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अन्तर्राष्ट्रीय

वैश्विक गरीबी दर 10 प्रतिशत से नीचे रहेगी : विश्व बैंक

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वाशिंगटन। दुनियाभर में अत्यंत गरीबी में जीवनयापन कर रहे लोगों की संख्या 2015 में वैश्विक आबादी के 10 प्रतिशत से नीचे रह सकती है। विश्व बैंक द्वारा रविवार को जारी पूर्वानुमान रपट से यह जानकारी प्राप्त हुई। इस पूर्वानुमान में प्रतिदिन 1.9 डॉलर की एक नई अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा निर्धारित की गई है, जो 2005 में निर्धारित पिछली प्रतिदिन 1.25 डॉलर खर्च करने की गरीबी रखा से बेहतर है।   इस उन्नत गरीबी रेखा में विभिन्न देशों में जीवनयापन की लागत के अंतर और पिछली गरीबी रेखा की वास्तविक क्रय शक्ति को संरक्षित रखने से जुड़ी नई सूचना शामिल है।   प्रमुख अर्थशास्त्री कौशिक बसु ने अपने ब्लॉग में लिखा कि गरीबी रेखा को सही रूप से समायोजित करने का कारण यह है कि विश्व बैंक यह साबित करना चाहता है कि 2005 से कीमतें बढ़ी हैं और 1.25 डॉलर से अब उतनी वस्तुएं नहीं खरीदी जा सकती, जो 2005 में खरीदी जा सकती थी।   गरीबी की नई रेखा का इस्तेमाल कर विश्व बैंक ने अनुमान लगाया है कि वैश्विक गरीबी 2012 में वैश्विक आबादी के 90.2 करोड़ लोग यानी 12.8 प्रतिशत की तुलना में 2015 में घटकर 70.2 करोड़ लोग यानी 9.6 प्रतिशत हो जाएगी।   विश्व बैंक समूह के अध्यक्ष जिम योंग किम ने कहा कि हाल के वर्षो में विकासशील देशों में मजबूत विकास दरों और लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक सुरक्षा में निवेश की वजह से गरीबी में यह गिरावट आई है।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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