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हेल्थ

विश्व के पहले डेंगू रोधी टीके से भारत को बड़ी उम्मीदें

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मेक्सिको सिटी/नई दिल्ली। मेक्सिको सरकार ने दुनिया के पहले डेंगू रोधी टीके को मंजूरी दे दी है और इसके साथ ही हर साल डेंगू का प्रकोप झेलने वाले भारत में इस टीके को लेकर उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस टीके को नौ से 45 वर्ष तक की आयु के लोगों में डेंगू के चारों तरह के संक्रमण से बचाव के लिए तैयार किया गया है।

‘डेंगवैक्सिया’ नामक इस टीके को फ्रांस की औषधि निर्माता कंपनी सनोफी पाश्च्योर ने तैयार किया है। पिछले दो दशकों से गहन नैदानिक प्रयोगों के बाद इस टीके के अंतिम स्वरूप को मंजूरी दी गई। सनोफी के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी ओलिवियर ब्रांडीकोर्ट ने बुधवार को जारी बयान में कहा, “आज डेंगवैक्सिया को मंजूरी मिलने के साथ हमने डेंगू से बचाव के लिए टीके की खोज का लक्ष्य हासिल कर लिया है।”

उन्होंने कहा, “यह हमारी कंपनी और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए काम करने वाले वैश्विक समुदाय के लिए ऐतिहासिक क्षण है और सबसे बढ़कर डेंगू के खतरे की जद में आने वाली दुनिया की आधी आबादी के लिए भी यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।” दक्षिणी अमेरिका और एशिया के उष्टकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय देशों के डेंगू के सर्वाधिक जोखिम वाले इलाकों में निवास करने वाली करीब 40 करोड़ की आबादी डेंगू से पीड़ित है, वहीं भारत में इस साल डेंगू का सर्वाधिक प्रकोप देखने को मिला। अक्टूबर तक सिर्फ नई दिल्ली में ही डेंगू से 32 लोगों की मौत हो गई।

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, नई दिल्ली में अक्टूबर में डेंगू के मामलों की कुल संख्या 12,000 से ऊपर पहुंच गई, जो पिछले 19 वर्षो में सर्वाधिक है। राज्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में इस वर्ष डेंगू से अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है। यहां डेंगू से आखिरी मृत्यु पांच नवंबर को हुई थी।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने डेंगू के सर्वाधिक खतरे वाले देशों को 2020 तक डेंगू से होने वाली मृत्यु में 50 प्रतिशत तक कमी लाने और संक्रमण में 25 प्रतिशत तक कमी लाने का आह्वान किया है। डेंगवैक्सिया को औषधि विज्ञान के क्षेत्र में बेहद अहम नवाचार और सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है।

योग एवं आयुर्वेद

ये वर्कआउट्स डिप्रेशन से लड़ने में हैं मददगार, मूड को रखते हैं हैप्पी  

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नई दिल्ली। भागमभाग वाली जीवनशैली, काम का बोझ, खानपान व अन्य तनावों के चलते आजकल लोग डिप्रेशन में आ जाते हैं, जिसके चलते कभी-कभी हादसे भी हो जाते हैं। डिप्रेशन से लड़ने में कई वर्कआउट्स काफी मददगार साबित हो सकते हैं। तो आइए जानते हैं, डिप्रेशन में किस तरह के वर्कआउट्स फायदेमंद हैं-

  1. रनिंग

रनिंग करने से बॉडी में डोपामाइन और सेरोटोनिन जैसे हॉर्मोन्स का सिक्रिशन होता है और कोर्टिसोल का लेवल घटता है जो स्ट्रेस बढ़ाने वाला हॉर्मोन होता है। तनाव की स्थिति में ये हॉर्मोन ज्यादा बनने लगता है, तो रनिंग इसे कम करने में प्रभावी है। रनिंग से मसल्स बनने के साथ ही हार्ट व ब्रेन भी हेल्दी रहता है।

  1. वेट लिफ्टिंग

वेट लिफ्टिंग के जरिए भी हल्के-फुल्के तनाव और अवसाद के लक्षणों से निपटा जा सकता है। वेट ट्रेनिंग के दौरान पूरा फोकस हाथों और शरीर पर होता है बाकी दूसरी चीज़ों पर ध्यान ही नहीं जाता। वेट लिफ्टिंग से मसल्स टोन्ड और स्ट्रॉन्ग होती है। ओवरऑल बॉडी फिट नजर आती है।

  1. योगा

बिना दौड़भाग के की जाने वाली बहुत ही बेहतरीन फिजिकल एक्टिविटी है योगा। तरह-तरह के शारीरिक मुद्राएं, ब्रीदिंग एक्सरसाइज और मेडिटेशन शरीर के साथ आपके दिमाग पर भी काम करती हैं। तनाव दूर करने के लिए मेडिटेशन का सुझाव एक्सपर्ट्स भी देते हैं। योग के महज 1/2 घंटे के अभ्यास से ही आपको अच्छा फील होगा।

  1. धूप का सेवन

धूप का सेवन तनाव, चिंता और अवसाद को दूर रखने में मददगार होता है। धूप से बॉडी में सेरोटोनिन का प्रोडक्शन होता है जो मूड को हैप्पी रखता है।

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डिस्क्लेमर: उक्त लेख सिर्फ सूचना मात्र हैं। अपनाने से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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