आध्यात्म
2 दिन रहेगी ‘महाशिवरात्रि’, भोले बाबा के भक्त हैं तो जरुर पढ़ें ये खबर
नई दिल्ली। शिवरात्रि हर महीने की कृष्ण पक्ष में चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। जिसे मास शिवरात्रि कहते हैं। इस साल चतुर्दशी 13 फरवरी, 2018 को रात्रि 11:34 से प्रारंभ होकर 14 फरवरी को रात्रि 12:46 तक रहेगी। इसीलिए महाशिवरात्रि इस बार दो दिन 13 व 14 फरवरी को होगी।
ज्योतिषों के अनुसार, 13 फरवरी को प्रदोष के साथ मध्य रात्रि में चतुर्दशी है, 13 फरवरी को व्रत रखना फलदायक होगा।
धर्मशास्त्रों में प्रदोष एवं अर्ध रात्रि में चतुर्दशी को ज्यादा महत्व दिया गया है। 13 फरवरी को महाशिवरात्रि का व्रत रखने वालों को 14 की सुबह पारण करना होगा।
मंगलवार को चतुर्दशी तिथि रात्रि 10 बजकर 35 मिनट से प्रारम्भ होगी जो कि बुधवार को रात्रि 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगी बुधवार को सूर्योदय काल से व्याप्त रहने से तथा प्रदोष काल में एवं महानिशीथ काल में चतुर्दशी पूर्ण व्याप्त होने से महाशिवरात्रि व्रत बुधवार को मनाया जाना धर्मशास्त्र सम्मत है। क्योकि मंगलवार को प्रदोष काल में चतुर्दशी का अभाव है।
बुधवार को प्रदोष काल सायं 05 बजकर 51 मिनट से लेकर रात्रि 08 बजकर 24 मिनट तक रहेगा तथा महानिशीथ काल रात्रि 11 बजकर 48 मिनट से लेकर अर्धरात्रि 12 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। इसलिए बुधवार महाशिवरात्रि व्रत मनाया जाना धर्मशास्त्र सम्मत है। रूद्राभिषेक के लिए भी यही समय दो समयखण्ड सर्वोत्तम हैं।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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