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इस डिवाइस को यूज करेंगे तो आपका फोन समझने लगेगा मन की बात

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कल्पना कीजिए कि आप भीड़ भरी ट्रेन में अपनी जेबों में हाथ डाले चुपचाप बैठे हैं और व्हट्सऐप पर अपने दोस्त के मेसेजों का जवाब भी देते जा रहे हैं। इसके लिए न आप कुछ टाइप कर रहे हैं और ना ही बोल रहे हैं। जो भी जवाब देना है उसे सिर्फ अपने दिमाग में सोचते हैं और वह आपके फोन पर अपने टाइप होता जा रहा है। यह कोरी कल्पना नहीं है, अमेरिका के मेसाचूसिट्स इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में इस तरह के एक डिवाइस पर काम चल रहा है।

इस डिवाइस को डिवेलप कर रहे हैं भारतीय मूल के रिसर्चर अर्नव कपूर। इस डिवाइस का नाम अल्टर ईगो रखा गया है। फिलहाल यह 0 से 9 तक की संख्याएं पहचान सकता है और इसे लगभग 100 शब्दों की जानकारी है। दरअसल यह इस आधार पर काम करता है कि जब हमारे मन में कोई शब्द उभरता है उसी समय हमारा दिमाग हमारे चेहरे और जबड़े की हड्डियों को न्यूरोमस्क्युलर सिग्नल भेजता है। यह डिवाइस इन्हीं सिग्नल या संकेतों को पहचान कर उन्हें शब्दों में बदल देता है।

   यह डिवाइस हेड फोन की तरह लगता है जो न्यूरोमस्क्युलर सिग्नल या संकेतों को पहचान कर उन्हें शब्दों में बदल देता है

साइंस मैगजीन न्यू साइंटिस्ट से बात करते हुए अर्नव कपूर ने बताया कि यह डिवाइस हेड फोन की तरह लगता है। यह एक कंप्यूटिंग सिस्टम से जुड़ा होता है ताकि गूगल से सवाल पूछ सके। अल्टर ईगो इस तरह डिजाइन किया हुआ है कि यह हमारे चेहरे और जबड़े की मांसपेशियों के संपर्क में रहता है। यह एक किस्म का बोन कंडक्शन हेडफोन है जिसमें लगे इलेक्ट्रोड हमारे चेहरे की बारीक से बारीक हरकत को दर्ज करते रहते हैं।

अर्नव का कहना है कि हम एक ऐसा कंप्यूटिंग प्लेटफॉर्म बनाना चाहते थे जो इंसान और मशीन की दूरियों को मिटा दे। मतलब वह हमारे व्यक्तित्व का एक हिस्सा हो जाए, हम मन में कुछ सोचें और मशीन हमारी वह बात अपने आप समझ जाए। फिलहाल, एमआईटी ने इसका एक प्रोटोटाइप बनाया है जो धीरे-धीरे नए शब्द सीख रहा है। एमआईटी के अलावा मशहूर उद्योगपति एलन की कंपनी न्यूरालिंक भी इसी तरह की तकनीक पर काम कर रही है जो इंसानों की मानसिक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।

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केंद्र सरकार का बड़ा एक्शन, 70 लाख मोबाइल नंबर हुए सस्पेंड; जानें क्या है कारण 

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70 lakh mobile numbers suspended in INDIA

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने एक बड़ा एक्शन लेते हुए 70 लाख मोबाइल नंबर को सस्पेंड कर दिया है। यानी इन मोबाइल नंबर का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। अब आपके जेहन में ही यही सवाल आ रहा होगा कि आखिर सरकार की ओर से यह कदम क्यों उठाया गया है। दरअसल, यह कदम बढ़ते डिजिटल फ्रॉड को देखते हुए उठाया गया है।

इस वजह से हुए मोबाइल नंबर सस्पेंड

सस्पेंड किए गए ये वे मोबाइल नंबर थे जो किसी तरह के संदिग्ध लेन-देन से जुड़े थे। दरअसल, इस मामले को लेकर वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने मंगलवार को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट के समय में डिजिटल पेमेंट को लेकर हो रही धोखाधड़ी को देखते हुए ऐसा किया गया है। बता दें, वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने यह जानकारी डिजिटल पेमेंट को लेकर धोखाधड़ी और इससे जुड़े मुद्दों पर बैठक के बाद दी है।

जनवरी में होगी अगली बैठक

जोशी ने कहा है कि डिजिटल फ्रॉड के बढ़ते मामलों को देखते हुए बैंकों को भी निर्देश दिए गए हैं। बैंकों को उनकी प्रक्रियाओं और प्रणालियों को पहले से मजबूत बनाने को कहा गया है। उन्होंने बैठक को लेकर जानकारी देते हुए कहा है कि इस मुद्दे पर आगे भी बैठकें होती रहेंगी। इसी के साथ मामले पर अगली बैठक अगले साल जनवरी में रखी गई है।

वित्तीय सेवा सचिव विवेक जोशी ने आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (AEPS) धोखाधड़ी को लेकर कहा है कि राज्यों को इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। इसी के साथ राज्य सरकारों को डेटा सुरक्षा को भी मजबूत बनाने पर गौर देना चाहिए।

फ्रॉड के मामले कैसे होंगे कम

विवेक जोशी ने कहा है कि डिजिटल धोखाधड़ी को लेकर जागरुकता बेहद जरूरी है। इस तरह की धोखाधड़ी पर लगाम लगाने के लिए जरूरी है कि समाज को इन मामलों से अवगत करवाया जाए और जागरुक किया जाए। मालूम हो कि हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी साइबर धोखाधड़ी को लेकर समाज को जागरुक करने की बात पर जोर दिया था।

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