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आध्यात्म

उप्र : धूमधाम से मनाई गई दुर्गा महानवमी

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हापुड़, 29 सितंबर (आईएएनएस/आईपीएन)। नवरात्रे के नौवें दिन भगवती के सिद्धिदात्री के स्वरूप की पूजा-अर्चना की गई और काफी भक्तों ने कन्या लांगुर को प्रसाद खिलाकर अपने व्रत को खोला।

मंदिर व घरों में सुबह से ही मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना की। सुबह के वक्त कन्याओं व लांगुर को हलवा, पूरी का प्रसाद खिलाकर उनके चरण छूकर आशीर्वाद लिया।

पंडित श्याम मोहन शर्मा ने बताया कि मां सिद्धिदात्री देवी के पूजन से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसदिन नवरात्रि का व्रत का परायण होता है और मां भगवती अपने धाम को वापिस जाती है।

वहीं मां मंसा देवी मंदिर में छप्पन भोग प्रसाद बांटा गया। इस मौके पर मंदिर को फूलों से सजाया गया। प्रसाद का वितरण शाम 5 बजे से प्रारंभ होकर देररात तक चला। मंदिर समिति प्रधान शिवकुमार मित्तल ने बताया कि आज रात्रि को मां भगवती का जागरण आयोजित किया जाएगा, जिसमें स्थानीय व बाहर के कलाकार मां भगवती का गुणगान करेंगे।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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