Connect with us
https://www.aajkikhabar.com/wp-content/uploads/2020/12/Digital-Strip-Ad-1.jpg

अन्तर्राष्ट्रीय

भारत-बांग्लादेश में ऐतिहासिक भू-सीमा समझौता

Published

on

india-bangladesh land

Loading

ढाका। भारत और बांग्लादेश ने 40 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान करते हुए शनिवार को भूमि सीमा समझौते को मंजूरी देकर इतिहास रच दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी में भूमि समझौते के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं।

मोदी ने ट्वीट किया, “भूमि अदला-बदली से संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया। इस तरह दोनों देशों ने इतिहास रचा।” इस भू-सीमा समझौते के तहत भारत बांग्लादेश को 111 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपेगा। इन कॉलोनियों की कुल जमीन 17,160.63 एकड़ है। वहीं बांग्लादेश 51 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपेगा। इन कॉलोनियों की कुल जमीन 7,110.02 एकड़ है। इसके अलावा 6.1 किलोमीटर अनिश्चित सीमा का भी सीमांकन किया जाएगा। भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि-सीमा समझौता 16 मई, 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान के बीच हुआ था। बांग्लादेश की संसद ‘जातीय संसद’ ने इसे तत्काल मंजूरी दे दी थी।

समझौते के तहत भूमि हस्तांतरण के लिए संविधान संशोधन की जरूरत के कारण हालांकि भारत में इस प्रक्रिया में देरी हुई। भूमि समझौते के संधि पत्र पर दोनों पक्षों ने छह सितंबर, 2011 को हस्ताक्षर किए थे।  भारत में जिन चार राज्यों की भूमि अदला-बदली की जाएगी, उनमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। बांग्लादेश में 111 भारतीय कॉलोनियों में कुरीग्राम जिले में 12, नीलफामरी में 59 और पन्हागर में 36 शामिल हैं। भारतीय कॉलोनियों में करीब 37 हजार लोग रहते हैं, वहीं बांग्लादेशी कॉलोनियों में 14 हजार लोग रहते हैं। समझौते के मुताबिक इन कॉलोनियों के लोगों को नागरिकता चुनने का विकल्प होगा। वे चाहें तो दोनों में से किसी एक देश की नागरिकता ले सकते हैं।

दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा का निपटारा पहले ही हो चुका है। द हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने 7 जुलाई, 2014 को दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा की रूपरेखा पेश की थी। विदेश सचिव एस. जयशंकर ने शुक्रवार को संवाददातों से कहा था कि भूमि सीमा समझौते से सुरक्षा व्यवस्था बनाने, तस्करी रोकने, ड्रग तस्करी रोकने एवं नकली मुद्रा की तस्करी रोकने में मदद मिलेगी।

Continue Reading

अन्तर्राष्ट्रीय

कुवैत के मंगाफ शहर में इमारत में आग से 43 लोगों की मौत, मृतकों में अधिकतर भारतीय

Published

on

Loading

कुवैत सिटी। कुवैत के मंगाफ शहर में बुधवार सुबह एक इमारत में आग लगने से 43 लोगों की मौत हो गई है। मृतकों में अधिकतर भारतीय हैं। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि बुधवार सुबह दक्षिणी कुवैत के मंगाफ शहर में एक इमारत में आग लगी। इस इमारत में भारत और एशिया के मजदूर रहते हैं।

इस हादसे में 40 भरतीयों समेत 43 लोग मारे गए है और करीब 30 लोग घायल हैं। मेजर जनरल रशीद हमद ने कहा कि घटना की सूचना स्थानीय समयानुसार सुबह छह बजे अधिकारियों को दी गई, इसके बाद राहत और बचाव का काम शुरू किया गया। शुरुआती जानकारी के मुताबिक आग एक फ्लैट के किचन से शुरू हुई और पूरी इमारत में फैल गई। जिस इमारत में आग लगी है, वह केरल के रहने वाले एक शख्स की है। इमारत में भी ज्यादातर दक्षिण भारत के ही लोग थे। मरने वाले दस भारतीय नागरिकों में से भी पांच केरल के थे। कुवैत के उप प्रधान मंत्री फहद यूसुफ अल सबा ने घटनास्थल का दौरा किया और पुलिस घटना की जांच के आदेश दिए हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस कमांडर ने स्टेट टीवी को बताया कि जिस इमारत में आग लगी, उसमें मजदूरों के क्वार्टर बने हैं। हादसे के समय भी वहां बड़ी संख्या में श्रमिक यहां मौजूद थे। दर्जनों लोगों को बचा लिया गया लेकिन दुर्भाग्य से आग से निकलने वाले धुएं के कारण कई लोगों की दम घुटने से मौत हो गई। कुवैती स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि आग के कारण लगभग 43 लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।उधर इस घटना पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने दुःख जताया है। उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘कुवैत शहर में आग की घटना की खबर से गहरा सदमा लगा है। कथित तौर पर 40 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और 50 से अधिक लोग अस्पताल में भर्ती हैं। पीड़ितों में से अधिकांश भारतीय बताए जा रहे हैं।’

Continue Reading

Trending