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अन्तर्राष्ट्रीय

शी-पुतिन आतंकवाद के खिलाफ सहयोग बढ़ाने के इच्छुक

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पेरिस। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच आतंकवाद के खिलाफ जंग के लिए सहयोग बढ़ाने पर सहमति बन गई है। शी ने सोमवार को पेरिस में संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन से इतर पुतिन के साथ बैठक के दौरान कहा कि आतंकवाद रोधी वैश्विक परिस्थितियों में व्यापक बदलाव आए हैं। चीन आतंकवाद के खिलाफ जंग में रूस सहित अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के साथ मिलकर काम करने के लिए तैयार है।

शी ने कहा कि चीन-रूस समग्र रणनीतिक साझेदारी सही दिशा में आगे बढ़ रही है। द्विपक्षीय संबंधों, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों के लिए लगातार उच्चस्तरीय आदान-प्रदान जरूरी हैं। चीन सभी क्षेत्रों में द्विपक्षीय सहयोग को बढ़ावा देने के लिए रूस के साथ मिलकर ठोस कदम उठाने का इच्छुक है। इस दौरान पुतिन ने कहा कि रूस आतंकवाद के खिलाफ जंग जैसे क्षेत्रों में चीन के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में काम करना चाहता है और अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में लोकतंत्र को बढ़ावा देना चाहता है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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