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अन्तर्राष्ट्रीय

‘वैश्विक खाद्य संकट में चीन की प्राप्तकर्ता से दाता की भूमिका अनुकरणनीय’

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जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र के विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की कार्यकारी निदेशक एर्थेरिन कजिन ने कहा कि चीन का वैश्विक खाद्य संकट में प्राप्तकर्ता से दाता तक का सफर सराहनीय व अनुकरणीय है। चीन 1980 के दशक में इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन का सबसे बड़ा प्राप्तकर्ता था, लेकिन आज यह मुख्य दानदाता की भूमिका में है, जो इस बात का प्रमाण है कि रुझानों को उल्टा जा सकता है।

डब्ल्यूएफपी प्रमुख ने विश्व खाद्य दिवस के मौके पर शुक्रवार को कहा कि चीन ने दो दशक पूर्व जो कुछ भी सीखा, उसे खाद्य जरूरतमंद देशों के साथ साझा करने में अहम भूमिका निभाई। चीन 2030 एजेंडे को हासिल करने के लिए वैश्विक समुदाय को मदद पहुंचाने की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।

संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों ने पिछले महीने इस एजेंडे को पेश किया था, जिसे सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) के नाम से भी जाना जाता है। इसके तहत पोषण में सुधार और स्थाई कृषि को बढ़ावा देने के साथ-साथ 2030 तक भूख को समाप्त करने और खाद्य सुरक्षा के लक्ष्य को हासिल करना शामिल है।

कजिन ने जोर देते हुए कहा कि इस साल विश्व में 79.5 करोड़ लोगों को भोजन उपलब्ध नहीं है। इस पूर्ण मूल्य श्रृंखला में कृषि विकास में निवेश करना महत्वपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि विश्व को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक बच्चे को शुरुआती 1,000 दिनों में आवश्यक पोषक तत्व मिले। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि स्कूलों में भोजन कार्यक्रमों को अनुदान मिलता रहे, ताकि लड़कियों की शिक्षा जारी रखी जा सके।

 

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत में अवसरों की भरमार, पीएम मोदी के नेतृत्व में 10 सालों में देश ने अच्छी प्रगति की : वॉरेन बफे

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नई दिल्ली। बर्कशायर हैथवे के चेयरमैन और सीईओ वॉरेन बफे भारत की निवेश की संभावनाओं को लेकर काफी उत्साहित हैं। उन्होंने रविवार को कंपनी की सालाना बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत में अवसरों की भरमार हैं। उन्होंने कहा कि भारत अब 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। बीते दस सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में देश ने सभी आर्थिक मानदंडों में अच्छी प्रगति की है। अब लगभग 3.7 ट्रिलियन डॉलर (अनुमान वित्त वर्ष 2023-24) की जीडीपी के साथ भारत आर्थिक रूप से पांचवां सबसे बड़ा देश है। एक दशक पहले देश 1.9 ट्रिलियन डॉलर (मौजूदा बाजार मूल्य) की जीडीपी के साथ भारत 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। वित्त मंत्रालय के अनुसार, इस 10 साल की यात्रा में कई रिफॉर्म हुए जिसने देश को आर्थिक रूप से आगे बढ़ाया है।

रविवार को अपनी कंपनी की वार्षिक बैठक में वॉरेन बफेट ने कहा, भारत में नई संभावनाओं का पता लगाएं। यहां ऐसे क्षेत्र हो सकते हैं जिनको सर्च नहीं किया गया है या यहां मौजूद अवसरों पर ध्यान नहीं दिया गया है। उन्होंने कहा, मुझे यकीन है कि भारत में बहुत सारे अवसर हैं। सवाल यह है कि क्या हमें उनके बारे में जानकारी है, जिसमें हम भाग लेना चाहेंगे। बफेट देश में संभावित प्रवेश की तलाश में हैं। भारत की जीडीपी ग्रोथ एक नए शिखर पर पहुंचने के लिए तैयार है। विनिर्माण और ऑटोमोबाइल जैसे सेक्टरों ने फिर से सुधार देखना शुरू कर दिया है और जीएसटी कलेक्शन नई ऊंचाई हासिल कर रहा है।

आरबीआई के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, भारत की जीडीपी ग्रोथ महामारी से पहले 2020 के दौरान दर्ज की गई 7 प्रतिशत से ऊपर बढ़ने के संकेत हैं। आईएमएफ के लेटेस्ट आंकड़ों के अनुसार, 2004 में भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 635 डॉलर थी। 2024 में देश की प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़कर 2,850 डॉलर हो गई है, जो इसके समकक्ष देशों के लिए 6,770 डॉलर का 42 प्रतिशत है। इस महीने की शुरुआत में जारी एचएसबीसी सर्वे के अनुसार, मजबूत मांग के कारण भारत का विनिर्माण सेक्टर अप्रैल में मजबूत गति से बढ़ा। इसके अलावा विश्व चुनौतियों के बावजूद, एक लाख से अधिक स्टार्टअप और 100 से ज्यादा यूनिकॉर्न के साथ देश ग्लोबल स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा टेक स्टार्टअप इकोसिस्टम बना हुआ है।

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