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मुख्य समाचार

यूपी : लमही में बनेगा प्रेमचंद शोध संस्थान

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विद्या शंकर राय

लमही (यूपी)। उत्तर प्रदेश सरकार ने विश्व प्रसिद्ध हिंदी कथा-सम्राट मुंशी प्रेमचंद के पात्रों को सहेजने की कवायद शुरू कर दी है। मुंशीजी की जन्मस्थली लमही में प्रेमचंद शोध संस्थान बनाया गया है, जहां उनकी अमर कहानी ‘कफन’ के पात्र घीसू और माधव के अलावा और भी कई पात्रों की मूर्तियां बनेंगी। इन्हीं मूर्त पात्रों के बीच बैठकर छात्र शोध कर सकेंगे।

यूपी सरकार ने तीन करोड़ रुपये की लागत से यह शोध संस्थान बनवाया है। इस संस्थान में प्रेमचंद द्वारा गढ़े गए पात्रों को मूर्तियों के रूप में साकार करने का अद्भुत प्रयास किया जा रहा है। यही नहीं, यहां होरी और जुम्मन मियां की वह कोठी भी दिखेगी, जिनके साथ बैठकी में प्रेमचंद ने कई कालजयी रचनाएं की थीं। प्रेमचंद जयंती के मौके पर 31 जुलाई, 2006 में उप्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने अपने कार्यकाल में ही इसकी घोषणा की थी। उस दिन यहां केंद्रीय मंत्री जयपाल रेड्डी और प्रख्यात साहित्यकार नामवर सिंह जैसी हस्तियां मौजूद थीं। उसी दिन यह तय किया गया था कि प्रेमचंद की किताबों के पात्रों को सहेजने का प्रयास किया जाएगा और इसके लिए प्रेमचंद शोध संस्थान बनवाया जाएगा।

वर्ष 2007 में हुए विधानसभा चुनाव में सपा सरकार की जगह बसपा की सरकार बन गई और यह परियोजना अधर में लटक गई। वर्ष 2012 में एक बार फिर जब समाजवादी पार्टी (सपा) सत्ता में आई तो शोध संस्थान के लिए तत्काल जमीन मुहैया कराई गई। अब यह संस्थान बनकर तैयार हो गया है। शोध संस्थान का निर्माण एक बीघे जमीन में हुआ है। दो मंजिले भवन में भूतल पर 250 लोगों के बैठने के लिए सभागार और प्रथम तल पर शोध केंद्र बनवाया गया है।

प्रेमचंद शोध संस्थान के निदेशक डॉ. कुमार पंकज ने बताया कि प्रथम तल पर ही एक हिस्से में पुस्तकालय और संग्रहालय बनाने का काम अभी चल रहा है। अक्टूबर में एक भव्य समारोह में इसका उद्घाटन कराने की तैयारी चल रही है। औपचारिक शुरुआत के बाद छात्र यहां प्रेमचंद की कालजयी रचनाओं पर शोध कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि फिलहाल संस्थान में रंगाई-पुताई का काम चल रहा है, जो अंतिम चरण में है।

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नेशनल

मोदी कैबिनेट: 71 सांसदों ने ली मंत्रिपद की शपथ, जातिगत समीकरण का रखा गया खास ध्यान

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नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी तीसरी बार भारत के प्रधानमंत्री बन चुके हैं। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाई। मोदी के साथ-साथ 71 सांसदों ने भी मंत्री पद की शपथ ली। इन 71 मंत्रियों में से 30 से कैबिनेट मंत्री, 5 स्वतंत्र प्रभार वाले और 36 ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली है। इनमें 27 ओबीसी से हैं जबकि 10 एससी वर्ग से आते हैं।

इसके साथ-साथ मोदी कैबिनेट में 18 सीनियर नेताओं को भी जगह दी गई है। दो पूर्व सीएम को भी मोदी सरकार में शामिल किया गया है। इसके साथ-साथ एनडीए सहयोगी दलों के कई सीनियर नेताओं को भी मंत्री बनाया गया है। बीजेपी ने जातिगत समीकरण को ध्‍यान में रखते हुए कैबिनेट का बंटवारा किया है। यहां जानें कौन से मंत्री किस वर्ग से हैं।

सवर्ण- अमित शाह, एस जयशंकर, मनसुख मांडविया, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, धर्मेन्‍द्र प्रधान, रवणीत बिट्टू, नितिन गड़करी, पीयूष गोयल, मनोहर लाल खट्टर, जितेंद्र सिंह, गजेंद सिंह शेखावत, संजय सेठ, राम मोहन नायडू, सुकांत मजूमदार, प्रह्लाद जोशी, जे पी नड्डा, गिरिराज सिंह, ललन सिंह, सतीश चंद्र दुबे शामिल हैं.

ओबीसी- सीआर पाटिल, पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, बीएल वर्मा, रक्षा खड़से, प्रताप राव जाधव, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, राव इंद्रजीत सिंह, कृष्णपाल गुर्जर, भूपेंद्र यादव, भगीरथ चौधरी, अन्नपूर्णा देवी, शोभा करंदलाजे, एचडी कुमारस्वामी, नित्यानन्द राय शामिल हैं.

दलित- एस पी बघेल, कमलेश पासवान, अजय टम्टा, रामदास आठवले, वीरेंद्र कुमार, सावित्री ठाकुर, अर्जुन राम मेघवाल, चिराग़ पासवान, जीतन राम मांझी, रामनाथ ठाकुर शामिल हैं.

आदिवासी- जुएल ओराम, श्रीपद येसो नाइक, सर्वानंद सोनोवाल शामिल हैं.

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