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अन्तर्राष्ट्रीय

यमन के कारावास पर हमला कर अलकायदा ने छुड़ाए अपने छह आतंकी

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वाशिंगटन | अलकायदा के आतंकवादियों ने दक्षिणी यमन के एक कारावास पर शुक्रवार को हमला किया और अपने छह लड़ाकों को रिहा करा लिया। इसके एक दिन पहले ही इस संगठन ने देश के एक सैन्य शिविर को अपने कब्जे में ले लिया था। सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि अलकायदा इन द अरबियन पेनिनसुला (एक्यूएपी) ने यमन के शाबवा प्रांत में हमला किया, जो राजधानी साना से करीब 100 मील दूर पूर्व में स्थित है। साना हौती विद्रोदियों द्वारा शहर को कब्जे में लेने के बाद कुछ सप्ताह से राजनीतिक गतिरोध देख रहा है।

सऊदी अरब सहित तीनों और देशों ने शुक्रवार को घोषणा की कि वे सुरक्षा के गिरते हालात को देखते हुए साना स्थित अपना दूतावास अस्थायी रूप से बंद कर रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि रिहा कराए गए छह में से तीन आतंकवादियों को मृत्युदंड सुनाया गया था। कारावास पर हुए हमले की घटना में कितने लोग मारे गए हैं, इसकी जानकारी सामने नहीं आ पाई है। एक दिन पहले एक्यूएपी ने शाबवा के बायहान शहर में सैन्य शिविर को कब्जे में ले लिया था। शहर पर कब्जा करने से पहले सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच दो घंटे तक संघर्ष हुआ था।

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कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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