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अन्तर्राष्ट्रीय

हसीना के खिलाफ टिप्पणी पर बांग्लादेशी इमाम की पिटाई

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ढाका| बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करने वाले एक इमाम की सिराजगंज कस्बे में लोगों ने पिटाई कर दी। शनिवार को मीडिया के माध्यम से यह जानकारी मिली। बीडीन्यूज 24 डॉट कॉम की रपट के मुताबिक, प्रधानमंत्री के बारे में शुक्रवार को अपमानजनक टिप्पणी करने पर पटधारी पूर्बापरहा मस्जिद के इमाम शरीफुल इस्लाम की वहां मौजूद श्रद्धालुओं के एक समूह ने पिटाई कर दी।

रपट के मुताबिक, इमाम के समर्थकों ने बाद में उन्हें छुड़ाने की कोशिश की, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच झड़प हो गई और इसमें कम से कम 10 लोग घायल हो गए। इमाम ने कहा था, “प्रधानमंत्री शेख हसीना मौलवियों को दबाने तथा मदरसों एवं मस्जिदों को बर्बाद करने का प्रयास कर रही हैं।” उनके इस बयान के बाद वहां मौजूद श्रद्धालुओं का एक समूह भड़क उठा था। बाद में पुलिस घटनास्थल पर पहुंची और स्थिति को नियंत्रण में लिया गया।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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