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पीएम से मिलना चाहते हैं पूर्व सैन्यकर्मी, आंदोलन तेज करने की चेतावनी

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नई दिल्ली। वन रैंक, वन पेंशन (ओआरओपी) की मांग कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों ने शुक्रवार को कहा कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलना चाहते हैं। साथ ही उन्होंने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे आंदोलन तेज करेंगे। अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शनरत पूर्व सैनिकों का कहना है कि उन्होंने प्रधानमंत्री को पांच बार पत्र लिखकर मुलाकात के लिए समय मांगा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) सतबीर सिंह ने कहा, “हमने प्रधानमंत्री को पांच बार खत लिखा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। हम उनसे मिलना चाहते हैं।” इससे पहले, प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगें पूरी नहीं होने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार वन रैंक, वन पेंशन पर एकतरफा घोषणा करने की योजना बना रही है, लेकिन सरकार को इसके प्रावधानों को कमजोर नहीं करने दिया जाएगा। दिल्ली में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे पूर्व सैन्यकर्मियों को संबोधित करते हुए सतबीर सिंह ने कहा कि वे ‘अन्याय’ के खिलाफ लड़ रहे हैं, उनका मुकाबला किसी भी सरकार या राजनीतिक पार्टी से नहीं है।

उन्होंने कहा कि लोक सेवकों से अलग सिर्फ एक फीसदी सैन्यकर्मी ही 60 वर्ष की उम्र तक सेवा में रहते हैं। सैन्यकर्मियों में लगभग 85 फीसदी 40 वर्ष की उम्र से पहले ही सेवानिवृत्त हो जाते हैं। सतबीर सिंह ने कहा, “हमारी मांगों के अनुरूप ओआरओपी नहीं दी गई, तो हम आंदोलन तेज करेंगे।” उन्होंने हालांकि यह भी कहा कि वे कुछ हद तक समझौते के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, “यदि सरकार की घोषणा हमारे हितों के विरुद्ध होगी, तो हम उसका विरोध करेंगे।” सतबीर ने जंतर-मंतर के प्रदर्शन स्थल को ‘सैनिक संसद’ कहा।

उनके संबोधन के दौरान सैकड़ों पूर्व सैन्यकर्मी ‘भारत माता की जय’ और ‘सैनिक एकता जिंदाबाद’ के नारे लगाते रहे। वन रैंक, वन पेंशन की मांग को लेकर पूर्व सैन्यकर्मियों ने जून में प्रदर्शन शुरू किया था। कुछ पूर्व सैन्यकर्मी 17 अगस्त से ही भूख हड़ताल पर हैं। उनके साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए देश के 60 अन्य शहरों में भी क्रमिक भूख हड़ताल की जा रही है।

सूत्रों का कहना है कि वन रैंक, वन पेंशन योजना के कुछ प्रमुख बिंदुओं पर पूर्व सैन्यकर्मियों से मतभेदों के बावजूद सरकार इस योजना के बारे में सार्वजनिक घोषणा करने का मन बना चुकी है। सूत्रों के अनुसार, योजना का मसौदा तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इसे सार्वजनिक करने की संभावना है। सरकार ने पेंशन के निर्धारण के लिए वर्ष 2013 को आधार वर्ष बनाया है। इसे जुलाई 2014 से लागू किया जाएगा।

सूत्रों का कहना है कि इन दोनों बिंदुओं पर सरकार और पूर्व सैन्यकर्मियों के बीच सहमति बन गई है। लेकिन सरकार ने पेंशन समीक्षा पांच साल में एक बार करने पर सहमति जताई है, जिससे पूर्व सैन्यकर्मी सहमत नहीं हैं। पूर्व सैन्यकर्मी दो साल में एक बार इस पर पुनर्विचार की मांग कर रहे हैं।

नेशनल

पश्चिम बंगाल के श्रीरामपुर में बोले अमित शाह, पीओके भारत का है और हम इसे लेकर रहेंगे

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श्रीरामपुर। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पश्चिम बंगाल के हुगली के श्रीरामपुर में एक जनसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी और ममता बनर्जी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ये पीओके भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा कि ममता बनर्जी, कांग्रेस-सिंडिकेट कहती है कि धारा 370 को मत हटाओ। मैंने संसद में पूछा कि क्यों न हटाएं तो उन्होंने कहा कि खून की नदियां बह जाएंगी। 5 साल हो गए खून कि नदियां छोड़ो किसी की कंकड़ चलाने की हिम्मत नहीं है। जब INDI गठबंधन का शासन था तो हमारे कश्मीर में हड़तालें होती थीं। आज पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में हड़ताल होती है। पहले कश्मीर में आजादी के नारे लगते थे, अब पाक अधिकृत कश्मीर में नारेबाजी होती है। राहुल गांधी, आपको डरना है तो डरते रहिए, ममता बनर्जी आपको डरना है तो डरते रहिए लेकिन मैं आज श्रीरामपुर की धरती से कहता हूं कि ये पाक अधिकृत कश्मीर भारत का है और हम उसे लेकर रहेंगे।

अमित शाह ने कहा आने वाले चुनाव में आप सभी वोट डालने वाले हैं। इस चुनाव में एक ओर परिवारवादी पार्टियां हैं जिसमें ममता बनर्जी अपने भतीजे को, शरद पवार अपनी बेटी को, उद्धव ठाकरे अपने बेटे को, स्टालिन अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं और सोनिया गांधी, राहुल बाबा को पीएम बनाना चाहती हैं। वहीं दूसरी ओर गरीब चाय वाले के घर में जन्में इस देश के महान नेता नरेन्द्र मोदी जी हैं।

नरेन्द्र मोदी जी ने बंगाल के विकास के लिए ढेर सारे कार्य किए हैं। मैं ममता दीदी से पूछना चाहता हूं कि 10 साल तक आपके लोग सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार में मंत्री रहे, लेकिन सोनिया-मनमोहन सिंह की सरकार ने बंगाल के विकास के लिए क्या किया। उनकी सरकार ने 10 साल में बंगाल के विकास के लिए मात्र 2 लाख करोड़ रुपये दिए। जबकि मोदी जी ने 10 साल में 9 लाख, 25 हजार करोड़ रुपये देने का काम किया।

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