आध्यात्म
विश्व पुस्तक मेला : बच्चों की स्वीडिश किताबें हिंदी में आईं
नई दिल्ली, 9 जनवरी (आईएएनएस)| नई दिल्ली में आयोजित विश्व पुस्तक मेले के चिल्ड्रेंस पवेलियन में मंगलवार को बच्चों के लिए वो पल यादगार बन गया, जब बच्चों की तीन प्रसिद्ध स्वीडिश किताबों को हिंदी में लॉन्च किया गया।
इन पुस्तकों का विमोचन स्वीडन के राजदूत क्लास मोलिन और स्वीडिश लेखिका जुज्जा वीसलंेडर ने किया गया। विमोचन की गई पुस्तकें हैं- मेरा फार्ट मम्मा मू और क्राकन्सा गेर (कव्वा बोला ना!) दोनों पुस्तकें जुज्जा वीसलंेडर द्वारा लिखित और स्वेन नोर्डक्विस्ट द्वारा चित्रित हैं। तीसरी पुस्तक है- काले ओच एल्सा (किट्टू और इला) जो जैनी एवं जेसस वैरोना द्वारा लिखित है।
मम्मा मू सीरीज बोलने वाली गाय और उसके सबसे अच्छे दोस्त कौवे के बारे में है, जो पास ही के जंगलों में रहता है। इस सीरीज को दुनिया भर के बच्चे पसंद करते हैं और इसे 30 से ज्यादा भाषाओं में अनुवादित किया जा चुका है। मम्मा मू सीरीज के 10 टाइटल हैं- इनमें से भारत में 8 टाइटल हिंदी में और 2 अंग्रेजी में उपलब्ध हैं।
मिस जुज्जा वीसलंेडर ने कहा, मैं नई दिल्ली के इस पुस्तक मेले में आना चाहती थी और मम्मा मू एंड क्रॉ को लेकर बच्चों का उत्साह देखना चाहती थी। ए एंड ए बुक ट्रस्ट अब इस सीरीज में सातवां और आठवां अंक जारी कर रही है। पुस्तक को 30 से ज्यादा भाषाओं में अनूदित किया जा चुका है और मुझे उम्मीद है कि इसे कई अन्य भारतीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा।
जुज्जा वीसलंेडर स्वीडिश भाषा में बच्चों की पुस्तकें लिखती हैं तथा स्वीडिश चिल्ड्रन्स बुक एकेडमी की सदस्य भी हैं। मम्मा मू उनकी सबसे लोकप्रिय सीरीज हैं, जो कई भाषाओं में युरोप में भी लॉन्च की जा चुकी है। इन कहानियों को रेडियो शो और बच्चों की फिल्मों में भी पेश किया जाता है। पुस्तकों को कई पुरस्कार और सम्मान मिल चुके हैं।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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