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अन्तर्राष्ट्रीय

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने शांति अभियानों के प्रति संकल्प का स्वागत किया

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संयुक्त राष्ट्र

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संयुक्त राष्ट्रसंयुक्त राष्ट्र| संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने गुरुवार को शांति अभियानों की तेजी से क्रियान्वयन पर चीन जैसे देशों द्वारा लिए गए संकल्प का स्वागत किया। संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों पर केंद्रित रक्षामंत्रालय स्तरीय बैठक गुरुवार को लंदन में आयोजित की गई थी। संयुक्त राष्ट्र की 4,000 सैनिकों की एक ‘वैनगार्ड ब्रिगेड’ की स्थापना के पहल के समर्थन में चीन ने 60 दिनों के भीतर द्वितीय स्तर की जरूरत को पूरा करने के लिए 8,000 सैनिकों की तैनाती की पेशकश रखी।

यह बैठक में संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों की योजना में सुधार करने के लिए और पिछले साल के शिखर सम्मेलन में विभिन्न देशों द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के कार्यान्वयन को बढ़ावा देने की उम्मीद से की गई।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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