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लालू, राबड़ी का सरकारी जमीन पर है कब्जा : सुशील मोदी
पटना, 30 मई (आईएएनएस)| भारतीय जनता पाार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद और उनके परिजनों पर आरोप लगाने का सिलसिला जारी रखते हुए मंगलवार को उन पर गैर कानूनी तरीके से सरकारी जमीन पर कब्जा जमाने का आरोप लगाया। विपक्षी नेता ने कहा कि लालू प्रसाद का अभी समिति के पांच भूखंडों पर कब्जा है। उन्होंने बिहार सांसद एवं विधान मंडलीय सदस्य सहकारी गृह निर्माण समिति से प्लॉट लिया है।
मोदी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए दस्तावेज दिखाते हुए दावा किया कि समिति की प्लॉट संख्या 207, 208, 209, 210 तथा 211 यानी कुल पांच प्लॉट अभी लालू प्रसाद के कब्जे में हैं।
उन्होंने पत्रकारों से कहा, सहकारी समिति के प्रावधान के अनुसार किसी भी सदस्य को एक से अधिक प्लॉट लेने की अनुमति नहीं दी जाती है। ऐसे में राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री रहते पद का दुरुपयोग कर पहले पूर्व मंत्री सुधा श्रीवास्तव से प्लॉट नंबर 151 लिखवा लिया और फिर अब्दुल बारी सिद्दीकी से अदला-बदली के नाम पर प्लॉट नंबर 209 अपने नाम करवा लिया।
उन्होंने बताया कि समिति द्वारा सामुदायिक भवन के लिए सुरक्षित रखे गए प्लॉट नंबर 210 को भी लालू के रिश्तेदार साधु यादव को बेच दिया गया।
मोदी ने आरोप लगाया कि राजद नेता प्रेमचंद्र गुप्ता को भी एक प्लॉट संख्या 211 बिना आवंटन के ही दे दिया गया। इसी तरह प्लॉट नंबर 207 बादशाह आजाद से मात्र 37 हजार रुपये का भुगतान कर लालू परिवार ने अपने नाम करवा लिया।
उन्होंने दावा किया कि इस प्रकार लालू प्रसाद का आज भी पांच प्लॉटों पर व्यावहारिक रूप से कब्जा है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने दावा किया कि लालू प्रसाद के करीबी जयप्रकाश यादव ने अध्यक्ष पद का दुरुपयोग कर एक प्लॉट 222 रहते प्लॉट नंबर 223 भी अपने नाम करवा लिया।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार की यह जमीन खास महल की जमीन थी, जिसका इस्तेमाल आवास के लिए होना था, लेकिन लालू सहित उनके चाहने वाले उस भूभाग का इस्तेमाल व्यावससायिक रूप से कर रहे हैं, जो नियम विरुद्ध है।
मोदी ने राज्य सरकार से इस अनियमितता के खिलाफ कारवाई करने की मांग करते हुए कहा कि सरकार को लालू से हर्जाना वसूलना चाहिए तथा समिति पर तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि आज समिति पर 95 प्रतिशत राजद का कब्जा है।
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लोकसभा के शोले और रहीम चाचा की खामोशी
सच्चिदा नन्द द्विवेदी एडिटर-इन-चीफ
हिन्दी सिनेमा की कालजई फिल्म शोले के रहीम चाचा का किरदार आपको जरूर याद होगा। उनका एक डायलॉग था जिसमें वो कहते है “इतना सन्नाटा क्यूँ है भाई” उस वक्त पूरे रामगढ़ में किसी के पास इसका जवाब नहीं था, कमोवेश ठीक वैसे ही हालात इस वक्त लोकसभा चुनाव में नजर आ रहे हैं। लोकसभा के चुनाव के दो चरण पूरे हो चुके हैं पर पूरे देश में कहीं भी ऐसा नजर नहीं आता कि हम अगले पाँच साल के लिए अपने नुमाइंदे चुनने जा रहे हैं। एक अजीब खामोशी नुमायाँ है। गांव, कस्बों और शहरों तक में होर्डिंग और पोस्टर नजर नहीं आ रहे हैं और न ही कानफोडू लाऊडस्पीकर पर वोट मांगने वालों का शोर सुनाई दे रहा है, चाय की टपरी और पान के खोखों पर जमा होने वाली भीड़ अपने होंठों को सिले हुए है।
