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ममता गरजीं, बोलीं–बंगाल का बंटवारा नहीं होने दूंगी
दार्जिलिंग। गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) पर दार्जिलिंग में हिंसा फैलाने का आरोप लगाते हुए बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह किसी कीमत पर बंगाल का बंटवारा नहीं होने देंगी।
ममता ने कहा, ‘मैं बंगाल को बंटने नहीं दूंगी।’ उन्होंने कहा कि उनकी सरकार अनुकूल माहौल में जीजेएम के साथ बातचीत शुरू करने को तैयार है। ममता ने कहा कि दार्जिलिंग में बढ़ती अशांति पर चर्चा के लिए 22 जून को सिलिगुड़ी में सर्वदलीय बैठक होगी।
जीजेएम ने अलग गोरखालैंड राज्य की मांग को लेकर अनिश्चितकालीन बंद का आह्वान किया है। हालांकि मोर्चा ने ममता सरकार के साथ किसी तरह की बातचीत की संभावनाओं को खारिज कर दिया है। हालांकि उन्होंने कहा कि वह केंद्र की सरकार के साथ बातचीत कर सकते हैं।
अलग गोरखालैंड की मांग को लेकर जीजेएम ने अनिश्चिकालीन हड़ताल का आहवान कर रखा है, जिसका आज सातवां दिन है। आंदोलन के छठवें दिन हुई हिंसा में जीजेएम के तीन कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं, जबकि एक पुलिस अधिकारी गंभीर रूप से घायल हुआ है। स्थिति बिगड़ने के बाद कुछ इलाकों में सेना को तैनात करना पड़ा है।
जीजेएम पर गंभीर आरोप लगाते हुए ममता ने कहा कि उन्हें आतंकियों का समर्थन मिला है और संगठन ने कई रिपोर्टर्स को अगवा कर रखा है। उन्होंने कहा, ‘हम यहां पत्रकारों का सम्मान करने आए हैं। हर दिन पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर खबरें निकालते हैं। दार्जिलिंग में न केवल पुलिस अधिकारियों को पीटा गया, बल्कि पत्रकारों को भी निशाना बनाया गया। पत्रकारों को अगवा किया जा रहा है। उन्हें बंधक बनाकर रखा जा रहा है और इस दौरान उनसे वहीं लिखने और बोलने को कहा जा रहा है जो मोर्चा उनसे कहलवाना चाहता है।’
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जानिए कौन हैं वो चार लोग, जिन्हें पीएम मोदी ने नामांकन के लिए अपना प्रस्तावक चुना
वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी के काल भैरव मंदिर में दर्शन करने के बाद अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पीएम मोदी ने वाराणसी से तीसरी बार अपना नामांकन दाखिल किया है। पीएम मोदी के नामांकन में गृह मंत्री अमित शाह और राजनाथ सिंह समेत 20 केंद्रीय मंत्री मौजूद रहे। इसके अलावा 12 राज्यों के सीएम भी शामिल हुए। पीएम मोदी के नामांकन के दौरान उनके साथ चार प्रस्तावक भी कलेक्ट्रेट में मौजूद रहे।
इनमें एक पुजारी, दो ओबीसी और एक दलित समुदाय के व्यक्ति का नाम है। दरअसल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान चार प्रस्तावक मौजूद रहे। इनमें पहला नाम आचार्य गणेश्वर शास्त्री का है, जो कि पुजारी हैं। इसके बाद बैजनाथ पटेल पीएम मोदी के नामांकन के दौरान प्रस्तावक बने, जो ओबीसी समुदाय से आते हैं। वहीं लालचंद कुशवाहा भी पीएम के नामांकन में प्रस्तावक के तौर पर शामिल हुए। ये भी ओबीसी समाज से आते हैं। पीएम मोदी के प्रस्तावकों में आखिरी नाम संजय सोनकर का भी है, जो कि दलित समुदाय से हैं।
चुनाव में प्रस्तावक की भूमिका अहम होती है। ये ही वे लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार के नाम का प्रस्ताव रखते हैं। निर्वाचन आयोग के मुताबिक, प्रस्तावक वे स्थानीय लोग होते हैं, जो किसी उम्मीदवार को चुनाव लड़ने के लिए अपनी ओर से प्रस्तावित करते हैं। आमतौर पर नामांकन के लिए किसी महत्वपूर्ण दल के वीआईपी कैंडिडेट के लिए पांच और आम उम्मीदवार के लिए दस प्रस्तावकों की जरूरत होती है।
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