आध्यात्म
महाशिवरात्रि: अगर भोले बाबा को करना है खुश, तो इन विधियों से करें उनकी आराधना
पूरे देश में आज महाशिवरात्रि की धूम है। भोले बाबा का जलाभिषेक करने के लिए सभी मंदिरों में भारी भीड़ है। महाशिवरात्रि का व्रत करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं। शिव की महारात्रि का यह पर्व माघ महीने की कृष्ण पक्ष के 13वें या 14वें दिन मनाया जाता है। इस दिन भक्त भोले बाबा को भांग, धतूरा, बेलपत्र के साथ जल चढ़ाते हैं। महाशिवरात्रि पर मंत्रों के जाप से साक्षात भगवान शिव का आशीर्वाद मिलता है। ऐसे में एक सवाल शिव भक्तों के मन में अक्सर आता है कि महाशिवरात्रि पर किन मंत्रों का जाप करें।
मंत्रों के बारे में कहा जाता है कि यह जितने आसान होंगे, साधक की जबान पर उतनी ही तेजी से चढ़ेंगे। ऐसा ही एक मंत्र ऊं नम: शिवाय है, जिसे हर शिवभक्त अपनी चेतना के साथ जिंदगी का भी हिस्सा बना लेता है। इसका ध्यान, मनन करना आसान है, इसलिए जाप में भी इसे सर्वोत्तम स्थान मिला है।
जाप से क्या हैं फायदे
ऊं नम: शिवाय का 108 बार प्रतिदिन उच्चारण और भगवान शंकर की पूजा आपको हर बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। धन प्राप्ति के लिए शिवलिंग पर बेल पत्र अर्पित करते हुए ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करें। फिर भोलेनाथ की विधिवत आरती करें। ऐसी मान्यता है कि ऐसा करने से मनचाहे धन की प्राप्ति होगी।
ऐसा ही एक और मंत्र है ऊं नमो भगवते रुद्राय। भगवान शिव की पूजा करते समय इस मंत्र का जाप करने से भक्त को मोक्ष की प्राप्ति होती है। भक्त भगवान शंकर के शिवलिंग पर अगस्त्य फूलों को चढ़ाते हुए ऊं नम: रुद्राय मंत्र का जाप करें। इससे आपका जीवन ऐश्वर्य से परिपूर्ण होगा।
इसके साथ ही महाशिवरात्रि पर रुद्राक्ष की माला पर प्रतिदिन 11 माला (108 बार का एक माला होता है) का जाप करें। इससे आप भय मुक्त होते हैं और भगवान शिव आपके सभी बाधाओं को हर लेते हैं।
आध्यात्म
आज पूरा देश मना रहा रामनवमी, जानिए इसके पीछे की पूरी पौराणिक कहानी
नई दिल्ली। आज पूरे देश में रामनवमी का त्यौहार बड़ी धूम धाम से मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक इस दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। जो विष्णु का सातवां अवतार थे। रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कहानी।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम ने भी मां दुर्गा की पूजा की थी, जिससे कि उन्हें युद्ध के समय विजय मिली थी। साथ ही माना जाता है इस दिन गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरित मानस की रचना का आरंभ किया। राम नवमी का व्रत जो भी करता है वह व्यक्ति पापों से मुक्त होता है और साथ ही उसे शुभ फल प्रदान होता है
रामनवमी का इतिहास-
महाकाव्य रामायण के अनुसार अयोध्या के राजा दशरथ की तीन पत्नियां थी। कौशल्या, सुमित्रा और कैकयी। शादी को काफी समय बीत जाने के बाद भी राजा दशरथ के घर किसी बालक की किलकारी नहीं गूंजी थी। इसके उपचार के लिए ऋषि वशिष्ट ने राजा दशरथ से पुत्र प्राप्ति के लिए कमेश्टी यज्ञ कराने के लिए कहा। जिसे सुनकर दशरथ खुश हो गए और उन्होंने महर्षि रुशया शरुंगा से यज्ञ करने की विन्नती की। महर्षि ने दशरथ की विन्नती स्वीकार कर ली। यज्ञ के दौरान महर्षि ने तीनों रानियों को प्रसाद के रूप में खाने के लिए खीर दी। इसके कुछ दिनों बाद ही तीनों रानियां गर्भवती हो गईं।
नौ माह बाद चैत्र मास में राजा दशरथ की बड़ी रानी कौशल्या ने भगवान राम को जन्म दिया, कैकयी ने भरत को और सुमित्रा ने दो जुड़वा बच्चे लक्ष्मण और शत्रुघन को जन्म दिया। भगवान विष्णु ने श्री राम के रूप में धरती पर जन्म इसलिए लिया ताकि वे दुष्ट प्राणियों का नरसंहार कर सके।
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