Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

मुख्य समाचार

‘शहीदों की चिताओं पर लगने वाले मेले,सिर्फ कहावतों में क्यों’

Published

on

शहीदों की याद में योम-ए-शहादत कार्यक्रम का आयोजन

Loading

शहीदों की याद में योम-ए-शहादत कार्यक्रम का आयोजन

नई दिल्ली। यूँ तो हम कई त्योहारों को उनके बीत जाने के बाद तक मनाते रहते है। कई बार देखने को मिलता है की जन्मदिन और सालगिरह बीत जाने के बाद भी उसके जश्न की खुमारी नही उतरती और हफ्तों महीनों तक लोग जश्न के उल्लास में डूबे नजर आते है, किन्तु जब बात शहीदों के बलिदान दिवस की आती है तो हम लोग सिर्फ सोशल साइटों पर एक फोटो अपलोड करके या दो शब्दों का बधाई सन्देश लिखकर इतिश्री कर लेते हैं।

शहीदों की याद में योम-ए-शहादत कार्यक्रम का आयोजन

शहीदों की याद में योम-ए-शहादत कार्यक्रम का आयोजन

कुछ ऐसी ही कसक की पीढ़ा को अपने हृदय में संजोये दिल्ली के युवा दम्पत्ति रविजोत सिंह एवं श्रीमती मनजोत कौर ने युवाओं के समक्ष एक नया उदाहरण पेश किया। बलिदान दिवस बीत जाने के दो दिन बाद इस दम्पत्ति द्वारा शहीदों की याद में एक शानदार कार्यक्रम योम-ए-शहादत का आयोजन किया गया।

द्वारकेश बर्मन की रिपोर्ट

इस कार्यक्रम को कुछ इस प्रकार क्रमबद्ध मोतियों में पिरोया गया की कार्यक्रम में मौजूद हजारों की संख्या में पहुचे दर्शकों के अंदर राष्ट्रवाद की लौ जल उठी।

यह भी पढ़ें- न्यू इंडिया 125 करोड़ भारतवासियों का सपना : मोदी

ख़ास बात यह की इस कार्यक्रम की तैयारी एक माह पूर्व से ही परवान चढ़ने लगी थी, किन्तु कार्यक्रम को अमली जामा शहीद दिवस बीत जाने के दूसरे दिन पहनाया गया। शहीद भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की शहादत को नमन करते इस कार्यक्रम योम-ए-शहादत में वामपंथ को भी करारी चोट देने का प्रयास किया गया।

कार्यक्रम में वामपंथियों की उस सोच को अफ़वाह बताया गया जिसके तहत शहीद भगत सिंह को वामपंथी बताया जाता है। कार्यक्रम आयोजक रविजोत सिंह की माने तो उनके अनुसार शहीद भगत सिंह कार्ल मार्क्स (वामपंथ) का साहित्य पढ़ा करते थे किन्तु वह वामपंथ विचारधारा के बिलकुल भी नही थे।

रविजोत ने कहा कि इतनी अल्पायु में जिस महापुरुष ने देश के लिये सहर्ष अपने प्राणों की आहुति दे दी हो ऐसे दिव्य पुरुषों के नाम पर राजनीति करना उन्हें उनकी सोच के अलावा किसी अन्य विचारधारा से ओतप्रोत बताना और वामपंथी बताकर भ्रांतियां फैलाना बहुत ही निंदनीय व चिंतनीय विषय तो है ही साथ ही शर्मनाक भी है।

उन्‍होंने दुःख व्यक्त करते हुए नम आखों के साथ कहा की मुझे खेद है की “शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले वतन पे मिटने वालों का यही बाकी निशान होगा” जैसी बातें आज सिर्फ कहावत या स्पष्ट कहें तो जुमला मात्र बन कर रह गई हैं।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के तौर पर भोजपुरी गायक व बीजेपी सांसद मनोज तिवारी रहे| विशिष्ट अतिथि के तौर पर अनुज सिंह थापर की उपस्थिति रही जो शहीद सुखदेव जी के पोते हैं| बतौर सम्‍मानित अतिथि मेजर जनरल (रिटायर्ड) पी.के. सहगल जो वर्तमान में भारतीय रक्षा विशेषज्ञ एवं विश्लेषक है मौजूद रहे।

कार्यक्रम के माध्यम से न ही सिर्फ लोगों में देश भक्ति की भावनाओं को जागृत करने का उद्देश्य रहा, इस से एक बात युवा वर्ग के मन में यह डालने का भी है की आज़ादी सिर्फ अहिंसा से नहीं आयी थी बल्कि इसके लिए असंख्‍य कुर्बानियां दी गयी है|

इस अवसर पर श्रीमती मनजोत कौर ने कहा कि एक महत्वपूर्ण बात और भी है और वो है लेफ्ट का भगत सिंह को कम्युनिस्ट या मार्क्सिस्ट बताना|

