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अन्तर्राष्ट्रीय

मलेशिया के प्रधानमंत्री ने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया

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कुआलालंपुर| मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक ने मंगलवार को मंत्रिमंडल में फेरबदल की घोषणा की। उन्होंने मुहयिद्दीन यासिन की जगह अहमद जाहिद हामिदी को अपना नया सहायक नियुक्त किया है। 2013 के आम चुनाव के बाद पहली बार मंत्रिमंडल में फेरबदल किया गया है। यह फेरबदल ऐसे समय में हुआ है, जब नजीब पर गबन के आरोप लगे हैं।

समाचार पत्र ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने कर्ज से दबी हुई निवेश कंपनी 1एमडीबी से संबंधित 70 करोड़ डॉलर नजीब के निजी खाते में स्थानांतरित होने की खबर छापी थी।

नजीब की कानूनी टीम इस खबर के लिए वॉल स्ट्रीट जर्नल पर कानूनी कार्रवाई पर विचार कर रही है।

कुछ स्थानीय विश्लेषकों का मानना है कि यदि नजीब पद छोड़ते हैं तो मुहयिद्दीन उनकी जगह ले सकते हैं।

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत में संसद भंग, सभी कानून और संविधान के कुछ अनुच्छेद निलंबित

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नई दिल्ली। कुवैत के अमीर शेख मिशाल ने संसद को भंग कर दिया है। अमीर ने शुक्रवार को सरकारी टीवी पर एक संबोधन में इसकी घोषणा की। इसके अलावा अमीर ने देश के सभी कानूनों के साथ संविधान के कुछ अनुच्छेदों को चार साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। इस दौरान देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी पहलुओं का अध्ययन किया जाएगा। सरकारी टीवी के मुताबिक, इस दौरान नेशनल असेंबली की सभी शक्तियां अमीर और देश की कैबिनेट के पास होंगी।

एमीर ने सरकारी टीवी पर दिए अपने संबोधन में संसद भंग करने की घोषणा करते हुए कहा, “कुवैत हाल ही में बुरे वक्त से गुजर रहा है, जिसकी वजह से किंगडम को बचाने और देश के हितों को सुरक्षित करने के लिए कड़े फैसले लेने में झिझक या देरी करने के लिए कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि पिछले कुछ सालों में देश के कई डिपार्टमेंट्स में भ्रष्टाचार बढ़ गया है। भ्रष्टाचार की वजह से देश का महौल खराब हो रहा है। अफसोस की बात ये है कि भ्रष्टाचार सुरक्षा और आर्थिक संस्थानों तक फैल गया है। साथ ही अमीर ने न्याय प्रणाली में भ्रष्टाचार होने की बात कही है।

कुवैत पिछले कुछ सालों से घरेलू राजनीतिक विवादों से घिरा रहा है। देश का वेल्फेयर सिस्टम इस संकट का एक प्रमुख मुद्दा रहा है और इसने सरकार को कर्ज लेने से रोका है। इसकी वजह से अपने तेल भंडार से भारी मुनाफे के बावजूद सरकारी खजाने में पब्लिक सेक्टर के कर्मचारियों को वेतन देने के लिए बहुत कम पैसे बचे हैं। कुवैत में भी दूसरे अरब देशों की तरह शेख वाली राजशाही सिस्टम है लेकिन यहां की विधायिका पड़ोसी देशों से ज्यादा पावरफुल मानी जाती है।

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