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हिमाचल में बर्फबारी और बारिश के आसार

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शिमला। हिमाचल प्रदेश में मंगलवार का दिन ठंड से राहत लेकर आया, लेकिन मौसम विभाग ने अगले तीन दिनों में बारिश और बर्फबारी की आशंका जताई है। मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया, “बुधवार से बर्फबारी और बारिश के आसार हैं।”

अधिकारी ने कहा, “लाहौल-स्पीति जिले का केलांग राज्य में सबसे ठंडा रहा। यहां न्यूनतम तापमान शून्य से 2 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।” कन्नौर जिले के कल्पा जिले का न्यूनतम तापमान 1.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि मनाली का न्यूनतम तापमान 2 डिग्री और धर्मशाला का 8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

शिमला में सोमवार का न्यूनतम तापमान 16.6 डिग्री सेल्सियस था। मौसम विभाग ने बताया कि 10 और 11 दिसंबर को राज्य के पहाड़ी इलाकों के मध्य भाग में बारिश और ऊपरी भाग में बर्फबारी के आसार हैं।

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केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की मां का निधन, दिल्ली एम्स में ली अंतिम सांस

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया की माता व ग्वालियर राज घराने की राजमाता माधवी राजे सिंधिया का निधन हो गया है। उनका इलाज पिछले दो महीनों से दिल्ली के एम्स में चल रहा था। आज सुबह 9.28 बजे उन्होंने दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली।

हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया था कि, राजमाता माधवी राजे को सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें 15 फरवरी को दिल्ली एम्स में भर्ती कराया गया था। इसी साल 6 मार्च को भी उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी। उस समय भी उनकी हालत नाजुक थी और उनको लाइफ सपोर्टिंग सिस्टम पर रखा गया था।

पहली बार 15 फरवरी को माधवी राजे की तबीयत बिगड़ी थी, उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी। उसके बाद से ही उनकी हालत नाजुक बनी हुई थे। वे लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थीं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कुछ समय पहले यह जानकारी शेयर की थी।

नेपाल राजघराने से माधवीराजे सिंधिया का संबंध है। उनके दादा शमशेर जंग बहादुर राणा नेपाल के प्रधानमंत्री थे। कांग्रेस के दिग्गज नेता माधवराव सिंधिया के साथ माधवी राजे के विवाह से पहले प्रिंसेस किरण राज्यलक्ष्मी देवी उनका नाम था। साल 1966 में माधवराव सिंधिया के साथ उनका विवाह हुआ था। मराठी परंपरा के मुताबिक शादी के बाद उनका नाम बदलकर माधवीराजे सिंधिया रखा गया था। पहले वे महारानी थीं, लेकिन 30 सितंबर 2001 को उनके पति और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के निधन के बाद से उन्हें राजमाता के नाम से संबोधित किया जाने लगा।

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