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भोपाल गैस त्रासदी : कोख आबाद नहीं हुई कई महिलाओं की

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भोपाल| मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में कई घरों के आंगन ऐसे हैं जहां यूनियन कार्बाइड संयंत्र के हादसे के बाद किलकारी नहीं गूंजी, क्योंकि रिसी जहरीली गैस के दुष्प्रभाव ने कई महिलाओं की कोख को आबाद ही नहीं होने दिया।

तालाबों की नगरी भोपाल के लिए दो-तीन दिसंबर 1984 की रात तबाही बनकर आई थी, इस रात यूनियन कार्बाइड संयंत्र से रिसी मिथाईल आइसो सायनाइड (मिक) गैस ने हजारों लोगों को मौत की नींद सुला दिया था, वहीं लाखों लोगों को जिंदगी और मौत के बीच झूलने पर मजबूर कर दिया।

अशोका गार्डन क्षेत्र में रहने वाली राधा बाई का भरा-पूरा परिवार था, तीन बेटों और पति के साथ वे खुशहाल जिंदगी जी रही थीं, मगर यूनियन कार्बाइड संयंत्र उनके लिए काल बन गया। जहरीली गैस का असर उनके परिवार पर कुछ इस तरह हुआ कि तीनों बेटे कुछ माह के अंदर ही दुनिया छोड़कर चले गए। राधा बाई का सबसे बड़ा बेटा आठ वर्ष का था।

राधा बाई बताती हैं कि तीनों बच्चों की मौत के बाद वे कभी मां नहीं बन पाईं और फिर कभी उनके आंगन में किलकारी नहीं गूंजी। वे बताती हैं कि जहरीली गैस ने एक ओर जहां उनके तीनों बच्चों को छीन लिया तो वहीं दूसरी ओर उन्हें बीमारियों का बोझ दे दिया। आंखों से साफ दिखाई नहीं देता है, तो गेस्ट्रो इंटोटायसिस उन्हें सुकून से सोने नहीं देती है। पेट फूल जाता है, इस कारण ठीक से चल भी नहीं पाती हैं।

यही हाल छोला क्षेत्र में रहने वाली राजिया का है। राजिया आज तक मां नहीं बन पाईं। वह बताती हैं कि हादसे के पहले ही उसकी शादी हुई थी, मगर मां बनने का सुख उसे नसीब नहीं हो पाया। उसने कई चिकित्सकों से परामर्श लिया मगर हर किसी का यही कहना था कि जहरीली गैस ने उसके शरीर पर ऐसा असर किया है कि उसका मां बनना संभव नहीं है।

भोपाल ग्रुप फॉर इंफॉर्मेशन एण्ड एक्शन की सदस्य रचना ढींगरा विभिन्न शोधों का हवाला देते हुए कहती हैं कि मिक गैस ने महिला और पुरुषों दोनों की प्रजनन क्षमता पर व्यापक असर किया है। कई महिलाएं मां नहीं बन पाई, इससे यह बात सामने आई। भोपाल में बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं जिनके घरों में हादसे के बाद संतानें नहीं हुई हैं।

भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन के संयोजक अब्दुल जब्बार का कहना है कि यूनियन कार्बाइड से रिसी गैस ने इंसानी जिस्म को बुरी तरह प्रभावित किया है। हजारों लोग मर गए और लाखों आज भी जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रहे हैं। इनमें वे लोग भी हैं जो अपनी गोद में बच्चे तक को खिलाने को तरस गए। यह सब गैस के दुष्प्रभाव से फैलीं बीमारियों के चलते हुआ है।

इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के डॉ. नालोक बैनर्जी का कहना है कि हर 10 वर्ष में जनगणना होती है और भोपाल में ऐसा कोई आंकड़ा नहीं आया है जिसके आधार पर यह कहा जा सके कि संबंधित क्षेत्र में बच्चे कम पैदा हुए हैं, लिहाजा महिलाओं के मां न बन पाने की बात जन्म दर के आंकड़ों के आधार पर सही नहीं लगती।

गैस हादसे के मौके पर अपने बच्चों को गंवाने के बाद महिलाओं का मां न बन पाना और जीवन भर कोख सूनी रहने का दर्द उन महिलाओं से ज्यादा कौन समझ सकता है जो इसे आज भी सहे जा रही हैं।

