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मार्च तक लखनऊ मेट्रो में सफर कर सकेंगे लोग, अब बनारस में अहम चुनौती : कुमार केशव

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Kumar-Keshavनई दिल्ली। दिल्ली मेट्रो में लगभग 10 साल की सफल पारी के बाद इस परियोजना से जुड़े लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (एलएमआरसी) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव लखनऊवासियों को नए साल की सौगात सौंपने जा रहे हैं। लखनऊ मेट्रो का दिसंबर से ट्रायल शुरू हो रहा है और इसके अगले साल मार्च तक पटरी पर दौडऩे की योजना है। वह बनारस मेट्रो को अहम चुनौती मानते हैं।

उत्तर प्रदेश में लखनऊ के बाद कानपुर में भी मेट्रो परियोजना पर काम शुरू हो गया है। वाराणसी, आगरा और मेरठ भी जल्दी ही मेट्रो की जद में आने जा रहे हैं, लेकिन किसी शहर में मेट्रो लाइन बिछाना कतई आसान नहीं होता।

कुमार केशव ने लखनऊ मेट्रो परियोजना से जुडऩे के सफर के बारे में पूछने पर बताया, इससे जुडऩे की घटना भी बहुत दिलचस्प है। मैं दिल्ली मेट्रो को छोडऩे के बाद परिवार के साथ आस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गया था, लेकिन आस्ट्रेलिया की कंपनी हैंकॉक प्रॉस्पैक्टिंग ने इस परियोजना के लिए मुझे चुना। मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि मैं कभी शहरी परिवहन क्षेत्र में वापस आ पाऊंगा, लेकिन मैं श्रीधरन को ना नहीं कह सकता था तो इस परियोजना से जुडऩे का फैसला किया।

वह आगे कहते हैं, लखनऊ मेट्रो की शुरुआत सितंबर 2014 में हुई। मैंने 18 अगस्त 2014 को इसकी कमान संभाली। हालांकि, मैंने 2010 में ही दिल्ली मेट्रो का साथ छोड़ दिया था, लेकिन उन साढ़े 10 वर्षो का अनुभव लखनऊ मेट्रो में बहुत काम आया।

दिल्ली मेट्रो में लगभग 10 वर्षो तक चीफ प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर तैनात रहे कुमार केशव मूल रूप से लखनऊ के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया, मैं लखनऊ का रहने वाला हूं, इसलिए इस परियोजना से दिल से जुड़ा हुआ है। यह मेरा अपना शहर है और मैंने शुरू से ही मन में ठान लिया था कि कुछ तो करना है।

यह पूछने पर कि लखनऊ मेट्रो परियोजना के दौरान किन-किन दिक्कतों का सामना करना पड़ा, इस पर वह कहते हैं, जब मैं लखनऊ मेट्रो से जुड़ा तो हम सिर्फ पांच लोग ही थे। बहुत ही छोटा समूह था। हमने अपने निजी स्तर पर भी काम किया। हमने चरणबद्ध तरीके से काम करना शुरू किया। हमारे सामने सबसे बड़ी समस्या यूटिलिटी की थी।

उन्होंने कहा, लखनऊ जैसे शहर में लोगों ने कभी मेट्रो की कल्पना भी नहीं की थी। तंग स्थान पर मेट्रो पिलर खड़ा करना आसान काम नहीं था। सडक़ों को चौड़ा करने का काम पसीने छुड़ा देने वाला था। हजरतगंज में भूमिगत काम करना सबसे बड़ी चुनौती रही। हालांकि, स्थानीय लोगों और मीडिया का भरपूर साथ मिला। वह कहते हैं, हमने इस परियोजना के लिए दिन-रात काम किया है। छुट्टियों के दिन लोगों से मिलकर चर्चाएं की हैं। उनकी राय जानी है, जानकारी इक_ा की है।

उन्होंने बताया, दिल्ली और लखनऊ की भौगोलिक स्थितियों में खासा अंतर है। दिल्ली में संसाधनों की कमी नहीं है। यहां हर तरह की सुविधाएं हैं, लेकिन लखनऊ में इसका अभाव है। कुमार केशव कहते हैं, लखनऊ मेट्रो के ट्रायल की समयसीमा तीन महीने निर्धारित की गई है। दिसंबर में पहली मेट्रो का ट्रायल शुरू किया जाएगा। ट्रायल में सफल होने के बाद रेलवे प्रशासन इस पर मुहर लगाएगा। इसके बाद इसे जनता के लिए खोल दिया जाएगा। ट्रायल में पहले खाली ट्रेन और बाद में भीड़ भरी ट्रेन चलाई जाएंगी। मेट्रो की गति और हर पैमाने पर नजर होगी। हमने 26 मार्च को पहली ट्रेन चलाने का समय तय किया है।

