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आध्यात्म

sakat chauth 2019: आज है सकट चौथ का व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और महत्व

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इस साल 24 जनवरी गुरुवार को विशेष चतुर्थी है। चंद्र देव का उदय रात्रि 9:10 पर होगा। चंद्रोदय के बाद पीला कपडा पहनकर ॐ गं गणपतए नमः मंत्र से विघ्न विनाशक श्री गणेश जी का विधिपूर्वक पूजन करने और कम से कम 11 माला उक्त मंत्र का जप करने से मन वांछित फल की प्राप्ति होती है।

संकट चौथ व्रत का महत्व –
इस दिन स्त्रियां पूरे दिन निर्जला व्रत रखती है और शाम को गणेश पूजन तथा चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात् ही जल ग्रहण करती है। यह व्रत स्त्रियां अपने संतान की दीर्घायु और सफलता के लिए करती है।

पूजा को लेकर मान्यता –
ऐसी मान्यता है कि इस पूजन से भाई-बंधुओं में आपसी प्रेम-भावना की वृद्धि होती है। तिल के लड्डु बनाने हेतु तिल को भूनकर, गुड़ की चाशनी में मिलाया जाता है, फिर तिलकूट का पहाड़ बनाया जाता है।

संकष्‍टी चतुर्थी की तिथि और शुभ मुहूर्त –
माघ कृष्‍ण संकष्‍टी चतुर्थी प्रारंभ: 23 जनवरी 2018 को रात 11 बजकर 59 मिनट से
माघ कृष्‍ण संकष्‍टी चतुर्थी समाप्‍त: 24 जनवरी 2018 को रात 08 बजकर 54 मिनट तक
चंद्रोदय का समय: 24 जनवरी 2018 को रात 08 बजकर 02 मिनट

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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