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रीति-रिवाज़ों के धार्मिक ढकोसलों से परे यहां होती हैं साइंटिफिक शादियां, आज तक नहीं टूटा कोई रिश्ता

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नई दिल्ली। मिथिला की सांस्कृतिक विरासत सदियों से लोगों के लिए कौतूहल का विषय रहा है। आखिर हो भी क्यों न! यहां की अद्भुत सामाजिक परंपरा जो है। यहां के लोग सदियों से शादी-विवाह में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाए हुए हैं। एक तरफ जहां पूरी दुनिया में वैवाहिक जीवन असफल हो रहे हैं, वहीं मिथिला में आज के दौर में भी वैवाहिक जीवन सौ फीसद सफल है। इसका मूल राज यहां के समाज द्वारा वैवाहिक संस्कारों में वैज्ञानिक पद्धति को अपनाना माना जा रहा है।

आज शहरों में मैरेज ब्यूरो या मैचिंग सेंटर के रूप में कई व्यावसायिक संस्थाएं खुल गई हैं जो शादी योग्य वर-वधू को एक दूसरे से जोड़ने का काम करती हैं। पर वह अपने स्तर पर कोई जांच-पड़ताल नहीं करती हैं। वहीं मिथिला में सदियों पहले इस तरह की संस्थाएं थीं जो नि:शुल्क काम कर रही थीं और पूरी तरह से वैज्ञानिक पद्धति को अपनाती थी। आज भी मिथिला में वर-वधू के मातृ व पितृ पक्ष के सात पीढ़ी के बीच रक्त संबंधों का खयाल रखा जाता है। समगोत्री यानी समान रक्त पाए जाने पर शादी नहीं होती है। इसे आज के चिकित्सा विज्ञान ने भी स्वीकार किया है। यह परंपरा मिथिला में आज भी जारी है। इस संस्था को चलाने वाले को मिथिला में पंजीकार कहा जाता है। यानी आज के हिसाब से मैरेज ‘रजिस्टार’ इनके पास सैकड़ों वर्ष का वंशावली दस्तावेज मौजूद है।

इसी दस्तावेज की मदद से वर-वधू के बीच के रक्त संबंधों का पड़ताल करने के बाद शादी की संस्तुति की जाती है, जिसे मिथिला में सिद्धांत कहा जाता है। विवाह से पूर्व वर का स्वास्थ्य परीक्षण किया जाता है। इसे मिथिला में परीक्षण कहा जाता है। इसमें वर के रोगमुक्त होने की जांच की जाती है। परीक्षण के दौरान वर की नाक दबाई जाती है, जिसका उद्देश्य होता है यह जांचना कि कहीं वर स्वांस व मिर्गी रोग से ग्रस्त तो नहीं है। साथ ही इस दौरान शरीर से वस्त्र भी उतार दिया जाता है। वस्त्र उतारने का मुख्य उद्देश्य होता है चर्म रोग आदि की जांच करना। साथ ही मनोवैज्ञानिक जांच भी की जाती है। इस जांच में वर द्वारा असफल होने पर शादी रोक दी जाती है। इस जांच प्रक्रिया में महिलाओं की अहम भूमिका के साथ ही नाई की भी भूमिका होती है।

परीक्षण में वर के सफल होने के बाद वर-कन्या पक्ष की उपस्थिति में विवाह कार्यक्रम संपन्न कराया जाता है। विवाह में शामिल होने वाले कन्या पक्ष के लोगों को सरियाती व वर पक्ष के लोगों को ‘बरियाती’ कहा जाता है। इन दोनों पक्ष के लोगों का शामिल होना एक तरह से गवाह माना जाता है। यहां का सामाजिक ताना-बाना इतना मजबूत है कि शादी होने के बाद संबंध विच्छेद की कोई कल्पना भी नहीं की जाती है। कोई ऊंच-नीच होने पर इस विवाह कार्यक्रम में शामिल लोग व घर के बड़े बुजुर्ग ही आपस में बैठकर समस्या का हल कर देते हैं।

वैवाहिक कार्य संपन्न होने के बाद अमूमन एक वर्ष तक नाना प्रकार के अनुष्ठान कार्यक्रम चलते रहते हैं, जिसमें प्रकृति व अग्नि को साक्षी माना जाता है। साथ ही यहां की गीतनाद परंपरा भी अद्भुत है। यहां की परंपरा भी वर-वधू को एक दूसरे से जोड़ने में अहम भूमिका निभाती है। इसे आज के पश्चिमी सभ्यता के हिसाब से हनीमून कहा जा सकता है। इस दौरान वर-कन्या एक दूसरे से इतने भावुकता से जुड़ जाते हैं कि लगता है कि ये दोनों बने ही एक दूसरे के लिए थे। संबंध विच्छेद की तो कल्पना ही नहीं की जा सकती।