यह बात छेडऩे पर कि पूर्व में लखनऊ मेट्रो को लेकर केंद्र सरकार के असहयोग की खबरें भी सुनने को मिली थीं, कुमार ने कहा, इस परियोजना को केंद्र से हरी झंडी मिल चुकी है। इस पर कोई संशय नहीं होना चाहिए। केंद्र सरकार के साथ फंडिंग को लेकर कुछ दिक्कतें जरूर थीं, जिसे सुलझा लिया गया है।

वह लखनऊ मेट्रो के अलावा कानपुर, वाराणसी, आगरा और मेरठ मेट्रो पर भी काम कर रहे हैं। वह कहते हैं, इन चारों योजनाओं को केंद्र और राज्य दोनों सरकारों से मंजूरी मिल चुकी है। कानपुर मेट्रो का चार अक्टूबर से काम भी शुरू हो गया है। इसकी नींव पड़ चुकी है। डिपो निर्माण का काम भी शुरू हो गया है।

कुमार हालांकि बनारस मेट्रो के बारे में कहते हैं कि इस परियोजना में खासी दिक्कतें आने वाली हैं, क्योंकि यह परियोजना 29 किलोमीटर से लेकर 250 किलोमीटर तक भूमिगत होगी। बनारस की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यह काफी मुश्किल होगा। कुमार केशव कहते हैं, मौजूदा चरण में लखनऊ मेट्रो 8.5 किलोमीटर लंबी है। इसके बाद भूमिगत कार्य होने जा रहे हैं। मार्च 2019 तक 24 किलोमीटर तक की लाइन संचालनरत होगी। इसके साथ ही हम दूसरे कॉरीडोर के प्रस्ताव को लेकर सरकार के पास जाने वाले हैं।

परियोजना की लागत के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि इस परियोजना की कुल लागत 6,880 करोड़ रुपये है। परियोजना में केंद्र सरकार की 20 फीसदी जबकि राज्य सरकार की 26 फीसदी हिस्सेदारी है। वहीं, 54 फीसदी यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से लोन लिया गया है।

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बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस का फंदे से लटकता मिला शव, वाट्सएप पर लगाया था ऐसा स्टेटस

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भागलपुर। बिहार के भागलपुर में भोजपुरी एक्ट्रेस अन्नपूर्णा उर्फ अमृता पांडेय की संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई मरने से पहले अमृता पांडे ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर लिखा है कि दो नाव पर सवार है उसकी जिंदगी…हमने अपनी नाव डूबा कर उसकी राह को आसान कर दिया। अमृता के इस स्टेटस से कयास लगाए जा रहे हैं कि उन्होंने सुसाइड किया है। हालांकि पुलिस अभी इस मामले पर कुछ भी बोलने से बच रही है। पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के असली कारणों का पता चलेगा।

परिवार वालों ने बताया कि करीब 3.30 बजे अमृता की बहन उसके कमरे में गई। वहां वह फंदे से लटकी हुई थी। आनन फानन में उसके फंदे से चाकू से काट​कर तत्काल परिवार वाले स्थानीय निजी अस्पताल ले गए, लेकिन वहां उसे मृत बता दिया गया। परिजनों ने बताया कि शुक्रवार की रात उन लोगों ने काफी मस्ती की थी। फिर अचानक से क्या हुआ। किसी को समझ नहीं आ रहा। परिजनों ने बताया कि अमृता की शादी 2022 में छत्तीसगढ़ के बिलासपुर निवासी चंद्रमणि झांगड़ के साथ हुई थी। वे मुंबई में एनिमेशन इंजीनियर हैं। अब तक उन लोगों को बच्चे नहीं हैं।

अमृता ने मशहूर भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव समेत कई दिग्गज कलाकारों के साथ काम किया है. साथ ही कई सीरियल, वेब सीरज और विज्ञापन में भी काम किया है। बहन के मुताबिक, अमृता कैरियर को लेकर काफी परेशान रहती थी। वह काफी डिप्रेशन में थी। इस वजह से वह इलाज भी करा रही थी। अमृता भोजपुरी फिल्मों के अलावा कुछ वेब सीरीज में काम में रही थी. हाल ही में अमृता की हॉरर वेब सीरीज प्रतिशोध का पहला भाग रीलिज हुआ है।

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