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अन्तर्राष्ट्रीय

सीरिया में 935 आतंकवादियों को नाकाम किया : एर्दोगन

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इस्तांबुल, 5 फरवरी (आईएएनएस)| तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन ने बताया कि सीरिया के आफरीन में 20 जनवरी से शुरू किए गए सैन्य अभियान के बाद से अब तक कुल 935 आतंकवादियोंको नाकाम कर दिया गया है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ने रविवार को वैटिकन के अपने दौरे पर रवाना होने से पहले संवाददाताओं को बताया, बेशक, इस अभियान में हमारे सैनिक भी शहीद हुए हैं।

तुर्की सेना के आठ सैनिक शनिवार को मारे गए। इनमें से पांच सैनिक पीपल्स प्रोटेक्शन युनिट (वायपीजी) के नाम से जाने जाने वाले कुर्द लड़ाकों द्वारा उनके टैंकों पर किए गए हमले में मारे गए।

एर्दोगन ने कहा कि हमले की जांच शुरू हो गई है। इसके साथ ही यह भी पता लगाया जाएगा कि वाईपीजी समूह को कौन से देश हथियार मुहैया कराते हैं, जिसे अंकारा आतंकवादी समूह मानता है।

उन्होंने कहा, हमने इस बारे में कुछ अंदाजा है। जब इसकी पूरी तरह पुष्टि हो जाएगी तो हम इसे पूरी दुनिया से साझा करेंगे।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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