Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

आध्यात्म

मौनी अमावस्या आज, विशेष संयोग के कारण दान कर पाएं दोगुना पुण्य लाभ

Published

on

Loading

मौनी अमावस्या देशभर में 16 जनवरी को मनाई जा रही है। इसे माघ अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। इस अमावस्या पर पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत फलदायी माना जाता है। इस स्नान को करने और कल्पवास करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है। शास्त्र कहते हैं इस दिन मौन रहना अक्षय पुण्य प्रदान करता है।

इस साल मौनी अमावस्या मंगलवार के दिन पडऩे के कारण इसका महत्व दोगुना हो गया है क्योंकि इसके पालन से मंगल ग्रह को शक्तिशाली बनाया जा सकता है।

हिंदू धर्म में व्रत-उपवास के साथ ही प्रमुख तिथियों पर तीर्थ क्षेत्र में स्नान करने का विधान है। इनमें भी प्रयाग स्नान की अगाध महिमा है। शिवपुराण में मौनी अमावस्या के महत्व के बारे में बताया गया है। शिवपुराण के अनुसार इस दिन पवित्र नदी में स्नान करने से विशेष फल मिलता है और जरुरतमंदों को दान करने से ग्रह दोष से मुक्ति मिलती है।

इस तिथि पर भगवान विष्णु और भगवान शिव दोनों की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के मंदिर में झंडा लगाएं। भगवान शनि पर तेल अर्पित करें। काला तिल, काली उड़द, काला कपड़ा दान करें। शिवलिंग पर काला तिल, दूध और जल अर्पित करें। हनुमान चालीसा का पाठ करें।

शुभ मुहूर्त
सुबह 5 बजकर 11 मिनट पर हो रहा है जो 17 जनवरी को सुबह 7 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसलिए सूर्योदय के बाद से ही पूरे दिन स्नान दान का शुभ मुहूर्त है।

आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

Published

on

Loading

नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

Continue Reading

Trending