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मनोरंजन

मोहम्मद रफी को पुण्यतिथि पर ऋषि कपूर ने याद किया

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मुंबई, 31 जुलाई (आईएएनएस)| जाने-माने अभिनेता ऋषि कपूर ने सोमवार को बॉलीवुड के दिग्गज गायक मोहम्मद रफी को उनकी 37वीं पुण्यतिथि पर याद किया। ऋषि (64) ने सोमवार सुबह रफी का कई फिल्मों में उनकी आवाज बनने के लिए आभार जताया। उन्होंने एक शादी समारोह में मोहम्मद रफी के साथ ली गई एक तस्वीर भी साझा की।

ऋषि ने तस्वीर के साथ कैप्शन में लिखा, महान रफी साहब को याद कर रहा हूं। मेरी आवाज बनने के लिए आपका धन्यवाद..आज ही के दिन 37 साल पहले आपको खो दिया। शांति आपके साथ रहे।

रफी ने ऋषि के लिए ‘दर्द-ए-दिल’ (‘कर्ज’) और ‘शिरडी वाले साईबाबा’ (‘अमर अकबर एंथनी’) जैसे गीत गाए हैं।

रफी का 1980 में दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वह ‘चौदहवीं का चांद’, ‘क्या हुआ तेरा वादा’, और ‘मैंने पूछा चांद से’ जैसे गानों को गाने के लिए भी जाने जाते हैं।

अभिनेता जैकी श्रॉफ ने ट्वीट किय, मुझे दर्द-ए-दिल का पता ना था, मुझे आप किसलिए मिल गए..अमर रहे मोहम्मद रफी साहब।

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मनोरंजन

नहीं रहे दंगल गर्ल जायरा वसीम के पिता, सोशल मीडिया पर लिखा भावुक पोस्ट

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मुंबई। दंगल गर्ल जायरा वसीम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। उनके पिता अब इस दुनिया मन नहीं रहे। इसकी जानकारी उन्होंने खुद सोशल मीडिया पर दी और लोगों से उन्हें अपनी दुआओं में याद करने की अपील भी की। पूर्व एक्ट्रेस ने इंस्टाग्राम स्टोरी में एक नोट शेयर किया है जिसमें वह पिता के साथ नजर आ रही हैं।

इंस्टाग्राम स्टोरीज पर जायरा वसीम ने नोट में लिखा था, ‘मेरे पिता जाहिद वसीम का निधन हो गया है। मैं सभी से अनुरोध करती हूं कि वो अपनी प्रार्थनाओं में उन्हें याद रखें और उनके लिए अल्लाह से क्षमा मांगें। कृपया प्रार्थना करें कि अल्लाह उनकी कमियों को माफ कर दे, उनकी कब्र को आराम की जगह बनाए, उन्हें किसी भी सजा से बचाए, उन्हें परलोक में आसानी प्रदान करे और उन्हें जन्नत का सबसे ऊंचा स्थान प्रदान करे और उन्हें मगफिरत दे।’

उन्होंने अपने पिता के साथ एक प्यारी-सी तस्वीर भी शेयर की और उनके निधन पर एक भावुक नोट लिखा। जायरा ने लिखा, ‘वास्तव में आंखें आँसू बहाती हैं और दिल दुखी होता है, लेकिन हम वही नहीं कहेंगे जो हमारे भगवान को पसंद हो। मेरे पिता जाहिद वसीम का निधन हो गया है। कृपया उन्हें अपनी दुआओं में याद रखें और अल्लाह से उनकी कमियों को माफ करने, उनकी कब्र को शांतिपूर्ण बनाने, उन्हें इसके अजाब से बचाने और आगे की उनकी यात्रा को आसान बनाने के लिए कहें। उन्हें आसानी से हिसाब दिया जाए और उन्हें जन्नत और मगरिरा का ऊंचा दर्जा दिया जाए। वास्तव में, हम अल्लाह के हैं और हम उनके ही पास जाएंगे।’

 

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