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आध्यात्म

मुंबई में इस्कॉन की जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए मंच तैयार

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मुंबई, 4 जनवरी (आईएएनएस)| देश के अलग-अलग हिस्सों और मुंबई से करीब एक लाख श्रद्धालु शनिवार को शिवाजी पार्क में आयोजित होने वाली मशहूर सालाना भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा में हिस्सा लेंगे। अंतर्राष्ट्रीय सोसायटी कृष्णा चेतना के एक अधिकारी ने गुरुवार को इस बात की जानकारी दी। ओडिशा के पुरी में आयोजित प्रसिद्ध रथ यात्रा के बाद इस्कॉन के चौपाटी मंदिर द्वारा आयोजित इस रथ यात्रा को दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी रथ यात्रा माना जाता है। इसी तरह की रथ यात्रा अमेरिका, ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और अन्य देशों में निकाला जाएगा।

हर साल की तरह, मुख्य आकर्षण भगवान जगन्नाथ के विशेष दर्श्न, भगवान के विशिष्ट बर्तन में 56 भोग प्रसाद, मंगल यज्ञ, रात के खाने में श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद और सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक गतिविधियों के अलावा भागीदारों में वैदिक साहित्य का वितरण होगा।

रथ यात्रा महाआरती के बाद शाम तीन बजे से शुरू होगी और शिवाजी पार्क से शिवसेना भवन जाएगी। यह यात्रा अपने रास्ते में सबसे पुराने और व्यस्त जगहों से होती हुई वापस शिवाजी पार्क आएगी।

शाम को इस्कॉन आध्यात्मिक प्रमुख राधानाथ स्वामी महाराज के प्रवचन और धार्मिक गायन भी होगा।

ब्रह्मांड के रचियता के रूप में सम्मानित, भगवान जगन्नाथ को भगवान कृष्ण के एक अमूर्त रूप में पूजा जाता है और पुरी में रथ उत्सव कई सदियों से मनाया जाता है।

इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य, श्रीला प्रभुपद ने त्योहार को वैश्विक महोत्सव बनाने का फैसला किया। उन्होंने 1967 में सैन फ्रांसिस्को से इसकी शुरुआत की। इसके पीछे का मकसद यह था कि जो भक्त किसी कारणवश पुरी नहीं जा सकते वह अपने शहर या देश में ही उत्सव में शामिल होकर त्योहार मनाएं।

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आध्यात्म

आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी

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नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।

पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है

रामनवमी का इतिहास-

महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।

नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।

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