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यूपी के शिक्षामित्रों को SC से बड़ी राहत, नियुक्ति रद्द करने के फैसले पर रोक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के शिक्षामित्रों को बहुत बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के 1 लाख 72 हजार शिक्षामित्रों के नियुक्ति को रद्द करने वाले फैसले पर रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 12 सितम्बर को सहायक शिक्षक पद पर शिक्षा मित्रों का समायोजन रद्द कर दिया था। फैसले के खिलाफ शिक्षामित्र लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। इसमें से 1.30 लाख शिक्षामित्र समायोजित हो चुके हैं और बाकी को समायोजित करने की प्रक्रिया चल रही थी। उप्र सरकार ने इस मसले को केंद्र सरकार के साथ मिलकर सुलझाने की कोशिश भी की, लेकिन केंद्र ने भी राज्य के पाले में गेंद डाल दी थी।
इस मामले में यूपी सरकार ने 19 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की थी। राज्य सरकार का तर्क है कि यूपी में शिक्षकों की कमी के चलते ही शिक्षामित्रों को रखा गया था। वहीं शिक्षा का अधिकार कानून के आने के बाद इन्हें राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) से अनुमति लेकर प्रशिक्षित भी किया गया। एनसीटीई ने पहले से पढ़ा रहे शिक्षकों को अध्यापक पात्रता परीक्षा से मुक्त रखा, लेकिन शिक्षामित्रों का समायोजन इसी आधार पर उच्च न्यायालय ने रद्द कर दिया।
नेशनल
जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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