मिथिलावासी शुरू से ही बहुत उदार रहे हैं। कहा जाता है कि राजा जनक ने सीता को अपने योग्य वर चुनने के लिए ही स्वयंवर बुलाया था। यानी लड़कियों को वर चुनने का अधिकार उस समय में भी मिथिला में था। यानी सदियों से मिथिला महिला सशक्तीकरण का पक्षधर रहा है। यहां कभी लिंग भेद नहीं रहा है। यहां का समाज सहिष्णुता का परिचायक रहा है। दूसरी ओर, आज भी देश के अन्य हिस्सों में ‘ऑनर किलिंग’ की घटनाएं हो रही हैं।

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Click Here क्या है? एक्स पर खूब हो रहा ट्रेंड, जनता से लेकर नेता भी हुए दीवाने

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नई दिल्ली। अगर आप एक्स (पूर्व में ट्विटर) का इस्तेमाल करते हैं तो आपने गौर किया होगा कि शनिवार शाम से यहां एक अजीब सी चीज ट्रेंड कर रही है। दरअसल शनिवार शाम से एक्स पर हजारों की संख्या में ऐसे पोस्ट की भरमार हो गई है जिसमें एक सफेद पेज पर ब्लैक कलर में बोल्ड में ‘यहां क्लिक करें (Click Here)’ लिखा हुआ है। इस टेक्स्ट के साथ ही नीचे की तरफ एक तीर का निशान बना हुआ है। कई एक्स यूजर्स को ये नहीं समझ में आ रहा है कि आखिर ये ट्रेंड क्या है और लोग क्यों एक सफेद रंग की तस्वीर में काले रंग से ‘क्लिक हेयर’ लिखकर फोटो शेयर कर रहे हैं।

जैसे ही कोई यूजर ‘ऑल्ट’ पर क्लिक करता है, तो एक मैसेज ओपन हो जाता है। ये एक हिडन यानी छिपा हुआ मैसेज है, जो सिर्फ ‘ऑल्ट’ पर क्लिक करने पर ही दिखाई देता है। अगर कोई इस पर क्लिक नहीं करता है, तो किसी भी तरह का मैसेज दिखाई नहीं पड़ता है। आपको बता दें कि एक्स यानी ट्विटर की तरफ से ALT टेक्स्ट फीचर को 2016 में लॉन्च किया गया था। तब ट्विटर की तरफ से कहा गया था कि हम कंटेंट को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने के लिए इस फीचर को ला रहे हैं।

एक्स पर यूजर्स को कैप्शन में टेक्स्ट लिखने का ऑप्शन तो मिलता ही है, लेकिन ये ऑल्ट टेक्स्ट फीचर शेयर की जाने वाली तस्वीर की जानकारी लोगों तक पहुंचाने का ऑप्शन मुहैया कराता है। ऑल्ट टेक्स्ट फीचर के जरिए यूजर एक हजार शब्दों तक अपने मैसेज लिख सकता है। एक्स का कहना है कि इसका सबसे ज्यादा फायदा उनको होगा, जो कम या बिल्कुल भी नहीं देख पाते हैं। ऑल्ट टेक्स्ट फीचर के कम स्पीड में भी मैसेज पढ़ा जा सकता है।

ऑल्ट टेक्स्ट कैसे करें यूज?

एक्स पर तस्वीर पोस्ट करते वक्त यूजर को +ALT का ऑप्शन दिखाई देगा। इस पर क्लिक करने के बाद मैसेज लिखने का ऑप्शन आता है। यहां यूजर जो मैसेज लिखना चाहे, उसे लिख सकता है। मैसेज सीधे तौर पर तस्वीर के साथ एड हो जाएगा। जैसे ही यूजर इस तस्वीर को पोस्ट करता है, वैसे ही ये मैसेज सभी के लिए अवेलेबल हो जाता है। अगर किसी को इस मैसेज को पढ़ना है, तो बस उसे ALT पर क्लिक करना है। ये फीचर सभी डिवाइस पर काम करता है। आम जनता के साथ साथ अब राजनीतिक दल भी इसका जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। भाजपा ने लोकसभा चुनाव को देखते हुए क्लिक हियर पोस्ट किया। बीजेपी ने ऑल्ट टेक्स में लिखा ‘फिर एक बार मोदी सरकार’

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