हालाँकि शहीद भगत सिंह ने कार्ल मार्क्स की किताबें ज़रूर पड़ी थी लेकिन वो कम्युनिस्ट विचारधारा के नहीं हो थे| वो एक भारत श्रेष्ठ भारत के लिए लडे और हँसते हँसते अपनी जान क़ुर्बान कर दी | वो एक क्रन्तिकारी स्वतंत्रता सेनानी थे|

योम-ए-शाहदत कार्यक्रम के अंतर्गत,  शहीद हुए हमारे स्वतंत्रता सेनानी शहीद भगत सिंह, राजगुरु एवं सुखदेव जी की शहादत को एक पर्व के रूप में हर साल मनाया जाता है। इस कार्यक्रम के द्वारा देश प्रदेश के युवाओं को संगठित कर एकता में अनेकता को जीवित रखने का उदेश्य है। ताकि हम कभी न भूलें वीरगति को प्राप्त हुए उन नौजवानों को जो 21-22 वर्ष की आयु में हँसते हँसते देश के लिए शहीद हो गये ।

कार्यक्रम का शुभारम्भ शहीदों के चित्रपट के सम्मुख मुख्य अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया जिसके बाद गणेश वंदना की गई इसके बाद नन्हे मुन्हे बच्चों द्वारा रंगारंग कार्यक्रम की प्रस्तुतियों का दौर चला यहां मौजूद सभी मुख्य अथितियों ने मंच के माध्यम से युवाओं के सम्मुख अपनी बात रखी और उन्हें सीख देने का प्रयास किया।

जिसके बाद कवि पवन पबाना एवं कवि कमलेश शर्मा द्वारा काव्य पाठ किया गया और मनोज तिवारी ने देशभक्ति के गीत सुनाये । 1931 के बाद नामक नाटक का मंचन प्रयास कला मंच थिएटर ग्रुप द्वारा किया गया साथ ही आकर्षक और मनमोहक रूप से नृत्य प्रस्तुतियों का दौर चला।

Continue Reading

नेशनल

जेपी नड्डा का ममता पर हमला, कहा- संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा

Published

on

Loading

नई दिल्‍ली। भाजपा के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जेपी नड्डा ने मुख्‍यमंत्री ममता बनर्जी पर तगड़ा हमला बोला है। उन्‍होंने कहा कि ममता दीदी ने बंगाल को क्‍या बना दिया है। जेपी नड्डा ने कहा कि संदेशखाली, ममता बनर्जी की निर्ममता और बर्बरता का संदेश चीख-चीख कर दे रहा है। ममता दीदी ने बंगाल को क्या बना दिया है? जहां रवींद्र संगीत गूंजना चाहिए था, वहां बम-पिस्तौल मिल रहे हैं।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। इसी से समझ सकते हैं कि पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार ने किस तरह अराजकता फैला रखी है। मैं बंगाल के सभी भाजपा कार्यकर्ताओं और जनता से अपील करता हूं कि आप सभी संदेशखाली पर ममता बनर्जी से जवाब मांगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने संदेशखाली की पीड़िता को पार्टी का टिकट देकर भाजपा महिला सशक्तिकरण के संदेश को मजबूती दी है। इसके साथ ही पीएम मोदी ने ममता बनर्जी को जवाब दिया है कि ये महिलाएं अकेली नहीं है उनके साथ पूरा समाज, पूरा देश खड़ा है। संदेशखाली में महिलाओं की इज्जत-आबरू और उनकी जमीनें बचाने के लिए वहां गई जांच एजेंसियों के अधिकारियों पर भी घातक हमला किया गया।

जेपी नड्डा ने आगे कहा, “मैं आज समाचार पढ़ रहा था कि संदेशखाली में तलाशी के दौरान सीबीआई ने तीन विदेशी रिवॉल्वर, पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक रिवॉल्वर, बंदूकें, कई गोलियां और कारतूस बरामद किए हैं।” इसी से समझा जा सकता है कि ममता सरकार ने राज्य में किस तरह अराजकता फैला रखी है। उन्होंने पूछा कि क्या ममता बनर्जी जनता को डराकर, उनकी जान लेकर चुनाव जीतेंगी। क्या नेताजी सुभाष चंद्र बोस, रवीन्द्रनाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरबिंदो जैसे मनीषियों ने ऐसे बंगाल की कल्पना की थी।

संदेशखाली में जनता की रक्षा के लिए एनएसजी कमांडो को भी उतरना पड़ा। ममता दीदी, यदि आपको ऐसा लगता है कि आप ऐसा करके चुनाव जीत जाएंगी तो ये आपकी भूल है। जनता आपको इसका करारा जवाब देगी। उन्होंने कहा कि हमने देखा कि ममता सरकार में तृणमूल कांग्रेस के शाहजहां शेख जैसे असामाजिक तत्व संदेशखाली में महिलाओं के अस्तित्व पर खतरा बने हुए हैं। महिलाओं के साथ जिस तरह का सलूक हो रहा है वह सच में बहुत ही संवेदनशील और कष्टदायी है।

Continue Reading

Trending