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अन्तर्राष्ट्रीय

श्रीलंका भूस्खलन में 91 की मौत

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कोलंबो, 27 मई (आईएएनएस)| श्रीलंका में बाढ़ और भूस्खलन से मृतकों की संख्या बढ़कर 91 हो गई है। समाचार एजेंसी सिन्हुआ ने विदेस मंत्रालय की ओर से जारी बयान के हवाले से बताया, विदेश मंत्रालय ने देश के कई हिस्सों में बाढ़ से बचाव एवं राहत कार्यो के लिए आपातकाल रिस्पांस इकाई को सक्रिय कर दिया है।

बयान के मुताबिक, मंत्रालय ने इस संदर्भ में आपदा प्रबंधन मंत्रालय के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र, अंतर्राष्ट्रीय तलाश एवं बचाव एडवाइजरी समूह (आईएनएसएआरएजी) और पड़ोसी देशों से मदद की अपील की है।

आपदा प्रबंधन केंद्र का कहना है कि शुक्रवार शाम तक बाढ़ और भूस्खलन से मरने वालों की संख्या बढ़कर 91 हो गई है जबकि 110 लापता हैं, वहीं 52,000 लोगों को विस्थापित होना पड़ा है।

मौसम विभाग ने अगले 24 घंटे में और बारिश होने की चेतावनी दी है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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