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विश्व कप : गेंदबाजी में अब तक की 5 सर्वश्रेष्ठ पारियां
नई दिल्ली | क्रिकेट का महाकुंभ आईसीसी विश्व कप-2015 शुरुआती दौर से थोड़ा ही आगे बढ़ा है और दिग्गज भारतीय बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर के शब्दों में अभी विश्व कप का रोमांच और बढ़ेगा, लेकिन इस छोटे से सफर में भी कुछ खिलाड़ियों ने अपने जानदार प्रदर्शन के बल पर मैच का रुख पलट दिया है। अपने चाहने वालों के बीच बल्लेबाजी को लेकर अधिक प्रशंसित इस खेल में कई बार कुछ गेंदबाज भी ऐसा कर जाते हैं कि बल्ले से रनों का अंबार निकलता देखना पंसद करने वाले लोग भी उनकी हर गेंद पर वाह-वाह कर उठते हैं।
आइए नजर डालते हैं विश्व कप-2015 में अब तक की पांच सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी पारियों पर :
1. टिम साउदी (33/7) : कड़ी टक्कर देने वाली टीम से खिताब की प्रबल दावेदार का तमगा पा चुकी मेजबान न्यूजीलैंड के तेज गेंदबाज टिम साउदी ने न सिर्फ अपने करियर की सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी की, बल्कि विश्व कप के इतिहास में एक पारी में सर्वाधिक विकेट लेने के रिकॉर्ड की भी बराबरी कर डाली।
साउदी की इस धारदार पारी के बल पर न्यूजीलैंड ने इंग्लैंड की पारी 123 रनों पर समेट दी और आठ विकेट से शानदार जीत हासिल की।
2. जेरोम टेलर (15/3) : वेस्टइंडीज के इस युवा तेज गेंदबाज ने विश्व कप-2015 के अपने दूसरे और कुल 10वें मैच में पाकिस्तान के खिलाफ खतरनाक शुरुआत की और पाकिस्तान अपने शुरुआती चार विकेट मात्र एक रन पर गंवा बैठा। इन चार में तीन विकेट टेलर ने उखाड़े।
टेलर ने पाकिस्तान के पैर इस कदर उखाड़ दिए कि उनकी टीम यह मैच 150 रनों से जीतने में सफल रही।
3. हामिद हसन (45/3) : अफगानिस्तान के इस तेज गेंदबाज ने अपनी धारदार गेंदबाजी के बल पर श्रीलंका जैसी धुरंधर टीम को 233 रनों के मामूली लक्ष्य को हासिल करने में नाको चने चबवा दिए। अफगानिस्तान ने हसन की बदौलत एक समय श्रीलंका के 51 रनों पर चार विकेट चटका डाले थे। हसन ने अपनी इस नायाब पारी में वर्तमान क्रिकेट के दो सबसे अनुभवी धुरंधरों कुमार संगकारा और माहेला जयवर्धने के विकेट चटकाए।
4. मिशेल मार्श (33/5) : विश्व कप के उद्घाटन मैच में ही आस्ट्रेलिया के इस करिश्माई गेंदबाज ने पांच विकेट चटकाने की उपलब्धि हासिल कर ली और चिर प्रतिद्वंद्वी इंग्लैंड के खिलाफ अपनी टीम को जीत दिलाई।
5. मोहम्मद समी (35/4) : विश्व कप-2015 से पहले गेंदबाजी के लिए भारतीय टीम की चारों ओर से आलोचना हो रही थी, लेकिन मौजूदा चैम्पियन टीम के इस गेंदबाज ने दिखा दिया कि बड़े खिलाड़ी बड़े मैचों में क्या कर सकते हैं।
विश्व कप-2015 के अपने पहले ही बेहद दबाव वाले मैच में चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान के खिलाफ बेहद कसी हुई संतुलित गेंदबाजी की और यूनिस खान, मिस्बाह उल हक और शाहिद अफरीदी जैसे दिग्गजों के विकेट चटका अपनी टीम की जीत पक्की की
नेशनल
लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
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