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बेंगलुरु इस्कॉन मंदिर में मनाया जा रहा है 25वीं रजत जयंती का ब्रम्ह महोत्सव

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लखनऊ। बेंगलुरु “इस्कॉन मंदिर” में भगवान और समाज की सेवा की “25वीं रजत जयंती” के वर्षों को 21 अप्रैल से 03 मई तक चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का अविस्मरणीय अलौकिक दिव्य-भव्य “ब्रम्ह महोत्सव” पूजा-अर्चना समारोह आयोजित* हुआ है।

इस दरम्यान *प्रभु मधु पंडित व प्रभु चंचल पति , प्रभु लक्ष्मीपति और प्रभु अनंतवीर्य ने अपने-अपने विचारों से अवगत कराया।

सभी भक्तों को बताया कि *प्रभु पाद जी के त्याग और समर्पण भाव से प्रेरणा* लेनी चाहिए। उन्होंने साथ ही यह भी बताया गृहस्थ जीवन में भी सभी को नियमित ब्रम्हमुहूर्त में महामंत्र का जाप करना चाहिए। श्रीकृष्ण जी की गीता वाणी का अध्ययन करके अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए। इस्कॉन मंदिर में काफी संख्या में भक्तगण राधा कृष्ण का दर्शन करके प्रसादम् और आशीर्वाद लेते हैं। संध्या काल में राधा-कृष्ण पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। मंदिर में अन्य दिनों की अपेक्षा प्रत्येक शनिवार और रविवार को सभी आयु वर्गों के भक्तों की अत्यधिक उपस्थिति रहती है।

*बेंगलुरु में इस्कॉन मंदिर श्री कृष्ण भगवान और समाज की सेवा के 25वीं रजत जयंती के वर्षों को चिह्नित करते हुए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि का “ब्रम्ह महोत्सव का उत्सव” 21 अप्रैल से 03 मई तक मनाया* जा रहा है। इसमें भाग लेने के लिए संपूर्ण भारत के विभिन्न राज्यों से भक्तजन आते हैं।

*इस्कॉन का हरे कृष्ण मंदिर*
इस्कॉन मंदिर (*International Society for Krishna Consciousness) बेंगलुरु की खूबसूरत इमारतों में से एक है*। इस इमारत में कई अत्याधुनिक सुविधाओं में *मल्टी-विजन सिनेमा थियेटर, कम्प्यूटर सहायता प्रस्तुतिकरण थियेटर एवं वैदिक पुस्तकालय और उपदेशात्मक पुस्तकालय* है। इस *मंदिर के अनुयाई सदस्यों व गैर-सदस्यों* के लिए यहां रहने की भी काफी उत्तम सुविधा उपलब्ध है। मालूम हो कि अपनी विशाल सरंचना के कारण *इस्कॉन मंदिर बेंगलुरु में बहुत प्रसिद्ध* है और इसीलिए *बेंगलुरु का सबसे मुख्य पर्यटन स्थान* भी है। इस मंदिर में आधुनिक और *वास्तुकला का दक्षिण भरतीय मिश्रण परंपरागत रूप से पाया जाता* है। मंदिर में अन्य संरचनाएं *बहु दृष्टि सिनेमा थिएटर और वैदिक पुस्तकालय*। मंदिर में भक्तों के लिए रहने कि सुविधाएं भी उपलब्ध है।

*इस्कॉन मंदिर के बैंगलुरु में छ: मंदिर हैं*

*राधा-कृष्ण मंदिर (मुख्य मंदिर)*
*कृष्ण-बलराम मंदिर,*
*निताई गौरंगा मंदिर (चैतन्य महाप्रभु और नित्यानन्दा),*
*श्रीनिवास गोविंदा (वेंकटेश्वरा)*
*प्रहलाद-नरसिंह मंदिर एवं श्रीला प्रभुपादा मंदिर*
*बैकुंठ हिल में तिरुपति बालाजी मंदिर और योग व भोग नरसिम्हा मंदिर*
उत्तर बेंगलुरु के राजाजीनगर में स्थित *राधा-कृष्ण का मंदिर दुनिया का सबसे बड़ा इस्कॉन मंदिर है*। इस *मंदिर का शंकर दयाल शर्मा ने सन् 1997 में उद्घाटन* किया था।

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