में सेवारत ऑब्स्टेट्रिशन गायनिकोलॉजिस्ट डॉ. अर्चना धवन बजाज बताती हैं कि जीवन शैली से संबंधित एक सामान्य बीमारी माने जाने वाली डायबिटीज जब एक गर्भवती महिला में होती है तो उसके परिणाम जानलेवा भी हो सकते हैं। जिन महिलाओं में गर्भधारण के दौरान डायबिटीज की शिकायत होती है, उन्हें मासिक धर्म में अनियमितता होती है और गर्भ धारण करने में भी काफी परेशानी होती है।

उन्होंने कहा कि डायबिटिक मां के गर्भ में पल रहे बच्चे को जन्मजात रोग या अन्य कई बड़ी शारीरिक कमियां हो सकती हैं। जैसे, नर्वस सिस्टम में खराबी, स्पाइना बिफिडिया, वातरोग, मूत्राशय तथा हृदय संबंधी रोग भी हो सकते हैं। डॉ. अर्चना ने बताया कि जेस्टेशनल डायबिटीज के कोई सांकेतिक लक्षण नहीं होते, लेकिन कभी-कभी हाई ब्लडप्रेशर, अधिक प्यास, बार-बार पेशाब और थकावट जैसे लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि मां के रक्त में बढ़े ग्लूकोज का बच्चे के मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। यदि मां के रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है तो वह गर्भनाल से गुजर कर बच्चे के रक्त में पहुंच जाता है। इस कारण बच्चे का भी ब्लड शुगर बढ़ जाता है। ऐसे में गर्भपात होने का खतरा रहता है या जन्म के बाद बच्चा मानसिक रोगी भी हो सकता है। यदि गर्भवती महिला के ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखा जाए तो इन सब परेशानियों से बचा जा सकता है।

जेस्टेशनल डायबिटीज का कैसे करें उपचार :

* गर्भवती हर दिन कम से कम चार दफा अपना ब्लड शुगर चेक करें। एक बार नाश्ते से पहले और फिर खाने के बाद।
* पेशाब में कीटोन नामक एसिड की नियमित जांच करवाते रहें।
* डॉ. की सलाह के मुताबिक खान-पान का पूरा ख्याल रखें।
* डॉक्टरी परामर्श से नियमित व्यायाम करें।
* वजन को नियंत्रण में रखें।
* अगर आवश्यकता हो तो चिकित्सक की सलाह से इन्सुलिन लें।

डॉ. अर्चना का कहना है कि सही खान-पान, व्यायाम, जीवन शैली में बदलाव, ग्लूकोज स्तर की नियमित जांच, कोलेस्ट्रोल नियंत्रण तथा धूम्रपान छोड़ने पर जेस्टेशनल डायबिटीज को प्रभावी तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है।

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लाइफ स्टाइल

तेजी से बढ़ रही है दिल की बीमारियों के चलते मौत, करें ये उपाय

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नई दिल्ली। भारत में दिल की बीमारियों के कारण होने वाली मौतों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हाई कॉलेस्ट्रॉल, धूम्रपान एवं आनुवंशिक कारणों से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ रही है। दक्षिण-पूर्वी एशियाई आबादी में आनुवंशिक रूप से दिल की बीमारियों की संभावना अधिक होती है। दिल को सुरक्षित रखने के लिए कुछ उपाय हैं, जिसे अपनाकर आप दिल की बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

सेहतमंद आहार लें

संतुलित और सेहतमंद आहार का सेवन करने से शरीर को सही पोषण मिलता है। जंक फूड में फैट, नमक और चीनी बहुत अधिक मात्रा में होती है, जो समय के साथ हमारे दिल को बीमार बना देती है। अक्सर लोग बिना सोचे समझे प्रोसेस्ड फूड का सेवन करते हैं क्योंकि उन्हें यह बहुत आसान लगता है, लेकिन इस तरह का भोजन हमारी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। हमारे आहार में पर्याप्त मात्रा में कैलोरीज, प्रोटीन, विटामिन, मिनरल और लो सैचुरेटेड फैट होने चाहिए।

गतिहीन जीवनशैली से बचें

बहुत से लोग नियमित रूप से व्यायाम नहीं करते। आज हममें से लाखों लोग ऐसी नौकरियां करते हैं, जिसके लिए उन्हें घंटों एक ही जगह पर बैठे रहना पड़ता है। व्यायाम की कमी व्यक्ति के लिए बेहद हानिकारक हो सकती है। यह मोटापे को जन्म देती है, जिसके कारण व्यक्ति धीरे धीरे डायबिटीज, हाइपरटेंशन और दिल की बीमारियों का शिकार बन जाता है।

शारीरिक रूप से सक्रिय

व्यायाम दिल को तंदुरुस्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कार्डियो व्यायाम से दिल की पम्प करने की क्षमता बढ़ती है और दिल की मांसपेशियां तंदुरुस्त बन जाती हैं। नियमित व्यायाम करने से रक्तचाप नियन्त्रण में रहता है, शरीर में बैड कोलेस्ट्रॉल कम होते हैं और ब्लड शुगर भी नियन्त्रित रहती है।

तनाव से बचें

तनाव आज हम सभी के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है, खासतौर पर ज्यादातर शहरी लोग अपने काम को लेकर तनाव में रहते हैं। जब आपका शरीर तनाव में रहता है, तो इसका असर शरीर के हर अंग पर पड़ता है। तनाव के समय शरीर में एड्रिनलिन हॉर्मोन ज्यादा मात्रा में बनने लगता है, अगर ऐसा नियमित रूप से होने लगे तो दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

अच्छी और गहरी नींद

समय की कमी के कारण बहुत से लोग अपनी नींद को कम कर काम करने लगते हैं। वे अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नींद से समझौता करते हैं जो सेहत के लिए खास तौर पर दिल के लिए खतरनाक है। 7-8 घंटे से कम नींद लेने से दिल की बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है।

धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें

धूम्रपान और शराब का सेवन किसी भी सेहत के लिए अच्छा नहीं है। आजकल विकासशील देशों में धूम्रपान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। जो दिल के लिए नुकसानदायक है। यहां तक कि अगर आपके आस-पास कोई व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह भी आपकी सेहत के लिए अच्छा नहीं। धूम्रपान छोड़ने के लिए परिवार और दोस्तों के सहयोग की जरूरत होती है। इसकी आदत छोड़ने के लिए निकोटीन पैच या ई-सिगरेट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच

नियमित रूप से स्वास्थ्य की जांच कराकर आप दिल की बीमारियों के खतरे से बच सकते हैं। क्योंकि ऐसा करने से अगर आपको कोई समस्या है तो समय पर उसका निदान हो जाएगा और समय रहते इलाज शुरू कर बीमारी को गंभीर होने से रोका जा सकेगा। इसलिए नियमित रूप से अपनी जांच करवाते रहें और अपने स्वास्थ्य को मॉनिटर करते रहें।

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डिस्क्लेमर: उपरोक्त जानकारी एक सूचना मात्र है. अपनाने से पहले सम्बंधित विशेषज्ञ की सलाह अवश्य लें.

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