एक वक्त था जब हम लोग चाय की टपरी, पान की दुकान और रास्तों के ढाबों से देश का मूड भांप लेते थे। मतदाताओं के मन में क्या चल रहा है इसका अंदाज लगाना आसान था। लेकिन आज स्थिति उलट है इन जगहों पर खड़ा आम आदमी आपसे ही उल्टा पूछ लेता है ‘और क्या चल रहा है’ इंसान-इंसान के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी हो गई है कि वो पब्लिक प्लेस पर अब राजनीतिक बात करने से गुरेज करने लगा है। वोटर अपने मन की बात जुबान पर नहीं लाना चाहता हैं क्यूंकी अब वो रेडियो पर ‘मोदी जी’ के मन की बात सुन रहा है और अपने मन की बात अपने मन में रखे हुए है। उसे डर है और ये डर मिश्रित चुप्पी स्वस्थ लोकतंत्र के लिए अच्छा लक्षण नहीं है।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण की तरह दूसरे चरण में भी वोटिंग 2019 के मुकाबले कम हुई है। पहले चरण में 21 राज्यों की 102 लोकसभा सीटों पर 64 प्रतिशत वोटिंग हुई थी। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन सीटों पर भी 70 प्रतिशत से ज्यादा मतदान हुआ था। ऐसे ही इस बार दूसरे चरण में 13 राज्यों की 88 लोकसभा सीटों पर करीब 63 फीसदी वोट पड़े। यह 2019 के लोकसभा चुनाव में 70.09% मतदान के मुकाबले काफी कम था। यूपी, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में वोटिंग उम्मीद से काफी कम रही। यूपी में 54.85%, बिहार में 55.08% , महाराष्ट्र में 57.83% , एमपी में 57.88 % वोटिंग हुई। सबसे अधिक वोट त्रिपुरा, मणिपुर, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल में पड़े। लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण में सात मई को वोटिंग है। इसमें 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 95 सीट पर मतदान होगा, जिसके लिए 1351 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं।
जब 7 मई, 13 मई, 20 मई, 25 मई और 1 जून को तीसरे, चौथे, पांचवे, छठे और सातवें चरण का मतदान होगा तो इस दौरान देश के अधिकतर हिस्सों में गर्मी के साथ लू का असर दिखाई देगा। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान लगभग 72% निर्वाचन क्षेत्रों में अधिकतम तापमान 35°C या इससे अधिक हो सकता है। विशेष रूप से, 59 सीटों पर 40-42 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान का सामना करना पड़ सकता है। जबकि 194 सीटों पर 37.5-से 40 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान देखा जा सकता है। लेकिन इस गर्मी के बीच क्षेत्रीय दलों के नेता काफी तेजी से अपने इलाके के मतदाताओं पर पकड़ बना रहे हैं और उन सवालों को उठा रहे हैं जिनसे देश का किसान, मजदूर और नौजवान चिंतित है। इसलिए उनके प्रति आम जनता की अपेक्षाएं बढ़ी हैं इसलिए विपक्षी गठबंधन के नेताओं की रैलियों में भारी भीड़ आ रही है। जबकि भाजपा की रैलियों का रंग उसके मुकाबले फीका नजर या रहा है।
हालांकि रैली में आने वाली भीड़ जीत का पैमाना नहीं होती इसलिए कुछ कहा नहीं जा सकता। हर दल का अपना एक समर्पित काडर होता है। जबकि आज काडर के नाम पर ज्यादातर दलों के पास सत्ता के छत्ते से चिपकी रहने वाली मधुमक्खी ही ज्यादा नजर या रहीं है ये वो लोग हैं जिन्हें सत्ता की दलाली करने के अवसरों की तलाश होती है। राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ जिसके पास काडर है कार्यकर्ता हैं वो भी खामोश नजर आ रहा है। बहरहाल लगातार कम होते मतदान ने नेताओं की धुकधुकी बढ़ा रखी है। सत्ता पक्ष मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए परेशान है तो विपक्ष कम प्रतिशत को अपने पक्ष में मानकर मुंगेरीलाल के सपने बुनने में मगन है।
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