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अन्तर्राष्ट्रीय

श्रीलंका बाढ़ में मरने वालों की संख्या 206 हुई

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कोलंबो, 2 जून (आईएएनएस)| श्रीलंका में आई भयावह बाढ़ और उसके बाद आए भूस्खलन में मृतकों की संख्या बढ़कर 206 हो गई जबकि 92 लापता हैं। डेली मिरर के मुताबिक, देश में 26 मई को आई बाढ़ और भूस्खलन के बाद से अब तक 15 जिलों के लगभग 650,000 लोग प्रभावित हुए हैं।

इन 15 जिलों में रत्नापुरा, हमबनतोता, कलूतरा, मंतारा, मताले, गमपाहा, कोलंबो, केगाले, नुवारा एलिया, वावुनिया, मुलेतिवु और गाले सर्वाधिक प्रभावित हैं।

रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ क्षेत्रों में लोग बिना बिजली के रह रहे हैं।

संकटग्रस्त श्रीलंका को भारत, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, पाकिस्तान, आस्ट्रेलिया, नॉर्वे और ईयू से मदद मिल रही है।

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अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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