Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

हिंदी साहित्य उत्सव केदारनाथ सिंह को समर्पित

Published

on

Loading

नई दिल्ली, 23 मार्च (आईएएनएस)| ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर और राजकमल प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय हिंदी साहित्य उत्सव का आयोजन 24 मार्च को सुबह 11 बजे से कनॉट प्लेस स्थित ऑक्सफोर्ड बुकस्टोर में किया जा रहा है, जो इस बार यशस्वी कवि केदारनाथ सिंह को समर्पित रहेगा।

यह कार्यक्रम शाम 7 बजे तक चलेगा। दिनभर चलने वाले इस कार्यक्रम में सिने और साहित्य जगत के लोग कविता पाठ से लेकर अनेक साहित्यिक व सम-सामयिक विषयों पर चर्चा करेंगे। हिंदी साहित्य उत्सव में भाग लेने वालों में स्वानंद किरकिरे, पुष्पेश पंत, अविनाश मिश्र, पुरुषोत्तम अग्रवाल, मृदुला गर्ग, मंगलेश डबराल, अशोक कुमार पांडेय, शिवेंद्र, दिलीप पांडेय, नीलोत्पल मृणाल, अर्जुमंद आरा, असद जैदी, सुधांशु फिरदौस, अरविंद जोशी और अंकिता आनंद आदि होंगे।

उत्सव की शुरुआत ‘दीप प्रज्जवलन’ के साथ मिरांडा हाउस की ‘गीतांजलि टीम’ के गायन से होगी।

उद्घाटन व्याख्यान ‘क्यों पढ़ें?’ विषय पर वरिष्ठ आलोचक, चिंतक व कथाकार पुरुषोत्तम अग्रवाल देंगे।

पढ़ने-पढ़ाने की विस्तृत व्याख्या के बाद सत्र ‘पान बखान’ में उल्लेखनीय अकादमिक, फूड क्रिटिक और इतिहासकार पुष्पेश पंत पान के इतिहास का बखान करेंगे। उनके साथ सत्र में शामिल होंगे राजकमल प्रकाशन के संपादक निदेशक सत्यानंद निरूपम। ‘पान बखान’ शीर्षक से पुष्पेश पंत की किताब राजकमल प्रकाशन से शीघ्र ही प्रकाशित होने वाली है।

अगला सत्र ‘क्या चीज है बेस्टसेलर’ बेस्टसेलर के आयाम को परिभाषित करेगा। इसमें प्रकाशन जगत के कई दिग्गज शामिल होंगे। इनमें मुख्य रूप से मीरा जौहरी (राजपाल प्रकाशन), शैलेश भरतवासी (हिन्द युग्म), अदिति महेश्वरी गोयल (वाणी प्रकाशन), अंशुल बेंजामिन (राजकमल प्रकाशन), नवीन चौधरी (ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस), प्रशांत कश्यप (दैनिक जागरण) शामिल होंेगे। इनसे बात करेंगी जया भट्टाचार्जी (रोज प्रकाशन)।

‘कश्मीरनामा : इतिहास लेखन का नया दरवाजा’ सत्र में हिंदी में शोधपरक लेखन की संभावनाओं और चुनौतियों पर अशोक कुमार पांडेय अपना पक्ष रखेंगे। कश्मीर पर लिखी उनकी हालिया किताब खासी चर्चा में रही है। उनसे बात करेंगी शीबा असलम फहमी।

किस्सा-कहानी पाठ सत्र में कई वरिष्ठ और युवा कहानीकार अपनी रचनाओं का पाठ करेंगे और श्रोताओं को परंपरा और आधुनिकता के रंगों से सराबोर करेंगे। इसमें मृदुला गर्ग, शिवेंद्र, दिलीप पांडेय और नीलोत्पल मृणाल शिरकत करेंगे।

अगला सत्र ‘अनुवाद’ पर आयोजित होगा, जिसमें मंगलेश डबराल, अर्जुमंद आरा और असद जैदी अपनी बात श्रोताओं तक पहुंचाएंगे।

‘कविता कुछ और रंग’ सत्र में सुधांशु फिरदौस, अविनाश मिश्र, अरविंद जोशी और अंकिता आनंद अपनी कविताएं सुनाएंगे।

उत्सव का समापन ‘आपकमाई : कुछ कविता कुछ गीत’ सत्र से होगा। इसमें अपने गीतों के लिए दो बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाले गीतकार स्वानंद किरकिरे अपनी ‘आपकमाई’ पर अपनी बात अपने चाहने वालों से साझा करेंगे। राज्यसभा टीवी के मशहूर कार्यक्रम ‘गुफ्तगू’ के प्रस्तोता इरफान उनसे बात करेंगे।

Continue Reading

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending