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विश्व कप : एबी का ‘दूसरा सबसे तेज’ शतक, द. अफ्रीका ने बनाए 408 रन

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सिडनी | कप्तान अब्राहम डिविलियर्स (नाबाद 162) के विश्व कप इतिहास के दूसरे सबसे तेज शतक की बदौलत दक्षिण अफ्रीका ने शुक्रवार को सिडनी क्रिकेट मैदान पर जारी आईसीसी विश्व कप-2015 के पूल-बी के अपने तीसरे मुकाबले में वेस्टइंडीज के सामने 409 रनों का लक्ष्य रखा है। टॉस जीतकर पहले बल्लेबाजी करने उतरी द. अफ्रीकी टीम ने निर्धारित 50 ओवरों में पांच विकेट पर 408 रन बनाए। यह विश्व कप में उसका सर्वोच्च स्कोर है जबकि विश्व कप इतिहास का दूसरा सबसे बड़ा स्कोर है। सबसे बड़े स्कोर का रिकार्ड भारत के नाम है, जिसने 2007 में बरमुडा के खिलाफ पांच विकेट पर 413 रन बनाए थे।

दक्षिण अफ्रीका के लिए डिविलियर्स के अलावा तीन बल्लेबाजों ने अर्धशतक लगाए। हाशिम अमला ने 65, फाफ दू प्लेसिस ने 62 और रिली रोसू ने 61 रनों का योगदान दिया। डेविड मिलर ने भी 20 रनों की तेज पारी खेली। डिविलियर्स ने विश्व कप में अपना चौथा शतक लगाया। उन्होंने 52 गेंदों पर शतक पूरा किया। यह विश्व कप इतिहास का दूसरा सबसे तेज और द. अफ्रीका के लिए सबसे तेज शतक है। विश्व कप में सबसे तेज शतक का रिकार्ड आयरलैंड के केविन ओ ब्रायन के नाम है, जिन्होंने 2011 में इंग्लैंड के खिलाफ 50 गेंदों पर सैकड़ा पूरा किया था। डिविलियर्स विश्व कप में चार या उससे अधिक शतक लगाने वाले छठे बल्लेबाज बन गए हैं। सबसे अधिक शतक भारत के सचिन तेंदुलकर (6) के नाम हैं। रिकी पोंटिंग ने पांच शतक लगाए हैं जबकि डिविलियर्स, सौरव गांगुली, मार्क वॉ और माहेला जयवर्दने ने अब तक चार-चार शतक लगाए हैं। बहरहाल, दक्षिण अफ्रीका की शुरुआत अच्छी नहीं रही। उसने 18 रन के कुल योग पर ही क्विंटन दे कॉक (12) का विकेट गंवा दिया लेकिन इसके बाद प्लेसिस और अमला ने दूसरे विकेट के लिए 127 रन जोड़कर स्थिति को सम्भालने का काम किया। प्लेसिस 70 गेंदों पर तीन चौके लगाने के बाद 127 के कुल योग पर आउट हुए।

दो गेंद के अंतराल के बाद दक्षिण अफ्रीका ने अमला का भी विकेट गंवा दिया। क्रिस गेल ने प्लेसिस और अमला को एक ही ओवर में आउट करके बड़ा झटका दिया। अमला ने 88 गेंदों पर एक चौका और एक छक्का लगाया। अमला की विदाई के बाद रोसू और एबी ने चौथे विकेट के लिए तेजी से 134 रन जुटाए। यह साझेदारी सिर्फ 12.3 ओवरों का नतीजा रही और इस दौरान 10.72 के औसत से रन बने। रोसू 39 गेंदों का सामना कर छह चौके और एक छक्का लगाकर 280 के कुल योग पर आउट हुए। इसके बाद डेविड मिलर ने कप्तान का अच्छा साथ दिया। दोनों ने पांचवें विकेट के लिए 48 रन जोड़े। मिलर को 328 के कुल योग पर आंद्रे रसेल ने आउट किया।

मिलर की विदाई के बाद एबी और फहरान बेहरादीन (नाबाद 10) ने 20 गेंदों पर 80 की साझेदारी करते हुए स्कोर को 400 के पार पहुंचा दिया। डिविलियर्स ने विश्व कप इतिहास का सबसे तेज 150 रन बनाए। डिविलियर्स ने 66 गेंदों का सामना कर 17 चौके और आठ छक्के लगाए। उन्होंने सिर्फ 64 गेंदों पर 150 रन पूरे किए। डिविलियर्स ने अपना सर्वोच्च व्यक्तिगत योग हासिल किया। वेस्टइंडीज का यह चौथा मुकाबला है। उसने अब तक खेले गए तीन मुकाबलों में से दो में जीत हासिल की है जबकि एक में उसे हार मिली है। अपने पहले ही मैच में आयरलैंड के हाथों चौंकाने वाली हार झेलने वाली कैरेबियाई टीम ने दूसरे मैच में पाकिस्तान को हराया और फिर से जिम्बाब्वे पर जीत हासिल की।

कैरेबियाई टीम पूल-बी में चार अंकों के साथ दूसरे स्थान पर है। भारत के भी चार अंक हैं लेकिन बेहतर नेट रन रेट के कारण वह पहले स्थान पर है। द. अफ्रीकी टीम तालिका में चौथे स्थान पर है। उसके पास दो अंक हैं। द. अफ्रीका ने अब तक दो मुकाबले खेले हैं। उसने अपने पहले मैच में जिम्बाब्वे को हराया था लेकिन दूसरे मुकाबले में उसे भारत के हाथों 130 रनों से करारी शिकस्त झेलनी पड़ी थी।

नेशनल

लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी

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सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ

हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।

एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।

लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।

जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।

हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।

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