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विश्व हिंदी सम्मेलन पर मोदी की छाया

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विश्व हिंदी सम्मेलन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भोपाल, मध्य प्रदेश, मोदी की तस्वीरों के होर्डिग और कटआउट

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संदीप पौराणिक
भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी में विश्व हिंदी सम्मेलन की तैयारियां जोरों पर हैं, मगर ब्रांडिंग हिंदी की बजाय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हो रही है। आलम यह है कि भोपाल की हर सड़क व चौराहे पर मोदी की तस्वीरों के ही होर्डिग और कटआउट नजर आ रहे हैं। विश्व हिंदी सम्मेलन यहां 10 से 12 सितंबर तक होने जा रहा है। इस आयोजन को सफल बनाने में केंद्र के विदेश मंत्रालय से लेकर राज्य सरकार तक सक्रिय है। आयोजन स्थल लाल परेड मैदान को ‘माखनलाल चतुर्वेदी नगर’ नाम दिया गया है। विशाल पंडाल को भव्य सभागार का रूप दिया जा रहा है।

आयोजन की भव्यता और आकर्षण में कोई कमी न रह जाए, इसमें हर कोई अपनी पूरी ताकत झोंके हुए है। ऐसा इसलिए, क्योंकि इस सम्मेलन के दौरान देश और दुनिया के हिंदी विद्वानों का तीन दिनी जमघट लगने वाला है। एक तरफ जहां आयोजन को भव्यता दिए जाने के प्रयास चल रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी की ब्रांडिंग में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। हर तरफ होर्डिगों व कटआउटों में सिर्फ मोदी ही मोदी नजर आ रहे हैं। दरअसल, मोदी ही इस सम्मेलन का उद्घाटन करने आ रहे हैं। अधिकांश होर्डिगों पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की ओर से मोदी के स्वागत में लिखे संदेश दिख रहे हैं।

मोदी के स्वागत वाले होर्डिगों को लेकर वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया का कहना है, “यहां भले ही विश्व हिंदी सम्मेलन होने जा रहा हो, मगर ब्रांडिंग तो प्रधानमंत्री की हो रही है। भाजपा अपने एजेंडे के मुताबिक चल रही है, यही कारण है कि इस आयोजन में सिर्फ राजनेता और राजनीति के दर्शन हो रहे हैं।” वरिष्ठ साहित्यकार ध्रुव शुक्ल विश्व हिंदी सम्मेलन ही नहीं, किसी भी भाषाई आयोजन और साहित्यिक गतिविधि में राजनेताओं और राजनीति की दखलंदाजी को उचित नहीं मानते। उनका कहना है कि इतिहास इस बात का गवाह है कि राजनेताओं की दखलअंदाजी से कभी भी किसी भाषा और साहित्य को मजबूती नहीं मिली है।”

यहां 10वें विश्व हिंदी सम्मेलन को लेकर जो भी होर्डिग व पोस्टर लगे हैं, उनमें से अधिकांश में प्रधानमंत्री मोदी ही छाए हुए हैं। होर्डिग के लगभग तीन चौथाई हिस्से में मोदी की तस्वीर और स्वागत वाला संदेश है। वहीं एक कोने में, बमुश्किल 10 फीसदी हिस्से में हिंदी सम्मेलन का मोनोग्राम है। एक ऑटो चालक सुरेंद्र से जब शहर में लगे होर्डिग को लेकर सवाल किया तो वह विश्व हिंदी सम्मेलन से पूरी तरह अनजान था। उसने इतना जरूर कहा, “साहब, लगता है कि मोदी जी भोपाल आ रहे हैं, तभी तो उनकी फोटो (होर्डिग) लगाई गई है।”

विश्व हिंदी सम्मेलन के आयोजन में मोदी की तस्वीरों वाले बड़ी संख्या में होर्डिग लगे होने की वजह जानने के लिए आयोजन समिति के उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे और राज्य सरकार के जनसंर्पक आयुक्त अनुपम राजन से संपर्क का प्रयास किया गया, मगर वे उपलब्ध नहीं हुए। सम्मेलन से पहले ही इस आयोजन पर राजनीति का रंग चढ़ने लगा है, अब सबकी नजर इस बात पर है कि यह आयोजन सिर्फ हिंदी तक केंद्रित रहेगा या कुछ और संदेश दे जाएगा।

नेशनल

कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा- आप गलती मानते हैं, बोले- सवाल ही उठता, मेरे पास बेगुनाही के सारे सबूत

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नई दिल्ली। महिला पहलवानों से यौन शोषण मामले में भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह मंगलवार को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश हुए। कोर्ट ने उन्हें उनके खिलाफ तय किए आरोप पढ़कर सुनाए। इसके बाद कोर्ट ने बृजभूषण से पूछा कि आप अपने ऊपर लगाए गए आरोप स्वीकार करते हैं? इस पर बृजभूषण ने कहा कि गलती की ही नहीं मानने का सवाल ही नहीं उठता। इस दौरान कुश्ती संघ के पूर्व सहायक सचिव विनोद तोमर ने भी स्वयं को बेकसूर बताया। तोमर ने कहा कि हमनें कभी भी किसी पहलवान को घर पर बुलाकर न तो डांटा है और न ही धमकाया है। सभी आरोप झूठे हैं।

मीडिया द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या आरोपों के कारण उन्हें चुनावी टिकट की कीमत चुकानी पड़ी, इस पर बृजभूषण सिंह ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मेरे बेटे को टिकट मिला है।” बता दें कि उत्तर प्रदेश से छह बार सांसद रहे बृजभूषण शरण सिंह को इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया है। पार्टी उनकी बजाय, उनके बेटे करण भूषण सिंह को कैसरगंज सीट से टिकट दिया है, जिसका बृजभूषण तीन बार प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।

बृजभूषण सिंह ने सीसीटीवी रिकाॅर्ड और दस्तावेजों से जुड़े अन्य विवरण मांगने के लिए बृजभूषण सिंह ने आवेदन दायर किया है। उनके वकील ने कहा कि उनके दौरे आधिकारिक थे। मैं विदेश में उसी होटल में कभी नहीं ठहरा जहां खिलाड़ी स्टे करते थे। वहीं दिल्ली कार्यालय की घटनाओं के दौरान भी मैं दिल्ली में नहीं था। बता दें कि कोर्ट इस मामले में जल्द ही अपना फैसला सुना सकता है। कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि एमपी-एमएलए मामलों में लंबी तारीखें नहीं दी जाएं। हम 10 दिन से अधिक की तारीख नहीं दे सकते।

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